बारिश से बढ़े संचारी रोग, अस्पताल में डेंगू वार्ड तैयार



बाराबंकी  - प्रदेश में स्वाइन फ्लू व डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए जिले में सतर्कता बरती जा रही है। जिला चिकित्सालय में स्पेशल वार्ड बनाए गए हैं। सीएमएस डा. बृजेश कुमार ने बताया कि स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए आठ बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया। वहीं, आठ बेड का संचारी रोग वार्ड भी तैयार किया गया है। आठ बेड का डेंगू वार्ड भी बनाया गया है। चिकित्सालय में डेंगू, स्वाइन फ्लू व संचारी रोग से निपटने के लिए टीम भी बनाई गई है।

सीएमएस ने बताया कि इस समय मौसमी बीमारी डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड, निमोनिया चिकनगुनिया तमाम बीमारियों से पीड़ित मरीज अस्पताल में आ रहे हैं, जिला अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में भी इस मौसमी मरीजों की संख्या बढ़ रही है। हालांकि बहुत सारे मरीज होते हैं वह ओपीडी में चिकित्सक से परामर्श लेकर वापस चले जाते हैं। वही इमरजेंसी में इस समय कुछ गंभीर मरीज आ रहे हैं जिन्हें इलाज दिया जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि बीते कुछ दिनों से बारिश होने के कारण अस्पतालों में मरीजों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है। इसके लिए जिला अस्पताल में 8 बेड का एक डेंगू वार्ड एवं 8 बेड का स्वाइन फ्लू वार्ड  बनाया गया है। इसके लिए अस्पताल में संबंधित दवाएं, पीपीई किट, ग्लब्स सहित अन्य जरूरी सामग्री भी उपलब्ध हैं।

संचारी रोग को लेकर है तैयारी: एसीएमओ एवं संचारी रोग के नोडल अधिकारी डा डीके श्रीवास्तव ने बताया कि एक अक्टूबर से संचारी रोग जैसे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि पर नियंत्रण के लिए विशेष अभियान चल रहा है। 21 अक्टूबर तक दस्तक अभियान भी चलेगा। उन्होंने बताया कि बीते दिनों हुई बारिश के कारण शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र के कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां संचारी रोगियों की संख्या बढ़ सकती है। ऐसे में मरीजों का ख्याल रखते हुए इस बार पहले से तैयारी कर ली गई है।

स्वाइन फ्लू से लक्षण व बचाव के तरीके: स्वाइन फ्लू के कई सामान्य लक्षण हैं। बुखार, खांसी, दर्द, नाक बहना, तेज ठंड का लगना, नाक बंद हो जाना, गले में खराश, कमजोरी, शरीर में दर्द व उल्टी आना आदि इसके लक्षण हैं। वहीं इसके बचाव के लिए खांसते और छींकते समय मुंह को ढककर रखें, खाना खाने से पहले हाथों को अच्छे से धो लें,मास्क पहनकर रखें, साफ कपड़ों/रूमाल का इस्तेमाल करें, भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहें। बच्चों, गर्भवती व बुजुर्गों के लिए समय पर उपचार न होने से यह घातक हो जाता है। ऐसे में यदि इस तरह के लक्षण महसूस हों तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें। एचवन, एनवन की जांच कराएं। जुकाम व बुखार से पीड़ित व्यक्ति से दूरी बनाएं।

डेगू के लक्षण व बचाव : डेगू बीमारी की शुरूआत तेज बुखार और सिरदर्द व पीठ में दर्द से होती है। शुरू के दिनों में शरीर के जोड़ों में दर्द होता है।, आंखे लाल हो जाती है। डेगू बुखार दो से चार दिनों तक होता है उसके बाद शरीर का तापमान धीरे-धीरे अपने आप नार्मल होने लगता है। बुखार के साथ ही साथ शरीर में खून की कमी होने लगती है। डेगू से बचने के लिए मच्छरों के प्रकोप से बचना चाहिए। अपने घरों के आसपास पानी को इकठ्ठा न होने दे।

मलेरिया के लक्षण व बचाव :  तेज बुखार से ठंड लगना, उल्टी दस्त, तेज पसीना आना तथा शरीर का तापमान 100 डिग्री सेटीग्रेड से उपर बढ़ जाना, सिर दर्द, शरीर में जलन तथा मलेरिया में बुखार आने पर शरीर में कमजोरी होना। मलेरिया से बचाव के लिए घर के आसपास पानी को एकत्रित न होने दे। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करे। नीम के पत्ती का धुंआ करे। अपने घर के नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर रक्त की जांच अवश्य करवाने का कार्य करे। बुखार होने पर तुरंत इसकी जांच कराएं, अगर जांच में मलेरिया पाया जाता है तो पूरे 14 दिन तक गोली खाएं ।