- सात साल में 2000 से अधिक बच्चों को मिला सुपोषित जीवन
- एनआरसी में सही देखभाल से 14 दिन में 700 ग्राम बढ़ गया अयांश का वजन
लखनऊ - खदरा निवासी रूबी अपने सात माह के लाडले अयांश को प्यार से कुछ भी खिलाती थी तो वह उसे उलट देता था और निढाल पड़ा रहता था। इसी दरम्यान वह बुखार और डायरिया की भी गिरफ्त में आ गया । इसकी भनक लगते ही उसके जीवन में देवदूत बनकर आई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनुपमा ने बिना देर किये अयांश को बलरामपुर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती कराकर नया जीवन देने का काम किया।
एनआरसी की पोषण विशेषज्ञ शाहीन बताती हैं कि भर्ती के समय अयांश का वजन 4.300 किलोग्राम था और डिस्चार्ज के समय उसका वजन बढ़कर पांच किलोग्राम हो गया था। फॉलोअप के बाद वह छह किलो ग्राम का हो गया है। इलाज के दौरान बच्चे को एंटीबायोटिक्स के साथ ओआरएस का घोल, आईवी फ्लूड व सूक्ष्म पोषक तत्व भी दिए गए जिसके कारण बच्चे के वजन में 14 दिनों के भीतर 700 ग्राम की बढ़ोत्तरी हुई । यहाँ से डिस्चार्ज करने के बाद भी 15-15 दिनों पर लगातार दो माह तक बच्चे का फॉलोअप किया गया।
शाहीन का कहना है कि अयांश के कुपोषण की स्थिति में पहुँचने का एक प्रमुख कारण समय से उचित मात्रा में पूरक आहार का न मिलना था । एनआरसी में इलाज के दौरान माँ को बताया गया कि बच्चे को दिन में चार से पाँच बार घर का बना अच्छे से पका हुआ ताजा गाढ़ा खाना खिलाना है। बच्चे को थोड़ा-थोड़ा खाना खिलाएं, पहले तो बच्चा मना करेगा लेकिन धीरे-धीरे आदत पड़ने पर वह चाव से खाने लगेगा। खाने में मसला हुआ चावल, दाल, मसला हुआ आलू, केला, सूजी की खीर, दलिया आदि देना है। ऊपर से एक चम्मच तेल या घी उसमें जरूर मिलाएं। खाने की पौष्टिकता को बढ़ाने के लिए उसमें हरी सब्जियां और भूनी मूंगफली का चूरा मिला सकती हैं। बच्चे के खाने में बहुत अधिक पानी न मिलाएं और न ही उसे दाल या चावल का पानी दें क्योंकि पानी से पेट तो भर जाएगा लेकिन पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाएंगे। खाना बनाते व खाना खिलाते समय सफाई का पूरा ध्यान रखें। इसके साथ ही दो साल तक स्तनपान जरूर कराएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पहले खाना खिलाएं और बाद में स्तनपान कराएं।
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. देवेन्द्र का कहना है कि अतिकुपोषित बच्चों की स्क्रीनिंग समुदाय में आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम के द्वारा की जाती है। ओपीडी में जब अयांश आया था तो वह बुखार और डायरिया के साथ निर्जलीकरण से ग्रसित था । उसे प्राथमिक उपचार देकर एनआरसी संदर्भित कर दिया गया। एनआरसी में न केवल अतिकुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण की स्थिति में सुधार किया जाता है बल्कि माताओं को जन्म के तुरंत बाद स्तनपान कराने, छह माह तक केवल स्तनपान कराने और छह माह बाद स्तनपान के साथ पूरक आहार शुरू करने के बारे में भी जागरूक किया जाता है ।
10 बेड का है एनआरसी: बाल रोग विशेषज्ञ डा.एम.एल.भार्गव का कहना है कि पाँच वर्ष तक के वह बच्चे जो अति कुपोषण के साथ गंभीर बीमारियों से ग्रसित होते हैं उनके इलाज के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा पूरे सूबे में जिला अस्पताल में एनआरसी स्थापित किए गए हैं। लखनऊ में 10 बेड का एनआरसी है।
भर्ती बच्चे के परिजन को मिलते हैं 50 रुपये रोजाना : बाल रोग विशेषज्ञ डा. ओमकार यादव का कहना है कि एनआरसी की राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की गाइडलाइन के अनुसार यहाँ भर्ती बच्चों को इलाज मुहैया कराने के साथ आहार भी दिया जाता है। इस दौरान बच्चे की माँ या उसके किसी एक देखभाल करने वाले को 50 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से श्रमह्रास भी दिया जाता है। बच्चे के चार फॉलोअप के लिए प्रति फॉलोअप 140 रुपये दिये जाते हैं।यह राशि सीधे उनके खाते में भेजी जाती है।
बच्चे को बोतल से न पिलाएं दूध : बाल रोग विशेषज्ञ डा. ए.के. वर्मा का कहना है कि बच्चों को बोतल से दूध नहीं देना चाहिए, क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा बना रहता है । डिब्बाबंद दूध या दूध में पानी मिलाकर नहीं देना है और उसे खुद से खाना खाने के लिए प्रेरित करना है। बाल रोग विशेषज्ञ डा. अनिमेष कुमार का कहना है कि कुपोषित बच्चों में रोगों से लड़ने की क्षमता बहुत कम होती है। ऐसे बच्चों को गंभीर डायरिया और निमोनिया होने की संभावना ज्यादा होती है। वर्ष 2015 से अभी तक एनआरसी में 2000 से अधिक बच्चों का सकुशल इलाज हो चुका है।
क्या कहते हैं आंकड़े : बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आर.एम.त्रिपाठी का कहना है कि नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार लखनऊ में 11.5 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन उनकी लंबाई के अनुपात में कम है, 1.4 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन उनकी लंबाई के अनुपात में बहुत कम है तथा 25.5 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन उनकी आयु के अनुपात में कम है।