- आशा और एएनएम की वर्चुअल कार्यशाला में स्वास्थ्य के मुद्दों पर हुई चर्चा
- कोविड को लेकर समुदाय में उपजे भेदभाव व भ्रांतियों को दूर करें : दया शंकर
- “जरूरी है बात करना” कार्यक्रम से परिवार कल्याण कार्यक्रम पकड़ेंगे रफ़्तार : शालिनी
- लोगों को इस तरह जागरूक करें कि वह सेवाओं को लेने के लिए खुद आगे आयें : रंजना
अमेठी, 24 जुलाई 2020 - कोविड-19 के दौर में भी मातृ-शिशु, प्रजनन व पोषण संबंधी स्वास्थ्य सेवाओं को समुदाय तक पहुंचाने के साथ ही इस आपदा से निपटने को लेकर लोगों को जागरूक करने में जुटीं फ्रंटलाइन वर्कर (आशा/आशा संगिनी व एएनएम) की शुक्रवार को एक वर्चुअल कार्यशाला आयोजित की गयी । स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान और यूनिसेफ, उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपी टीएसयू) व सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) के सहयोग से आयोजित वर्चुअल कार्यशाला में उन्हें वर्तमान चुनौतियों से निपटने के गुर सिखाये गए । कार्यशाला का विषय था – “कोविड-19 एवं प्रजनन, मातृ-शिशु, किशोर स्वास्थ्य और पोषण संबंधी सेवाओं का संचार एवं चुनौतियां” । कार्यशाला में उनसे अपेक्षा की गयी कि जिस तरह से पोलियो को ख़त्म करने में उनकी अहम् भूमिका रही है, उसी तरह से कोविड-19 को भी ख़त्म करने में आगे आयें ।
अमेठी के जिला समुदाय प्रक्रिया प्रबंधक अशोक यादव ने इस अवसर पर फ्रंट लाइन वर्कर्स को कोरोना महामारी से बचाव के लिए मास्क का उपयोग करना, एक दूसरे से दो गज की दूरी, बार- बार साबुन-पानी से हाथ धोने तथा समुदाय में लोगों को जागरूक करने और बाहर से आये लोगों की लाइन लिस्टिंग करने तथा किन लोगों को कोरोना संक्रमण के दौरान ज्यादा सावधानी बरतने कि जरूरत है आदि के बारे में बताया ।
जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी शालू गुप्ता ने कहा - कोविड के दौरान ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस (वीएचएनडी), गृह आधारित नवजात देखभाल (एचबीएनसी), परिवार नियोजन, टीकाकरण सहित सभी स्वास्थ्य सेवाएँ स्थगित कर दी गयीं थीं जिन्हें फिर से नए दिशा निर्देशों के साथ शुरू किया गया है। उन्होंने कहा- वीएचएनडी, गृह भ्रमण और एचबीएनसी के दौरान आप सभी को कोविड से बचाव के सभी प्रोटोकोल का पालन करना है । किसी के घर की कुण्डी और दरवाज़ा नहीं खटखटाना है, परिवार के सदस्यों को घर से बाहर बुलाकर बात करनी है । वीएचएनडी के दौरान उचित दूरी का ध्यान रखते हुए सेवाएं देनी हैं । यह सुनिश्चित करना है कि सत्र पर सभी मास्क लगाये हों, बाल्टी पानी व साबुन की व्यवस्था हो ताकि सत्र पर हाथ धोने के बाद ही लोग अन्दर आयें । यदि आशा -एएनएम को खांसी, बुखार जैसे कोई दिक्कत है तो वह इस काम पर न आयें। कन्टेनमेंट ज़ोन में सत्र का आयोजन नहीं करना है । जिन घरों में कम वजन का बच्चा हुआ हो या समय पूर्व बच्चे का जन्म हुआ हो या बच्चा एसएनसीयू से वापस आया है या घर में ही प्रसव हुआ हो उन घरों में एचबीएनसी को प्राथमिकता देनी है । एचबीएनसी के दौरान कोविड संक्रमण से बचाव के प्रोटोकोल का पालन करते हुए बच्चे को नहीं छूना है, माँ से ही बच्चे के स्वास्थ्य की जानकारी लेनी है । साथ ही समुदाय को टीकाकरण के लिए भी जागरूक करें । गर्भवती को बताएं कि खतरे के लक्षण दिखने पर 102 एम्बुलेंस को काल करें और अस्पताल जाएँ लेकिन यदि गर्भवती कोरोना से संक्रमित है तो वह 108 को काल करे ।
इस अवसर पर यूनिसेफ से दयाशंकर ने कोविड को लेकर जो भ्रांतियां और भेदभाव हैं उस पर चर्चा करते हुए बताया कि इनको दूर करने में फ्रंट लाइन वर्कर्स की अहम् भूमिका है । वह समुदाय में इस पर अवश्य चर्चा करें और केवल तथ्यात्मक संदेशों को ही समुदाय तक पहुंचाएं क्योंकि समुदाय में वह लोग स्वास्थ्य विभाग का प्रतिनिधित्व करती हैं । उन्होंने पोलियो को ख़त्म करने में जिस तरह से सराहनीय भूमिका निभाई है, उसी तरह से कोरोना को हराने में भी आगे आयें ।
इस मौके पर सीफॉर की नेशनल लीड रंजना द्विवेदी ने स्वास्थ्य संचार के महत्त्व को बताते हुए कहा कि कोविड के साथ-साथ प्रजनन, मातृ-शिशु, नवजात, किशोर स्वास्थ्य के अलावा पोषण के स्वास्थ्य संदेशों को समुदाय तक इस तरह पहुँचाना है कि वह इन सेवाओं को लेने के लिए स्वयं आगे आयें ।
इस मौके पर यूपीटीएसयू से शालिनी रमन ने बताया- यह समय परिवार नियोजन पर बात करने का है क्योंकि अनचाहा गर्भ जहाँ परिवार के सपनों को प्रभावित करता है वहीँ वह वित्तीय बोझ को भी बढ़ाता है । इसलिए हम लोग अमेठी में “जरूरी है बात करना” अभियान शुरू करने जा रहे हैं । इसके तहत हम नव दम्पत्ति, लक्षित दम्पत्तियों और परिवार के सदस्यों से खुलकर बात करेंगे । उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि आपको अपने संदेशों को समुदाय तक पहुँचाने के लिए गाँव में प्रधान, महिला स्वयं सहायता समूह, नेहरु युवा केंद्र संगठन , स्थानीय नेता और धार्मिक प्रमुखों को भी शामिल करना चाहिए । अमेठी की यूपी टीएसयू की जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ अर्चना ने बताया कि कोरोना के कारण इस वित्तीय वर्ष में अभी तक 400 महिलाओं ने छाया साप्ताहिक गोली, 100 महिलाओं ने अंतरा का पहला इंजेक्शन लगवाया है तथा 4,000 कंडोम का वितरण किया गया है ।
कार्यशाला में यूनिसेफ से अमिया शंकर, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी और ब्लाक समुदाय प्रक्रिया प्रबंधक सहित लगभग 270 प्रतिभागी उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी शालू गुप्ता ने किया। आभारव्यक्त करते हुए अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (आरसीएच) डॉ. नवीन कुमार मिश्रा ने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें,मास्क लगाएं सैनिटाइजर का प्रयोग करें,सामाजिक दूरी बनायें - मानसिक दूरी न बनायें ।