अगले महीने से एमडीआर टीबी को छह महीने में ठीक करने की दवाएं होंगी उपलब्ध



  • डॉ. उर्वशी सिंह- डीडीजी टीबी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने दी जानकारी
  • उत्तर प्रदेश के चिकित्सकों को एमडीआर टीबी की नई दवाओं के उपयोग के लिए केजीएमयू देगा प्रशिक्षणः डॉ. सोनिया नित्यानंद
  • एमडीआर और एक्सडीआर टीबी के लिए कुपोषण है सबसे गंभीर चुनौती : डॉ. सूर्यकान्त
  • टीबी की जंग में एन्टी माइक्रोबियल रेजिस्टेन्स के विषय पर केजीएमयू के कलाम सेंटर में आयोजित हुआ वैज्ञानिक कार्यक्रम

लखनऊ । केजीएमयू के कलाम सेंटर में  मंगलवार को टीबी की जंग में एन्टी माइक्रोबियल रेजिस्टेन्स के विषय पर वैज्ञानिक कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम का आयोजन केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग जो कि ड्रग रेजिस्टेंट टीबी के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में चयनित एक अंर्तराष्ट्रीय केंद्र बन चुका है ने किया।

इस आयोजन को यूएस एड. (USAID) तथा इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी एंड लंग डिजीसेज (द यूनियन) के सहयोग से किया गया। इस वैज्ञानिक आयोजन को हाईब्रिड मोड पर संपन्न किया गया। इसमें लगभग 200 चिकित्सक कलाम सेन्टर से तथा 150 चिकित्सक ऑनलाइन माध्यम से प्रतिभागी रहे। इस हाईब्रिड कार्यक्रम का ऑनलाइन प्रसारण इको इन्डिया नामक संस्था द्वारा पूरे देश में किया गया। इस कार्यक्रम के आयोजक रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष तथा नेशनल टास्क फोर्स, राष्ट्रीय उन्मूलन कार्यक्रम के सदस्य डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य टीबी के उन्मूलन में आ रही सबसे बड़ी चुनौती ड्रग रेजिस्टेंस टीबी (एमडीआर एवं एक्सडीआर) के बारे में टीबी के क्षेत्र में कार्यरत सभी चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इसके कारण और निवारण के बारे में ज्ञानवर्धन कराना था।

डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि उत्तर प्रदेश में एमडीआर एवं एसडीआर टीबी की चुनौती से निपटने के लिए रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, केजीएमयू को द यूनियन, डब्लूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) तथा भारत सरकार ने 10 अक्टूबर 2022 को टीबी के उपचार हेतु उत्कृष्ट केंद्र (सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस) के रूप में चयनित किया था। तब से लेकर पूरे प्रदेश में केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग को टीबी की चिकित्सा का हब तथा उत्तर प्रदेश के मेरठ, आगरा, अलीगढ़, सैफई (इटावा), झांसी, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, अंबेडकर नगर तथा गोरखपुर को स्पोक के रूप में विकसित किया गया है तथा भविष्य में उत्तर प्रदेश के 44 अन्य जिलों को टीबी के उपचार हेतु उत्कृष्ट केंद्र के स्पोक्स के रूप में बनाने की योजना है, जिससे उत्तर प्रदेश को शीघ्र ही टीबी मुक्त किया जा सके। डा. सूर्यकान्त ने बताया कि एमडीआर तथा एक्सडीआर टीबी के लगभग आधे रोगियों को कुपोषण होता है तथा टीबी के उन्मूलन में कुपोषण एक बड़ी बाधा है। इसीलिए भारत सरकार ने टीबी के रोगियों का पोषण भत्ता 1 नवम्बर 2024 से दो गुना कर 1000 रूपये प्रतिमाह करने का फैसला लिया है।

डा. शैलेन्द्र भटनागर (स्टेट टीबी ऑफिसर, उत्तर प्रदेश) ने बताया कि प्रदेश को टीबी मुक्त करने के लिए 911 सीबीनॉट मशीन, 14 टीबी कल्चर लैब तथा 24 नोडल ड्रग रेजिस्टेन्ट केंद्र की स्थापना की जा चुकी है।

इस वैज्ञानिक कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डा. उर्वशी सिंह (डीडीजी टीबी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार) ने आनलाईन माध्यम से इस कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि अगले महीने से एमडीआर टीबी को  छह महीने में ठीक करने की दवाएं देश में उपलब्ध होगी। डॉ. सोनिया नित्यानंद कुलपति, केजीएमयू ने बताया कि उत्तर प्रदेश के चिकित्सकों को एमडीआर टीबी की नई दवाओं के उपयोग के लिए केजीएमयू प्रशिक्षण देगा।

इस कार्यक्रम में डा. भाविन वडेरा सीनियर हेल्थ एडवाइजर, यूएसएड (USAID), डा. संजीव सिंह, मेडिकल डायरेक्टर अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद, डा. राकेश पीएस डिप्टी डायरेक्टर (प्रोग्राम) द यूनियन, डा. मीरा भाटिया नेशनल कंसल्टेन्ट द यूनियन, केजीएमयू के अन्य वरिष्ठ चिकित्सक डा.आर के दीक्षित, डा.मोनिका अग्रवाल, डा. प्रशांत गुप्ता, डा. एस के सिंह, डा. हरीश गुप्ता, डा. सतीश कुमार, डा. अमित कुमार एवं रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग से डा. आरएएस कुशवाहा, डा. एस के वर्मा, डा. संतोष कुमार, डा. राजीव गर्ग, डा. अजय कुमार वर्मा, डा. आनन्द कुमार श्रीवास्तव, डा. दर्शन कुमार बजाज, डा. ज्योति बाजपेई एवं भारी संख्या में जूनियर डाक्टर्स भी मौजूद रहें। कार्यक्रम के अन्त में आयोजन सचिव डा. अंकित कुमार ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।