आदतों को आगे भी रखें बहाल, घर-परिवार होगा खुशहाल



- कोरोना को लेकर हुए व्यवहार परिवर्तन को रखें बरकरार
- सेहतमंद बनने के साथ ही समाज में भी आएगा बदलाव

लखनऊ, 03 मई -2020 - कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए करीब दो माह से बरती जा रहीं तमाम सावधानियां अब धीरे-धीरे नियमित व्यवहार में शामिल हो चुकी हैं, इनको अगर जीवन में सदा के लिए शामिल कर लिया जाए तो हर ओर एक बेहतर बदलाव नजर आएगा । इन आदतों में हाथों को अच्छी तरह से धोने के साथ ही अनावश्यक मुंह, आँख व नाक को न छूना, घर व आस-पास साफ़-सफाई रखना, इधर-उधर पड़ी चीजों को बेवजह न छूना, बाहर निकलने पर मास्क लगाना, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों को भोजन में शामिल करना, परिवार के सदस्यों को समय देना, योगा, ध्यान व प्राणायाम करना, अपने लोगों से फोन के जरिये सम्पर्क में बने रहना आदि शामिल हैं । इन्हीं सारे प्रयासों के जरिये हमने न सिर्फ अपने घर के अन्दर बल्कि बाहरी वातावरण को भी नया रंग दिया है ।

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों पर बना रहे जोर :
​“ जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, उनको कोरोना का संक्रमण नहीं हो सकता” – इस आधार वाक्य को गाँठ बांधकर लोगों ने इधर दो महीने के दौरान अपने भोजन में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करना शुरू किया है जो कि इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं । इसके अलावा खाने से पहले और शौच के बाद ही नहीं बल्कि बार-बार साबुन-पानी से हाथ धोने की आदत बन चुकी है । इन आदतों को अगर आगे भी बनाये रखा जाए तो कई संक्रामक बीमारियों से अपने आप छुटकारा मिल जाएगा ।
डॉ. विनीता द्विवेदी-आयुष चिकित्सक (होम्योपैथी)

किचन को ही बनायें क्लीनिक :
​कोरोना काल में लोग बखूबी समझ चुके हैं कि छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज घरेलू उपचार के जरिये संभव है । हल्दी, अजवाईन, काली मिर्च, तुलसी पत्ती, अदरक आदि के सहारे वात, पित्त व कफ की बीमारियों को दूर किया जा सकता है । इन बीमारियों के लिए आधुनिक चिकित्सा पद्धति पर पूरी तरह निर्भर होने की जरूरत नहीं है । इस तरह अपने किचन को ही इन छोटी-मोटी बीमारियों के उपचार के लिए क्लीनिक का रूप दे सकते हैं ।
डॉ. रूपल शुक्ला (एमडी -आयु.) आयुर्वेदाचार्य

व्यवहार परिवर्तन को बनाये रखना जरूरी :
अच्छी आदतें जब एक बार व्यवहार में शामिल हो गयी हैं तो उन्हें हमेशा के लिए बरक़रार रखें । अगर आज इस मुश्किल वक्त में परिवार वालों के साथ समय बिताकर सुकून महसूस कर सकते हैं तो आगे भी जितना संभव हो सके परिवार को समय दें, मानसिक तनाव से छुटकारा मिलेगा । इसके अलावा घर के गमलों में खाद-पानी देने की आदत पड़ गयी है तो उसे भी बनाये रखें, आगे भी उन पौधों से निकलने वाले फूल-पत्तियों को देखकर एक ताजगी महसूस होगी ।
डॉ. विनय मिश्र-समन्वयक-– समाज कार्य विभाग , डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्विद्यालय, अयोध्या

योगा और ध्यान तो देश की अमूल्य निधि, बचाकर रखें :
​ध्यान, योग और प्राणायाम तो सदियों से भारत की अमूल्य निधि रहे हैं । इस आपत काल में बहुत से लोगों ने इसे अपने जीवन में अपनाया है और वह इसके फायदे को भी महसूस कर रहे हैं । इम्यून सिस्टम को भी इसके जरिये बढ़ाया जा सकता है । इन फायदों को देखकर लोगों को लगने लगा है कि आधे से अधिक बीमारियों पर तो इसके जरिये ही विजय पाई जा सकती है तो क्यों न इसको सदा के लिए जीवन में शामिल कर लिया जाए ।
बृजेश कुमार -योग प्रशिक्षक

जीवन में मिला बेहतर सबक :
​कोरोना वायरस ने आम लोगों को बड़ी सीख देने का भी काम किया है । अब हम आत्मनिर्भर बनने की महत्ता को अच्छी तरह समझ चुके हैं, कई ऐसी आदतों को जीवन में उतार चुके हैं जिसे कभी किस्से-कहानियों में सुना करते थे । भौतिकतावादी चीजों के बगैर भी जीवन आगे बढ़ सकता है तो क्यों न सिर्फ दिखावे के लिए उस पर निर्भर रहा जाए, जिन कामों को हम अपनी नौकरी या व्यवसाय के साथ-साथ आराम से कर सकते हैं, उसके लिए दूसरे पर निर्भर क्यों रहें । यही आदतें बड़ा परिवर्तन लाने का काम करेंगी ।
मनोज तिवारी, गोमतीनगर

प्रकृति के करीब आने का मिला मौका :
​इस वक्त जब पूरी तरह से घर के अंदर ही रहना है तो लोगों ने सुबह-शाम घर के बाहर की हवा लेना शुरू कर दिया है , बालकनी, लॉन, छत जिसके पास जो जगह उपलब्ध है वहां कुछ समय गुजारने लगे हैं, इसी बहाने कई लोग बागवानी का शौक पूरा कर रहे हैं, जिससे हरियाली भी बढ़ रही है । यह भी एक अच्छी आदत है, इसे बरक़रार रखें । इस दौरान आस-पड़ोस के लोगों से भी दूर से ही सही संपर्क तो हो जाता है और एक-दूसरे का हालचाल जानने का मौका भी मिल जाता है ।
ऋचा , इंदिरानगर