आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषण रेसिपी का हुआ प्रदर्शन



  • गुड़, चना और सहजन में मौजूद पोषक तत्वों के बताये गए फायदे

औरैया - जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी के नेतृत्व में चल रहे पोषण माह के अंतर्गत जनपद के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर सोमवार को स्थानीय व्यंजनों पर आधारित रैसिपी का प्रदर्शन किया गया। आसानी से उपलब्ध खाद्य पदार्थों के माध्यम से तैयार होने वाली रैपिसी गर्भवती, धात्री महिलाओं और किशोरियों के लिए किसी रामबाण से कम नहीं।

ग्राम पंचायत भीखमपुर में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यकर्ता प्रभा देवी एवं सहायिका ने स्थानीय खाद्य पदार्थों से निर्मित व्यंजनों की प्रदर्शनी लगाई। इसमें पुआ, मंगौड़ा, खुर्मी, नमकीन, गुलगुल बनाए गए। साथ ही रवा के लड्डू, मूंगफली के लड्डू, पोषक सब्जी और पौष्टिक दालों का भी प्रदर्शन किया गया। सहजन की पत्तियों से परांठे और गुड़, चना से निर्मित व्यंजन भी बनाए गए।

इस मौके पर जिला कार्यक्रम अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने कहा  कि माँ, बच्चों के लिये प्रथम शिक्षिका होती है जो उन्हें स्वास्थ्य के बारे में कैसे रख-रखाव करना चाहिए इसका प्रथम पाठ देती हैं। कार्यक्रम में विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के भी स्टॉल लगाए गए थे। इस दौरान समुदाय द्वारा रंगों से बनायी रंगोली के माध्यम से कुपोषित व अतिकुपोषित एवं सामान्य श्रेणी के बच्चों के बारे में विस्तार से बताया गया।

इस अवसर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा पोषण संदेश के माध्यम से बच्चों को ऊपरी आहार जिसमे 6 माह से 8 माह तक 200 ग्राम, 9 माह से 12 माह तक 300 ग्राम व 18 माह तक के बच्चों को 500 ग्राम चतुरंगी खाना खिलाना चाहिए जिसमें विटामिन, वसा, प्रोटीन व मिनरल्स आदि का समुचित उपयोग हो। इस दौरान पोषण के प्रथम 1000 दिन, डायरिया से बचाव के लिए हाथ धुलने की प्रक्रिया व पौष्टिक आहार को लेकर चर्चा की गयी। इसके अलावा सभी को पोषण शपथ भी दिलाई गयी।

इस मौके पर बाल विकास परियोजना अधिकारी सुधा त्रिपाठी ने बताया कि  गांवों में उक्त खाद्य पदार्थ आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इनका सेवन करने से लौह तत्वों की प्राप्त होती है। जिसमें महिलाओं एवं किशोरियों में खून की कमी (एनीमिया) रोग नहीं हो पाता है। उन्होंने बताया की कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को स्थानीय व्यंजनों की पौष्टिकता से रूबरू कराना था।

इस दौरान धात्री लाभार्थी गीता देवी से पौष्टिक भोजन के बारे में प्रश्न पूछे जाने पर उन्होंने बताया की पौष्टिक एवं विटामिन युक्त भोजन ग्रहण करने से शारीरिक एवं बौद्धिक विकास होता है तथा धात्री लाभार्थी पूनम से टीकाकरण के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि टीकाकरण से बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकता है।

कार्यक्रम में केंद्र के सभी लाभार्थी गर्भवती, धात्री महिलाओं एवं बच्चों ने प्रतिभाग किया।