- जनपद के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर लगी पोषण पाठशाला
- पोषण पाठशाला में प्रभावी स्तनपान हेतु सही तकनीक पर हुई विस्तार से चर्चा
कानपुर - बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से स्वास्थ्य व पोषण शिक्षा पर जन समुदाय को जागरूक करने के लिए बुधवार को अपराह्न 12 बजे से दो बजे तक वर्चुअल राज्य स्तरीय पोषण पाठशाला आयोजित हुई। महिला कल्याण व बाल पुष्टाहार मंत्री बेबी रानी मौर्य ने पाठशाला को संबोधित किया। साथ ही पोषण की प्रासंगिकता के बारे में विचार व्यक्त किए। आयोजन में राज्य स्तरीय विशेषज्ञ टीम में 'प्रभावी स्तनपान के लिए सही तकनीक' पर लाभार्थियों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को जानकारी दी। साथ ही सवालों के जवाब दिए।
जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) दुर्गेश प्रताप सिंह ने बताया कि जनपद में कार्यरत सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण पाठशाला का आयोजन किया गया। इसमें करीब 25000 से अधिक लाभार्थियों ने पाठशाला का लाभ उठाया। पाठशाला लाभार्थियों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए काफी उपयोगी रही। प्रतिमाह वर्चुअल पोषण पाठशाला के द्वारा महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जाती है जिससे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर धात्री महिलाओं को बेहतर एवं प्रभावी तरीके से स्तनपान के संबंध में जानकारी प्रदान कर सकें। उन्होंने बताया कि इस बार पाठशाला की थीम 'प्रभावी स्तनपान हेतु सही तकनीक' रखी गई थी। पोषण पाठशाला के जरिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पोषण के संदर्भ में विशेषज्ञों द्वारा जानकारी आसानी से मिल जाती है।
एनआईसी कानपुर पर पोषण पाठशाला वर्चुअली कार्यक्रम में जिला कार्यक्रम अधिकारी, समस्त बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) , मुख्य सेविका एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने प्रतिभाग किया। डीपीओ ने बताया कि राज्य स्तरीय पोषण पाठशाला में विशेषज्ञ डॉ वंदना, डॉ अरविंद और डॉ मोहम्मद सलमान द्वारा मिली जानकारी जनपद की के लिए सहायक सिद्ध होगी जिससे वह अपने अपने क्षेत्र में धात्री महिलाओं को प्रभावी स्तनपान के संदर्भ में सटीक जानकारी दें पांएगी।
मुख्य सेविका ने बताया कि छह माह तक शिशु को सिर्फ स्तनपान कराएं। छह माह के ऊपरी अर्धठोस आहार के साथ स्तनपान भी कराएं। मां का दूध बच्चे के लिए अमृत समान होता है। इसके अतिरिक्त निम्न बातें बताई गईं-
- स्तनपान कराने से पहले धात्री स्तनों को अच्छी तरह साफ करें।
- नवजात शिशु को कंगारू मदर केयर तकनीक के साथ स्तनपान कराएं।
- बाहर काम पर जाने वाली महिलाएं अपने स्तनों से दूध निकालकर घर पर रख कर जाएं जिससे वह दूध पिलाया जा सके।
- मां के दूध को छह घंटे तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
- धात्री बच्चे को दिन में 10 से 12 बार स्तनपान अवश्य कराएं।
- स्तनपान कराते समय शिशु को सहलाएं।
- स्तनपान कराते समय निप्पल के साथ एरिओला का कुछ भाग शिशु के मुंह के अंदर हो।
- स्तनपान करते समय ध्यान रखें बच्चे की नाक बंद न हो।
- बकरी, गाय, भैंस का दूध पिलाने से परहेज करें, क्योंकि इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है जिसे शिशु को पचाने में परेशानी हो सकती है। मां के दूध में शिशु के लिए पर्याप्त प्रोटीन मौजूद रहता है जितनी उसे आवश्यकता है।