अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस (20 मार्च) पर विशेष
जीवन की तेज रफ़्तार में आज हर कोई इतना व्यस्त है कि खुद के लिए समय निकालना या हंसी- ठहाके का उसके पास कोई वक्त ही नहीं बचा है। घर-परिवार के साथ बैठकर भोजन करने या सुख-दुःख साझा करने के लिए भी लोग समय नहीं निकाल पाते, यही कारण है निराशा भाव से भरा हुआ व्यक्ति अवसाद की अँधेरी कोठरी की तरफ बढ़ रहा है। यही अवसाद या व्यस्तता व्यक्ति को इतना बोझिल बना दे रही है कि लोग ख़ुदकुशी जैसे बुझदिली के कदम उठा रहे हैं। इसी घोर अंधकार को मिटाने के लिए ही हर साल 20 मार्च को अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस मनाया जाता है, जो हमें बताता है कि खुश रहना हर व्यक्ति का अधिकार होने के साथ ही एक बेहतर समाज निर्माण के लिए भी जरूरी है। इस साल इस दिवस की थीम है-“केयरिंग एंड शेयरिंग”। यह थीम सीख देती है कि जीवन में लम्बे समय तक ठहरने वाली ख़ुशी के लिए जरूरी है कि एक-दूसरे की देखभाल करें, आपसी सम्बन्धों में मजबूती लाएं और ख़ुशी को किसी उद्देश्य का हिस्सा बनाकर रखें।
अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस हमें यह सीख देता है कि जीवन में खुश रहकर ही हर चुनौतियों का सामना आसानी से किया जा सकता है। इसलिए आज के दिन हर किसी को यह जानना जरूरी है कि जीवन में आने वाली किसी भी मुश्किल का धैर्य, आत्मविश्वास और साहस के साथ डटकर मुकाबला करें न कि हार मानकर निराश हो जाएँ। इसके अलावा शारीरिक और मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ रहने के लिए भी आंतरिक ख़ुशी व प्रसन्नता बहुत जरूरी है। जीवन की गतिविधियों को कुछ इस तरह से निर्धारित करें कि वह खुशहाली देने वाली हों । इन गतिविधियों से हासिल होने वाली छोटी-बड़ी खुशियों को आपस में साझा करें और दूसरे के जीवन को भी खुशहाल बनाने की कोशिश करें। देश की आर्थिक सम्पन्नता के साथ देशवासियों के ख़ुशहाल जीवन का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है ।
आज के दिन यह संकल्प लेने की जरूरत है कि जीवन में एक-दूसरे के बीच सकारात्मक माहौल को बढ़ावा देंगे, खुशहाली को सीधे तौर पर मानवाधिकार से जोड़कर देखेंगे, विश्व के कल्याण को प्राथमिकता देने की हरसम्भव कोशिश करेंगे और परोपकार और आपसी सहयोग को बढ़ावा देंगे। इसके साथ ही यह भी जागरूकता लाने की कोशिश होगी कि लोग यह समझ सकें कि खुशियाँ छोटी हों या बड़ी बांटने से बढ़ती हैं और आपसी जुडाव की कड़ी मजबूत बनती है। इसके लिए जरूरी है कि अपनी दिनचर्या में अपनों के लिए कुछ समय जरूर निकालें और कुछ अपनी कहें और कुछ उनकी सुनें । एक-दूसरे की जरूरतों को समझें और उसको यथासम्भव पूरा करने का प्रयत्न करें ताकि किसी के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की सबसे बड़ी ख़ुशी हासिल हो सके। इसके अलावा जीवन में जो कुछ हासिल हुआ है, उसके लिए धन्यवाद ज्ञापित करें। जीवन में मानसिक श्रम के साथ ही शारीरिक श्रम को भी अहमियत दें। योग, ध्यान और प्राणायाम को भी जीवन का हिस्सा जरूर बनायें। स्वस्थ आहार और पर्याप्त नींद लें। समय का सही प्रबंधन करें और कुछ समय अपनों व प्रकृति के साथ अवश्य बिताएं।
(लेखक पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया के एक्जेक्युटिव डायरेक्टर हैं)