- सीआईआई के सहयोग से आयोजित वर्चुअल परिचर्चा में बनी रणनीति
- पीएम के वर्ष 2025 तक देश से टीबी उन्मूलन के संकल्प को दोहराया
लखनऊ, 11 सितम्बर-2020 - देश से वर्ष 2025 तक क्षय रोग (टीबी) उन्मूलन के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को समय से पहले पूरा करने को लेकर विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है । इसी क्रम में शुक्रवार को कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इन्डियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के सहयोग से “टीबी फ्री वर्कप्लेसेस रीजनल राउंड टेबल : उत्तर प्रदेश” पर वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित किया गया । इसमें औद्योगिक क्षेत्र के कार्यस्थलों को टीबी फ्री बनाने के लिए उठाये जाने वाले जरूरी क़दमों पर गंभीरता से विचार-विमर्श किया गया ।
इस मौके पर सेन्ट्रल टीबी डिविजन के प्रमुख व डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉ. के. एस. सचदेवा ने टीबी के खात्मे को लेकर प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करने में उत्तर प्रदेश के योगदान पर चर्चा की और कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों को टीबी फ्री बनाने से अभियान को एक गति मिलेगी । उन्होंने उत्तर प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में इस दिशा में उठाये जाने वाले हर कदम पर मदद का भरोसा दिया ।
परिचर्चा में भाग लेते हुए किंग जार्ज चिकित्सा विश्विद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष व स्टेट टीबी टास्क फ़ोर्स के चेयरमैन डॉ. सूर्यकांत ने औद्योगिक क्षेत्रों के टीबी मरीजों के स्वस्थ होने के बाद भी उनकी शारीरिक और आर्थिक स्थिति पर पड़ने वाले असर पर प्रकाश डाला और क्षयरोगियों को पूर्ण सहयोग दिए जाने पर बल दिया । उन्होंने कहा कि 75 फीसदी टीबी मरीज तो इलाज के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं किन्तु 25 फीसद मरीजों की स्थिति ऐसी नहीं रह जाती कि वह बहुत श्रम वाला काम कर सकें । उनके फेफड़े का धब्बा बना रह जाता है, ऐसे में सांस फूलने और और खांसी आदि की समस्या बनी रहती है, एक तरह से कहा जाए तो वह दिव्यांगों की श्रेणी में पहुँच जाते हैं । धुल-धुंआ में उनके कार्य करने की स्थिति नहीं रह जाती । इसलिए औद्योगिक क्षेत्रों को इस पर विचार करना होगा कि उनको उसी तरह का काम दिया जाए जो वह आसानी से कर सकें और जरूरत पड़ने पर उनके पुनर्वास की व्यवस्था भी की जाए ।
इस मौके पर राज्य क्षय रोग कार्यक्रम अधिकारी डॉ. संतोष गुप्ता ने टीबी के रोकथाम के लिए किये जा रहे प्रयासों और चिन्हित मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी । उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र के चिन्हित क्षय रोगियों को चिकित्सीय अवकाश, अन्य जरूरी सहयोग, पुनः कार्य पर रखे जाने और चिकित्सीय अभिलेखों को सुरक्षित रखे जाने पर जोर दिया । परिचर्चा में भाग लेते हुए सीआईआई हेल्थकेयर काउन्सिल की सलाहकार डॉ. शबनम सिंह ने औद्योगिक क्षेत्र के मालिकों और कर्मचारियों दोनों को टीबी से सुरक्षित रखने के लिए बड़े पैमाने पर काम करने की जरूरत पर बल दिया । उन्होंने कहा कि इसके लिए उनका संगठन हर स्तर पर कार्य करने को तैयार है । प्राइवेट सेक्टर इंगेजमेंट, ग्लोबल फंड के वरिष्ठ सलाहकार स्टेवेन पार्किन्सन ने क्षयरोगियों पर पड़ने वाले आर्थिक असर पर प्रकाश डाला और मुंबई के डायमंड वर्कर पर किये गए कार्य का उदाहरण प्रस्तुत किया । उसी तरह से यहाँ भी कार्य किये जाने पर उन्होंने जोर दिया । परिचर्चा में राज्य टीबी प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र भटनागर ने भी औद्योगिक क्षेत्रों के लिए अगले माह वर्चुअल ट्रेनिग प्रोग्राम आयोजित करने की बात कही । कार्यक्रम का संचालन सीआईआई यूपी स्टेट काउन्सिल के चेयरमैन अंकित गुप्ता ने किया और कार्यक्रम में शिरकत लेने वालों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया ।