कोरोना काल में एलर्जी को नियंत्रण में रखना ज़रूरी



- डॉ. सूर्यकांत ने वर्चुवल कांफ्रेंस में उपचार और बचाव के बताये तरीके

लखनऊ, 11 अगस्त । अमेरिकन कालेज फिजिशियन (ACPCON) इण्डिया चैप्टर- 2020 के वर्चुअल कांफ्रेंस के अतिथि वक्ता किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष व इन्डियन कालेज ऑफ़ एलर्जी, अस्थमा व एप्लाइड इम्यूनोलाजी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने कोरोना काल में एलर्जी के उपचार विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला ।  

​इस अवसर पर डॉ. सूर्यकान्त (इनसेट में ) ने विभिन्न प्रकार की एलर्जी जैसे-नाक, अस्थमा, त्वचा, आँख और फ़ूड एलर्जी के बारे में कोविड-19 से पहले और बाद की स्थितियों में किये जाने वाले बचाव व इलाज के तरीके बताये । उन्होंने कहा कि भारतीय उप महाद्वीप में 10 करोड़ नाक की एलर्जी (एलर्जी राह्नाइटिस) के मरीज मौजूद हैं । उन्होंने एलर्जिक राह्नाइटिस, फ्लू एवं कोविड-19 के लक्षणों में अंतर बताया, जैसे-एलर्जिक राह्नाइटिस में मरीज को छींक आना, आँखों का लाल होना, नाक बहना, फ्लू में मरीज को ठण्ड के साथ बुखार आना, नाक बहना, सिर दर्द और कोविड-19 के मरीजों में बुखार, सूखी खांसी एवं सांस का फूलना जैसे प्रमुख लक्षण पाए जाते हैं । इसके साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि- जैसे- “हर चमकती चीज सोना नहीं होती वैसे ही हर टपकती नाक कोरोना नहीं होती ।”  

​डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि एलर्जिक राह्नाइटिस, अस्थमा, त्वचा, आँख एवं फ़ूड एलर्जी के जिन मरीजों ने उचित दवाओं से अपनी एलर्जी के लक्षणों को पूरी तरह से नियंत्रण में कर रखा है, उनको कोविड का अतिरिक्त जोखिम नहीं है । दूसरी ओर जिन मरीजों के एलर्जी के लक्षण नियंत्रण में नहीं है या साथ में कोई अन्य बीमारी जैसे- क्रोनिक किडनी डिजीज, डायबिटीज, क्रोनिक लीवर डिजीज, हाइपरटेंशन जैसी बीमारी वाले मरीजों में कोरोना होने का ज्यादा जोखिम है । उन्होंने सुझाव दिया कि माइल्ड टू माडरेट एलर्जी मरीजों को टेली मेडिसिन या टेली पैथी के जरिये उपचार किया जाए और उन्होंने एलर्जी व अस्थमा के गंभीर रोगियों को क्लीनिक व अस्पताल में देखते समय बचाव के विभिन्न तरीके जैसे-मरीज का थर्मल स्क्रीनिंग, एप्वाइंटमेंट के बाद देखना और ऐरोसेल जेनरेटिंग प्रोसीजर जैसे- पीएफटी (पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट), नेबुलाइजेशन आदि से बचने पर जोर दिया । उन्होंने इन्हेलर एवं स्पेसर को नेबुलाइजेशन की जगह पर उपयोग करने की सलाह दी ।  नेबुलैलाइजेशन की अतिआवश्यकता पर इसका प्रयोग खुले स्थान जैसे-पोर्च, गैराज या एक अलग हवादार कमरे में करें । एलर्जी टेस्टिंग और नए मरीजों में बाइलाजिकल एजेंट जैसे- ओमेलीजुमाब को देने से उन्होंने साफ़ मना किया ।

डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि नेबुलाइजर एवं स्पेसर को हर बार उपयोग करने के बाद पानी व साबुन या लिक्विड डिटर्जेंट से साफ़ करें जिससे कोविड संक्रमण से बचाव किया जा सके । उन्होंने डिजिटल इन्हेलर, स्मार्ट थर्मामीटर एवं स्मार्ट स्पाइरोमीटर का प्रयोग करने की सलाह दी । शारीरिक इम्यूनिटी बढाने के लिए उचित भोजन, अच्छी नींद, भाप लेना, धूम्रपान से बचाव एवं नियमित रूप से योग व प्राणायाम करने की सलाह दी । इसके साथ ही उन्होंने कोविड-19 से बचाव के लिए शारीरिक दूरी, एलर्जी से बचाव, फेस मास्क का प्रयोग, बार-बार हाथों को साबुन से 30 सेकेण्ड तक धुलना और बार-बार नाक, कान, आँख व मुंह को न छूने की हिदायत भी दी ।