लखनऊ, 10 सितम्बर 2020 - आज हमने केंद्र पर महिलाओं और बच्चों को हाथ साफ़ करने के बारे में बताया तथा हाथ धोने का प्रदर्शन भी किया | यह कहना है पूर्वा आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता नविता द्विवेदी का | नविता बताती हैं – गृह भ्रमण के दौरान लाभार्थियों और परिवार के सदस्यों को हाथ धोने के बारे में जानकारी दी और प्रदर्शन करके भी दिखाया | बार-बार हाथ धोना कोविड से बचाव के तीन मुख्य उपायों में से एक है | हाथ धोने के लिए हम सुमांक (suman –k ) विधि का प्रयोग करते हैं | एस-सीधा, यू-उल्टा, एम- मुट्ठी, ए-अंगूठा एन-नाखून और क-कलाई | इस तरह से हमने लाभार्थियों को हाथ धोने का सही तरीका बताया | सबसे पहले हमें हथेली, फिर हाथ की उलटी तरफ, फिर मुट्ठी , उसके बाद अंगूठा , फिर नाखून और अंत में कलाई को धुलना चाहिए |
मुख्य सेविका स्मिता देवी बताती हैं- सुमांक विधि से हाथ धोने से पूरे हाथ की सफाई हो जाती है | इसके साथ ही एक बात बहुत जरूरी होती है कि हाथ धोने के बाद उसे हवा में ही सुखाया जाये न कि कपड़े से पोछा जाये | साथ ही हमने घर को और घर के आस-पास सफाई रखने के महत्व के बारे में भी परिवारों को बताया | नविता बताती हैं – गृह भ्रमण के दौरान हमने परिवार को बताया कि बार-बार हाथों को 40 सेकेण्ड तक साबुन और पानी से धोना है | साथ ही खाना बनाने से पहले , खाने से पहले, बच्चों को खाना खिलाने से पहले , शौच के बाद हाथों को अवश्य ही धोना है |
बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) निरुपमा बताती हैं- गुरुवार को अभियान के चौथे दिन अल्लूपुर, रसूलपुर मुजासा,खड़ता,पूर्वा सहित सभी जगह आंगनवाडी कार्यकर्ताओं द्वारा गृह भ्रमण के दौरान हैण्ड वाश डे मनाया गया | पोषण अभियान में सभी दिनों की अलग अलग गतिविधियाँ हैं | निरुपमा ने बताया- हाथों की स्वच्छता का पोषण से भी सम्बन्ध है | यदि हम शौच के बाद, खाना बनाने और खाने से पहले हाथों को साफ़ नहीं करते हैं तो हाथों की गंदगी हमारे शरीर में चली जाती है जो डायरिया जैसे बीमारियों का मुख्य कारण है और बार-बार डायरिया होने से कुपोषण भी हो जाता है | इसलिए हाथ धोने पर इतना महत्त्व दिया जा रहा है | कोरोना संक्रमण से भी हम हाथ धोकर बच सकते हैं | निरुपमा ने बताया – हम अभियान के दौरान जो भी गतिविधियाँ कर रहे हैं उनमें कोविड से बचाव के प्रोटोकॉल जैसे बार-बार हाथ धोना, मास्क लगाना और दो गज की शारीरिक दूरी का पालन कर रहे हैं |