बाल श्रम मुक्ति को लेकर परामर्श कार्यशाला आयोजित



फिरोजाबाद। जनपद में बाल श्रम को समाप्त करने और बच्चों के उज्जवल भविष्य की रक्षा के लिए फिरोजाबाद क्लब में जिला स्तरीय परामर्श कार्यशाला आयोजित की गयी। पेस संस्था और चाइल्डफंड इंटरनेशनल के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में लगभग 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसमें सरकारी अधिकारी, पार्षद, श्रमिक संघ के नेता, शिक्षक और सामुदायिक हितधारक शामिल थे। आयोजन का उद्देश्य कांच की चूड़ी उद्योग में बाल श्रम को समाप्त करने के लिए वर्ष 2030 तक एक समयबद्ध और सहयोगात्मक रोडमैप तैयार करना था।

कार्यशाला की शुरुआत पेस संस्था की सचिव राजविंदर कौर ने प्रतिभागियों के स्वागत और उद्देश्यों की जानकारी के साथ की। मेयर कामिनी राठौर ने प्रमुख पार्षदों और युवा प्रतिनिधियों के साथ दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यशाला का उद्घाटन किया। चाइल्डफंड इंटरनेशनल के वरिष्ठ बाल संरक्षण विशेषज्ञ सुकेन्दु संत्रा ने बाल श्रम की जड़ तक पहुंचने और इसे समाप्त करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने वर्ष 2030 तक 'शून्य बाल श्रम' प्राप्त करने के लिए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 8.7 के साथ रणनीतियों को जोड़ने, शिक्षा सशक्तिकरण और बाल संरक्षण प्रणालियों को मजबूत करने की बात कही।

पेस संस्था के निदेशक थॉमसन ने हाल ही में किए गए अध्ययन के निष्कर्ष प्रस्तुत किए, जिसमें यह सामने आया कि छह से 14 वर्ष के लगभग 50,000 बच्चे बाल श्रम में लगे हुए हैं, जिनमें से 96% घरेलू सेटिंग्स में काम कर रहे हैं। अध्ययन में शामिल 959 बच्चों में से 45 प्रतिशत (567 लड़कियां और 392 लड़के) कार्यरत पाए गए। यह भी सामने आया कि 75 प्रतिशत बच्चे स्कूल और काम को संतुलित करते हुए एक से तीन घंटे प्रतिदिन काम करते हैं, लेकिन जो बच्चे चार से नौ घंटे काम करते हैं, उनके स्कूल छोड़ने का खतरा अधिक होता है। 15.76 प्रतिशत बच्चे (335) पहले ही स्कूल छोड़ चुके हैं, और उनमें से केवल 27 प्रतिशत वापस पढ़ाई करने के लिए तैयार हैं। गरीबी को बाल श्रम का मुख्य कारण बताया गया, जिससे 89 प्रतिशत बच्चे प्रभावित हैं। बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव देखा गया, जिसमें 45 प्रतिशत बच्चे एनीमिया, थकान, पीठ दर्द और आंखों की समस्याओं से ग्रसित थे।

 कार्यशाला में श्रम विभाग, यूनिसेफ, एएचटीयू और अन्य एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने कानूनी ढांचे, सर्वोत्तम प्रथाओं और समाधान पर चर्चा की। हितधारकों ने बाल श्रम कानूनों का सख्ती से पालन करने पर बल दिया। युवाओं के लिए कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण की बात कही। इसके लिए सरकारी विभागों और एनजीओ का सहयोगात्मक प्रयास पर जोर दिया। माता-पिता के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए सामुदायिक भागीदारी की बात कही। कार्यशाला में दो किशोरियों अंशिका और चांदनी ने अपने अनुभव साझा किए। पूर्व बाल श्रमिक होने के बावजूद अब वह उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं और डॉक्टर बनने की आकांक्षा रखती हैं। कार्यशाला के समापन पर पेस संस्था के निदेशक थॉमसन ने सभी का धन्यवाद किया और घोषणा की कि अगली बैठक 25 अप्रैल, 2025 को आयोजित की जाएगी। इसमें बाल श्रम मुक्त फिरोजाबाद के लिए एक विस्तृत रणनीतिक दस्तावेज़ तैयार किया जाएगा।