- नई दिल्ली में हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में इन मंचों की हुई प्रशंसा
- बाराबंकी के पीएसपी सदस्यों ने दी प्रस्तुति, बताया-कैसे मनाया दवा खाने से इनकार करने वाले लोगों को
लखनऊ - प्रदेश में स्थापित 137 रोगी हितधारक मंच (पीएसपी) फाइलेरिया समेत अन्य बीमारियों के उपचार व बचाव की दिशा में बेहतर काम कर रहे हैं। यह पीएसपी 18 जिलों में काम कर रहे हैं जिन्हें सभी 51 फाइलेरिया ग्रसित जनपदों में स्थापित करने की जरूरत है। नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में पीएसपी के कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा हुई और मंथन में यह निष्कर्ष निकलकर सामने आया। इस मौके पर बाराबंकी के देवा ब्लाक के टीपहार गांव के पीएसपी समूह के सदस्यों ने प्रस्तुति दी। बताया कि कैसे पीएसपी सदस्यों ने प्रधान की मदद से कई इनकार करने वाले लोगों को दवा खिलाई।
लिम्फैटिक फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए नई दिल्ली में हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन मंगलवार को सूचना संवेदीकरण पर मंथन हुआ। नेशनल सेंटर फार वेक्टर बार्न डिसीज कंट्रोल (एनसीवीडीबीसी) की निदेशक डॉ तनु जैन ने कहा कि सही सूचना आखिरी आदमी तक पहुंचना जरूरी है कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है। हमने पिछले राउंड में शुभ संकेत अभियान चलाया जिसके अपेक्षित परिणाम मिले। आईईसी का उद्देश्य फाइलेरिया से बचाव की दवा के लिए मांग उत्पन्न करना है। एक मच्छर कितने रोग दे सकता है इसपर समुदाय में पूरी जानकारी देना चाहिए। सिर्फ मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) के समय नहीं, पूरे साल भर अन्य गतिविधियां जैसे नुक्कड़ नाटक आदि करके समुदाय को जागरूक करना चाहिए।
राज्य कार्यक्रम अधिकारी-फाइलेरिया डॉ. एके चौधरी ने बताया कि पीएसपी समुदाय के लिए अच्छा काम कर रहे हैं। फिलहाल 18 जनपदों के 69 ब्लाक में 137 पीएसपी काम कर रहे हैं और अधिकतर पीएसपी ने उम्मीद से बेहतर काम किया है। ऐसे ही पीएसपी समूह सभी 51 फाइलेरिया प्रभावित जनपदों में बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कम्युनिटी हेल्थ अफसर (सीएचओ) की क्षमतावृद्धन सिस्टम के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
इससे पहले बाराबंकी के टीपहार गांव के पीएसपी समूह के सदस्यों ने कार्यशाला में प्रस्तुति दी। सीएचओ नेहा वर्मा ने बताया कि स्थानीय लोग स्थानीय नेतृत्व (प्रधान) की बात सुनते हैं। एमडीए राउंड के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम से दवा खाने से इनकार कर देते थे। जब प्रधान विजय कुमार यादव या फाइलेरिया मरीज रितु उनके सामने जाते थे तो दवा खा लेते थे। सीएचओ ने बताया कि हमारी टीम सिर्फ फाइलेरिया के लिए ही नहीं काम कर रही है ब्लकि फील्ड विजिट के दौरान जो भी मिलता है उसे अस्पताल जाने की सलाह देते हैं। गांव के लोगों में अब स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति भरोसा बढ़ रहा है।
इस राष्ट्रीय कार्यशाला में 16 राज्यों के अधिकारियों ने प्रतिभाग किया। पहले दिन फाइलेरिया की संशोधित गाइडलाइन पर राज्य प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया। दूसरे दिन अधिकारियों को सूचना संवेदीकरण किया गया कि कैसे सही सूचना आखिरी व्यक्ति तक जाने से फाइलेरिया का उन्मूलन के लक्ष्य को पाने में मदद मिलेगी।