अंतराल विधियों पर परामर्श को हर स्वास्थ्य सेवा प्रदाता को खुद प्रेरित होना चाहिए



लखनऊ, 11 फरवरी-2020 - वर्तमान में भारत जैसे विकासशील देशों की सबसे महत्वपूर्ण समस्या जनसंख्या का अनियंत्रित विकास है। हांलाकि भारत जनसंख्या नीतियों को लागू करने वाला पहला देश था पर 63 वर्ष बाद भी हम प्रजनन दर में कमी लाने में पूरी तरह सफल नहीं हो पाए हैं। प्रजनन दर का सीधा सम्बन्ध परिवार नियोजन विधियों के उपयोग से है। भारत में विवाहित महिलाओं में गर्भनिरोधक विधियों का उपयोग अब भी बहुत कम (53.5 प्रतिशत) है। उत्तर प्रदेश में भी गर्भनिरोधक व्यापकता दर (सीपीआर) काफी कम (45.5 प्रतिशत) है। उत्तर प्रदेश की अधिकतर विवाहित महिलाओं में गर्भनिरोधकों के बारे में जानकारी और उन्हें अपनाने के बीच एक बड़ा अंतर है। इसलिए ज़रूरत है कि विवाहित महिलाओं में जागरुकता को और मज़बूत किया जाए, खासकर वह महिलाएँ जिनकी शादी 18 साल की उम्र तक ही हो जाती है, ताकि प्रजनन दर को कम करने के अंतिम उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके।

यह कहना है- प्रोफ़ेसर एमेरिटस एवं पूर्व एचओडी डिपार्टमेंट ऑफ़ ऑब्सटेट्रिक्स एंड  गायनेकोलॉजी, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ डॉ. चन्द्रावती का। उनका कहना है कि परिवार नियोजन में परामर्श का अत्यधिक महत्व है क्योंकि इससे विवाहित दंपत्ति को उपलब्ध विकल्पों की जानकारी और अपनी सुविधा व पसंद के अनुसार विकल्प चुनने में आसानी होती है। देर से गर्भधारण होने पर, जन्म के बाद या गर्भपात के बाद यह महत्वपूर्ण है कि महिला या दंपति को परिवार नियोजन की सही और उचित जानकारी मिले और वह आपस में इसपर चर्चा करें ताकि वे अपनी ज़रूरत के अनुसार उत्तम विकल्प चुन सकें। तभी वह महिला चुनी हुई विधि से संतुष्ट होगी और उसका उपयोग जारी रखेगी।

हाल ही में एक 25 वर्षीय महिला अपनी तीसरी गर्भावस्था के दौरान मेरे पास आई थी। इससे पहले उसके दो प्रसव सीजेरियन हुए थे और उसे अब भी नहीं पता था कि वह किस अंतराल विधि का उपयोग करे। इससे मुझे आभास हुआ कि ऐसी महिलाओं में जागरुकता का स्तर क्या है। मुझे लगता है कि सभी सेवा प्रदाताओं, चाहे वह निजी हो या सरकारी, आयुष चिकित्सक, यहां तक ​​कि फार्मासिस्ट, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ को भी परिवार नियोजन परामर्श के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि वे बेहतर स्वास्थ्य के लिए राज्य के प्रयास में योगदान कर सकें।

सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि लोगों को सूचित विकल्प चुनने में मदद मिल सके और जनसंख्या को स्थिर किया जा सके। इसमें दंपत्ति की गोपनीयता का सम्मान करने और उन्हें समानुभूति के साथ परामर्श देने पर ज़ोर दिया जाना चाहिए। स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली के सभी प्रदाताओं के लिए परिवार नियोजन के लाभों के बारे में संवाद करने के लिए एक समान भाषा में बात करना महत्वपूर्ण है। इस तरह के परामर्श से युवा जोड़ों को अपनी सुविधानुसार अंतराल विधि चुनने में मदद मिलेगी। इन सेवाओं को ऐसे सभी युवा जोड़ों को उनकी आवश्यकता के अनुसार उचित समय और स्थान पर प्रदान किया जाना चाहिए।

सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को नियमित तौर पर परिवार नियोजन के तरीकों पर चर्चा करनी चाहिए ताकि इसे लेकर संचार का माध्यम स्थापित हो सके और हर बार जब महिला उस विशेष प्रदाता से मिले तो बातचीत शुरू की जा सके। सभी उपलब्ध परिवार नियोजन विधियों के बारे में सटीक जानकारी तक आसान पहुँच सुनिश्चित की जानी चाहिए। किसी भी प्रकार की शंकाओं और प्रश्नों को भी दूर किया जाना चाहिए। उपलब्ध कराई गई जानकारी द्वारा महिलाओं को परिवार नियोजन से जुड़े अपने सभी प्रश्नों और गलत धारणाओं का जवाब ढूँढने का प्रोत्साहन मिलना चाहिए।

एक महिला की काउंसलिंग के लिए सबसे प्रभावी समय उसकी डिलीवरी के बाद का होता है क्योंकि उस समय महिला के सामने उपलब्ध सभी विकल्पों के बारे में जानने और उनका आंकलन करने का सबसे उपयुक्त समय होता है। युवा जोड़ों को दूसरे गर्भधारण में देरी के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए यह समय सबसे अच्छा है। राज्य में गाँव स्तर पर सभी स्वास्थ्य केंद्रों में परिवार नियोजन की आवश्यकता से जुड़े सन्देशों पर ज़ोर देना चाहिए।

इसके अलावा 15 से 17 वर्ष तक की आयु के किशोर-किशोरियों को भी गर्भनिरोधकों के बारे में उचित परामर्श देने की आवश्यकता है, क्योंकि वे भी या तो विवाहित होने वाले हैं या गर्भनिरोधक, गर्भावस्था आदि के बारे में जानने के लिए उत्सुक होते हैं। महिलाओं के साथ काम करने के दौरान मैंने ऐसे कई मामले देखे हैं जहाँ शहरी क्षेत्रों की महिलाएँ भी सटीक जानकारी के अभाव में गर्भवती हो गई हैं। मुझे हैरानी होती है कि यदि शहरी आबादी को इसके बारे में जानकारी नहीं है तो ग्रामीण आबादी की स्थिति क्या होगी। अंत में मैं यही कहना चाहूँगगी कि प्रशिक्षित स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा उचित समय पर सही जानकारी देने की आवश्यकता है ताकि प्रत्येक महिला को उस विकल्प के हर पहलू के बारे में सटीक जानकारी मिल सके जिसका वह उपयोग करना चाहती है। इससे महिला को निर्णय लेने में बहुत मदद मिलेगी ।