फाइलेरिया मरीजों के बीच किट का हुआ वितरण



कानपुर - वेक्टर जनित गंभीर रोगों में शामिल फाइलेरिया संक्रमित मरीजों को नियमित रूप से आवश्यक उपचार की जरूरत होती है। इसके लिए उन्हें आवश्यक दवाइयों के साथ संक्रमित अंग का पूरा ध्यान रखना होता है। ठीक तरह से ध्यान रखने पर फाइलेरिया संक्रमण को गंभीर होने से रोक जा सकता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घाटमपुर में फाइलेरिया संक्रमित मरीजों को संक्रमण से बचाव की जानकारी देने के साथ ही स्वउपचारित किट और दवा का वितरण किया गया।

सोमवार को सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) व स्वास्थ्य विभाग की ओर से बरम बाबा , संकट मोचन और राम रहीम फाइलेरिया सहायता समूह के कुल 38 सदस्यों को चिकित्सा अधीक्षक डॉ कैलाश चंद्रा स्व उपचारित किट का वितरण किया गया। किट के रूप में मरीजों को एक टब, एक मग, कॉटन बंडल, तौलिया, डेटोल साबुन व एंटीसेप्टिक क्रीम दिया गया। इसके साथ ही सभी मरीजों को फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक कार्यों के क्रियान्वयन की जानकारी दी गई। इस दौरान सीफार से प्रसून व रवि सहित एचईओ सुनील कुमार वर्मा आदि उपस्थित रहे।

फाइलेरिया को शुरुआत में ही रोका जा सकता है : मरीजों को जानकारी देते हुए डॉ कैलाश चंद्रा ने कहा कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है जो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसका कोई पर्याप्त इलाज संभव नहीं है। इसे शुरुआत में ही पहचान करते हुए रोका जा सकता है। इसके लिए संक्रमित व्यक्ति को फाइलेरिया ग्रसित अंगों को पूरी तरह स्वच्छ पानी से साफ करना चाहिए और सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा का नियमित सेवन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया मुख्यतः मनुष्य के शरीर के चार अंगों को प्रभावित करता है ।

फाइलेरिया से ग्रसित अंग रखे साफ-सुथरा : कार्यक्रम में फाइलेरिया ग्रसित सभी मरीजों को स्वउपचार किट देने के साथ ही उन्हें उसपर ध्यान रखने के लिए आवश्यक उपायों की जानकारी दी गई। केंद्र के बीपीएम विकास ने बताया की फाइलेरिया संक्रमित होने पर व्यक्ति को हर महीने एक-एक सप्ताह तक तेज बुखार, पैरों में दर्द, जलन, के साथ बेचैनी होने लगती है। एक्यूट अटैक के समय मरीज को पैर को साधारण पानी में डुबाकर रखना चाहिए या भीगे हुए धोती या साड़ी को पैर में अच्छी तरह लपेटना चाहिए।