अंतरराष्ट्रीय नर्सेज डे (12 मई) पर विशेष - लोगों की सेवा से मिलती है संतुष्टि



लखनऊ,11 मई 2020 - काकोरी सामुदायिक  स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में लेबर रूम की स्टाफ नर्स 25 वर्षीय सुधा यादव को हमेशा से  दूसरों की सेवा करना अच्छा लगता था | वह बताती हैं  कि वह   डॉक्टर बनना चाहती थी लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नही थी तो नर्सिंग का  प्रोफेशन अपना लिया उनके  पिता ने भी इस फील्ड के लिए प्रोत्साहित किया जो स्वयं भी स्वास्थ्य विभाग से हैं |

सुधा ने 17 साल की आयु में इंटर करने के बाद नर्सिंग कोर्स में एडमिशन लिया था | जिसके कारण कोर्स भी जल्दी ख़त्म हो गया और 19 साल की आयु में ही वह नर्स बन गयीं | सुधा बताती हैं बहुत ही कम आयु में एक निजी चिकित्सालय  में आइसीयू इंचार्ज के रूप में चयनित हुयी थी जहाँ मैनें एक साल बतौर आइसीयू इंचार्ज काम किया | मेरी उम्र कम होने की वजह से लोग समझते थे कि मैं ऐसे जिम्मेदारी वाले काम को कैसे कर पाउंगी लेकिन मैंने अपने अन्य स्टाफ के सहयोग से मैनें  लगन के साथ अपने काम को बहुत बखूबी निभाया |  साल 2015 में मेरा चयन स्टाफ नर्स के तौर पर काकोरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र  (सीएचसी) पर हो गया | यहाँ मैं लेबर रूम रूम की स्टाफ नर्स हूँ | पहले तो जो महिलाएं आती थीं वह कहती थीं कि यह क्या प्रसव कराएंगी यह तो बहुत छोटी है लेकिन मेरे काम को देखकर वह संतुष्ट हो जाती थीं और बहुत तारीफ करती थीं | सुधा कहती हैं- यह प्रोफेशन बहुत ही जिम्मेदारी,चुनातियों और धैर्य वाला होता है | हमें मरीज के साथ संयम से काम करना होता है | हम अपना आपा नहीं खो सकते |

सुधा कहती हैं कि उसके प्रोफेशन में बहुत से वाकये होते हैं लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो कि जीवन भर याद रहते है  उन्हीं में से एक है-  आईसीयू में एक महिला भर्ती हुयी थी जिसके बच्चे की मृत्य गर्भ में ही हो गयी थी और वह शॉक में चली गयी थी | उसके शरीर में कोई प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी उसे वेंटिलेटर पर एक महीने के लिए रखा गया | उसकी एक छोटी बच्ची थी मैं | रोज उस बच्ची को महिला के सामने ले जाती थी उससे बात करती मझे लगता था कि शायद ऐसा करने से महिला ठीक हो जाए | इस तरह से लगभग एक महीने बाद उसकी हालत में  सुधार आया और वह 2 महीने बाद ठीक होकर अपने घर से चली गयी | यह घटना मुझे हमेशा याद रहेगी |-इस वाकये में नर्स की स्किल  नहीं दिख रही इसे हटा दीजिये | सुधा बताती हैं- आज कोरोना के संक्रमण के कारण हमें बहुत सावधानी बरतनी होती है क्योंकि हमें नहीं पता कि  जो मरीज आया है वह कोरोना संक्रमित  हैं या नहीं लेकिन हमें अपने काम को जिम्मेदारी से करना है | हम सारी सावधानी  बरतते हुए मरीज का उपचार करते हैं | मेरे परिवार का मुझे पूरा सहयोग मिलता है |

काकोरी सीएचसी के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. उमा शंकर लाल कहते हैं- सुधा बहुत ही मेहनती हैं | इतनी कम उम्र में वह बहुत कुशलता से मरीजों की देखभाल करती हैं साथी ही वह मृदुभाषी व व्यवहारकुशल हैं | एक सर्वश्रेष्ठ नर्स के सभी गुण उनमें हैं | वह अपने जीवन में बहुत आगे तक जाएँगी |