चिंता सताए, मन घबराए तो अपनों के करीब आएं



- कोरोना की चिंता दे सकती है मनोवैज्ञानिक स्थितियों को जन्म
- चिंता व तनाव से मुक्त रहने को परिवार व दोस्तों के संपर्क में रहें

लखनऊ, 23 अगस्त-2020 - कोचिंग व कंप्यूटर संस्थान चलाने वाले प्रभात कुमार कहते हैं - मार्च के महीने में लाक़ डाउन के समय से ही उनका संस्थान बंद चल रहा है । शुरू में लगा कि कुछ समय में स्थितियां संभल जाएंगी या कुछ सरकार से मदद मिल जायेगी लेकिन दो-तीन महीने बाद भी कोई कामकाज शुरू न होने से वह मानसिक रूप से परेशान रहने लगे । भविष्य को लेकर चिंतित रहने लगे । इन स्थितियों को दोस्तों और परिवार वालों ने भी भांप लिया क्योंकि लोगों से मेलजोल का मन ही नहीं करता था । ऐसे में उन लोगों ने अपने से आगे आकर मेरी दिक्कत को समझा और यकीन मानिए उस दिन अपनी सारी चिंता जब खुलकर उन सब लोगों के सामने रख दी तो मन को बहुत सुकून मिला । दोस्तों और परिवार वालों ने भी मदद की और सेनेटाइजेशन के काम से जोड़कर फिर से जिन्दगी को नई रफ़्तार दी । इसलिए सभी को यही सलाह है कि जब भी परेशान हों तो अपनों की मदद लें, निश्चित मानिए समस्या का समाधान जरूर मिलेगा ।

सकारात्मक सोच व दिनचर्या में बदलाव से मन को रखें प्रसन्न :
मनोचिकित्सक डॉ. अलीम सिद्दीकी का कहना है कि कोविड-19 से जुड़ी हर वक्त की चिंता मनोवैज्ञानिक स्थितियों को जन्म दे सकती है, इसलिए तनाव व चिंता से मुक्त रहने के लिए सकारात्मक सोच को अपनाना जरूरी है । इसके अलावा परिवार और दोस्तों के संपर्क में रहकर भी चिंता से मुक्ति मिल सकती है । किसी भी चिंता में बहुत समय तक डूबे रहना खतरनाक साबित हो सकता है । ऐसे में मन में आने वाले विचारों के सिर्फ नकारात्मक पहलू ही नजर आते हैं जो कि मन में भटकाव पैदा करते हैं, इसलिए जब भी कोई नकारात्मक विचार मन में आये तो उससे उबरने का एक तरीका यह भी हो सकता है कि उस चिंता को भुलाकर उन कार्यों में अपना मन लगाएं जिनमें आपकी सबसे अधिक रूचि हो । इसके अलावा परिवार एवं दोस्तों के संपर्क में रहकर भी चिंता को दूर भगा सकते हैं । हर वक्त सक्रिय रहें और मनोरंजक गतिविधियों में खुद को व्यस्त रखें । चिंता व तनाव से छुटकारा पाने के लिए बहुत से लोग नशे का सहारा लेना शुरू कर देते हैं, जो कि उन्हें मानसिक के साथ ही शारीरिक रूप से भी कमजोर बना देता है । इसलिए ऐसे वक्त में तम्बाकू, शराब और नशीले पदार्थों से दूर रहने में ही भलाई है । व्यवहार में यही छोटे-छोटे बदलाव लाकर कोरोना की चपेट में आने से बच सकते हैं ।  

पर्याप्त नींद लें :  
​किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. हरीश गुप्ता का कहना है कि नींद को भी एक तरह की थेरेपी माना जाता है । चिंता के चलते पूरी नींद न लेना अवसाद की ओर ले जाता है । मधुमेह, उच्च रक्तचाप, सिर और शरीर में दर्द , थकान, याददाश्त में कमी आना, चिडचिडापन, क्रोध की अधिकता, हार्मोन का असंतुलन, मोटापा, मानसिक तनाव जैसी समस्याएं अनिद्रा के कारण जन्म लेती हैं । ऐसे में कई बार चिकित्सक पर्याप्त नींद की सलाह देकर रोगों से छुटकारा दिलाने का काम करते हैं । हर व्यक्ति को 7-8 घंटे की नींद अवश्य लेनी चाहिए । स्क्रीन टाइम जैसे-टीवी, लैपटॉप व मोबाइल पर ज्यादा समय न देकर सेहत के लिए अनमोल नींद को जरूर पूरी करें जो कि आपको ताजगी और फुर्ती देने का काम करेगी । डॉ. गुप्ता का कहना है कि मोबाइल फोन या लैपटॉप से निकलने वाली किरणों में से नीले रंग की किरणें आँखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं और नींद में भी अवरोध पैदा कर सकती हैं । इसलिए अब ज्यादातर नए मोबाइल फोन में ब्लू लाइट फ़िल्टर नामक आइकान होता है । यदि रात में किसी कारणवश कंप्यूटर का प्रयोग करना पड़े तो आइकान पर क्लिक करके फोन से निकलने वाली नीली किरणों को रोककर आँखों को होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं ।  

योग एवं ध्यान करें :
​योग प्रशिक्षक बृजेश कुमार का कहना है कि ध्यान, योग और प्राणायाम के जरिये एकाग्रता ला सकते हैं, नकारात्मक विचारों से मुक्ति दिलाने में भी यह बहुत ही कारगर हैं । कोरोना काल में बहुत से लोगों ने इसे जीवन में अपनाया है और फायदे को भी महसूस कर रहे हैं । इम्यून सिस्टम को भी इससे बढ़ाया जा सकता है । इन फायदों को देखकर लोगों को लगने लगा है कि आधे से अधिक बीमारियों पर तो इसके जरिये ही विजय पाई जा सकती है तो क्यों न इसको सदा के लिए जीवन में शामिल कर लिया जाए ।

संतुलित आहार लें :
​आयुर्वेदाचार्य डॉ. रूपल शुक्ला का कहना है कि हमारे खानपान का असर शरीर ही नहीं बल्कि मन पर भी पड़ता है, इसलिए संतुलित आहार के जरिये भी मन को प्रसन्न रख सकते हैं । भारतीय थाली (दाल, चावल, रोटी, सब्जी, सलाद, दही) संतुलित आहार का सबसे अच्छा नमूना है । इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स, मिनरल्स मिलते हैं । अधिक तेल-मसालों के सेवन से बचें । प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड से जितना हो सके, बचना चाहिए। ऐसी चीजें जिनमें प्रिजरवेटिव्स मिले हों, उनसे भी बचना चाहिए। अच्छी तरह पका हुआ भोजन ही लें। संतुलित भोजन हमारे शरीर के साथ ही मानसिक स्थितियों को स्वस्थ बनाता है ।

मदद के लिए पुकार, यही है सही व्यवहार :  यदि इन तरकीबों के बाद भी किसी तरह की चिंता या तनाव से उबर नहीं पा रहे हैं तो मनोवैज्ञानिक सहायता के लिए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और स्नायु विज्ञान संस्थान (NIMHANS) के टोल फ्री नंबर – 08046110007 या 1075 पर कॉल कर मदद पा सकते हैं ।