मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए - नवाचारों से बांदा को अलग पहचान दिलाने वाले आईएएस अधिकारी हीरा लाल की जुबानी



- जिले की सूरत बदलने की डीएम ठान लें तो कामयाबी मिलना सौ फीसद तय
- सही प्लानिंग व रणनीति से बांदा को कुपोषण की समस्या से दिलाई मुक्ति
- जल संकट को लेकर किये गए कार्यों के सम्मान में मिला राष्ट्रीय जल पुरस्कार  
- मताधिकार के बारे में जागरूकता की मुहिम को प्रधानमंत्री तक ने सराहा

लखनऊ, 30 अगस्त-2020 - अगर किसी जिले की जनता को मूलभूत सुविधाएँ मुहैया कराने के साथ ही नव प्रयोगों (नवाचारों) से जिले को अलग पहचान दिलाने के बारे में जिलाधिकारी सच्चे मन से ठान लें तो कामयाबी से कोई नहीं रोक सकता । यह कहना है बुंदेलखंड क्षेत्र के समस्याओं से घिरे बांदा जिले की अपने करीब डेढ़ साल के कार्यकाल के दौरान सूरत बदलने वाले आईएएस अधिकारी हीरा लाल का (इनसेट में)। बांदा की समस्याओं को अपने नव प्रयोगों से दूर करने के लिए शिद्दत से किये गए प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहे जाने से वह उत्साहित हैं और वर्तमान में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश के अपर मिशन निदेशक की जिम्मेदारी निभाने के दौरान भी वह कुछ नवाचारों के बारे में गंभीरता से सोच रहे हैं ।

​श्री हीरा लाल का अपने अनुभवों के बारे में कहना है कि वर्ष 2018 में बांदा के जिलाधिकारी का दायित्व सँभालने के बाद सबसे पहले सूखे की मार झेल रही यहाँ की जनता को राहत पहुंचाने के बारे में ध्यान केन्द्रित किया । इस बारे में सही प्लानिंग और रणनीति तैयार करने के लिए कई विभागों और संस्थाओं के साथ मंथन हुआ । इसके बाद दिसंबर  2018 में इसके लिए “भूजल बढाओ-पेयजल बचाओ” अभियान चलाया गया और इसके तहत हैण्डपम्पों और कुओं के चारों ओर खंती की खुदाई कर व्यर्थ में बहने वाले पानी को रोकने का प्रयास हुआ । इसके लिए कार्य में जुटे लोगों को बाकायदा ट्रेनिंग भी दिलाई गयी । दूसरे चरण में “कुआं-तालाब जियाओ” अभियान छेड़ा गया, जिसका नारा था-“कुआँ-तालाब में पानी लाएंगे-बांदा को खुशहाल बनाएंगे” इसके लिए जल चौपालों और तालाब-कुआं पूजन कार्यक्रम आयोजित किये गए, ग्राम प्रधानों, लेखपालों व पंचायत सचिवों को अभियान से जोड़ा गया, जल मार्च, जल महोत्सव, जल संगोष्ठी और कवि सम्मेलन व मुशायरे की मदद से लोगों को गिरते भूजल स्तर को रोकने के साथ ऊपर उठाने और वर्षा जल संचयन के बारे में जागरूक किया गया । इसका परिणाम रहा कि 572 तालाबों का जीर्णोद्धार, 1536 ट्रेंच रिचार्ज पिट, 82 वर्षा जल संचयन ढांचा, 840 नए खेत तालाब, 1311 मेडबंदी कर 27,62, 512 हे.मी. कुल सालाना औसत रिचार्ज क्षमता की स्थिति बन सकी । जिले की इस बड़ी समस्या के निदान को लेकर किये गए सराहनीय प्रयास के लिए उन्हें अभी हाल ही में राष्ट्रीय जल पुरस्कार से नवाजा गया है ।

कुपोषण को दूर कर बच्चों के चेहरे पर लायी मुस्कान :
​राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-4 (2015-16) की रिपोर्ट के मुताबिक़ बांदा के पांच साल से कम के उम्र के 47 फीसद बच्चे कुपोषण की जद में हैं, इसके अलावा करीब 18 फीसद बच्चे कम वजन और 6.7 प्रतिशत बच्चे अतिकुपोषित श्रेणी के हैं । इस रिपोर्ट को देखने के बाद श्री हीरा लाल ने ठान लिया कि इस समस्या से बच्चों को उबारकर उनके चेहरे पर मुस्कान लाना है । इस बारे में जिले के नरैनी ब्लाक में दिसंबर 2017 से नवम्बर 2018 तक यूनिसेफ द्वारा किये गए पायलट प्रोजेक्ट को आधार बनाते हुए जनवरी 2019 में “बांदा सुपोषण कार्यक्रम” लांच किया गया । कार्यक्रम से स्वास्थ्य विभाग के साथ बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग, खनन विभाग और यूनिसेफ समेत कई अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं को जोड़ा गया । आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) और संस्थाओं की फ़ौज को फील्ड में उतारकर सबसे पहले कुपोषित बच्चों को चिन्हित किया गया । विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक जिले में पांच वर्ष से कम उम्र के करीब 2.60 लाख बच्चों के सापेक्ष करीब 1.70 लाख बच्चों का नामांकन कर कुपोषण की जद से निकालने की जंग शुरू हुई । इसके लिए ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस के जरिये गर्भवती के प्रसव पूर्व जाँच, गर्भावस्था के दौरान सही पोषण, संस्थागत प्रसव, बच्चे के जन्म के पहले घंटे के भीतर स्तनपान, छह माह तक बच्चे को केवल मां का दूध पिलाने, छह माह के बाद बच्चे को माँ के दूध के साथ पूरक आहार देने और बच्चे के शुरू के हजार दिन यानि दो साल का होने तक उसके सही खानपान पर फोकस किया गया, टीकाकरण को बढ़ावा दिया गया । परिणाम रहा कि शुरूआती प्रयास में ही चिन्हित बच्चों में से 1659 कुपोषित बच्चों को तीन महीने के भीतर सुपोषित कर उनके चेहरे पर मुस्कान लायी जा सकी, इसी तरह 484 अतिकुपोषित बच्चों को स्वस्थ बनाया जा सका, इसके अलावा 1676 बच्चों को कम वजन की समस्या से मुक्ति दिलाई गयी ।

रंग लाई मुहिम, लोकसभा चुनाव में 10 फीसद बढ़ा मतदान :
​पिछले साल लोकसभा चुनाव से तीन महीने पहले ही “एक लक्ष्य - 90 प्रतिशत प्लस मतदान” का अभियान छेड़ने वाले श्री हीरा लाल के प्रयासों को निर्वाचन आयोग से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक मंच से सराह चुके हैं । उनके प्रयास का ही नतीजा रहा कि वर्ष 2014 के चुनाव में हुए करीब 53 फीसद मतदान के मुकाबले वर्ष 2019 में करीब 63 फीसद वोट  पड़े, जो कि प्रदेश में मतदान प्रतिशत बढाने के मामले में अव्वल रहा । इसके लिए उनको दो बार वर्ष 2019 और 2020 में राज्यपाल द्वारा सर्वश्रेष्ट जिला निर्वाचन अधिकारी के सम्मान से नवाजा जा चुका है ।   

कैदियों के जीवन में लाया बदलाव :
​जिला जेल में योग व खेलकूद कार्यक्रम के साथ ही चित्रकला और हस्तशिल्प प्रतियोगिता जैसे आयोजन कर कैदियों की मनःस्थिति में बदलाव लाने का प्रयास किया गया । पार्क की स्थापना हुई, गौशाला का निर्माण कराया गया, इसके चलते कैदियों में एक बदलाव साफ़ नजर आया और उनका चारित्रिक उत्थान भी हुआ ।  

नेकी की दीवार की स्थापना :
​ “ आप सभी के सहयोग से, आप सभी के सहयोग को-नेकी की दीवार” के स्लोगन के साथ जरूरतमंदों की मदद की जा सकी । इसके अलावा नेकी की दीवाली के जरिये गरीबों में  कपडे, मिठाई आदि वितरित किये गए ।  
​जिले में ज्ञान कुम्भ का आयोजन कर विभिन्न विधाओं से जुड़े लोगों को एकत्र कर जिले की समस्याओं और उनके समाधान पर भी मंथन हुआ ।  इन सभी नवाचारों का ही परिणाम रहा कि श्री हीरा लाल ने जिले को प्रदेश में एक अलग पहचान दिलाई । इस पर उनका सिर्फ इतना कहना है कि – “मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिये ।”