कोरोना वायरस महामारी (कोविड-19) ने दुनिया के हर महाद्वीप को प्रभावित किया है । कोविड-19 पर अनुसंधान हो रहे हैं और देशों में तेजी से विकसित संपर्क अनुरेखण प्रणाली (कान्टेक्ट ट्रेसिंग सिस्टम) बनाई गयी हैं, जो कि सम्पूर्ण रोकथाम की रणनीति और प्रबंधन तय करता है । 2014-15 में पश्चिम अफ्रीका में इबोला वायरस रोग (ईवीडी) और सार्स प्रकोप (2003) के पूर्व अनुभवों पर विशेषज्ञ काफी हद तक निर्भर कर रहे हैं, न केवल इस वायरस के चरित्र के मामले में, बल्कि मानव के अपने सामाजिक संदर्भ में भी कई समानताएँ दर्ज की गई हैं ।
यह स्पष्ट है कि अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया में निम्न-मध्य आय वाले देश, जैसे- भारत में विशेष रूप से महिलाएँ लैंगिक असमानताओं एवं यौन और प्रजनन स्वास्थ्य व अधिकार (एसआरएचआर) जैसे स्वास्थ्य मुद्दों के कारण विशेष रूप से नुकसान में हैं । कोविड-19 के समय में गर्भ निरोधक सेवाओं की उपलब्धता एवं कमी, व्यापक रूप से युवाओं के लिए बताई जा रही है । लॉकडाउन के कारण गर्भनिरोधक संबंधित सेवाएं प्रभावित हुईं थी । इस आपातकाल के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने कई कदम उठाए हैं, ताकि समाज पर कोविड -19 का प्रतिकूल प्रभाव कम से कम हो । अन्य राज्यों से आने वाले प्रवासियों सहित बड़ी संख्या में युवाओं को गर्भ निरोधक सेवाओं की जरूरत थी । युवा एवं कम बच्चों वाले विवाहित जोड़े, (वाईएलपीसी) गर्भ निरोधक लाभार्थियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं । स्वास्थ्य कार्यकर्ता, जो इस समुदाय तक पहुंचते हैं, पहले से ही कोविड -19 से संबंधित गतिविधियों में लगे हुए थे जिसकी वजह से गर्भ निरोधक का प्रचार एवं उपलब्धता युवा लोगों के बीच कम हो गयी थी । भारत में युवा वर्ग के बीच गर्भ निरोधक के सीमित आंकड़े उपलब्ध हैं , हालांकि एक ताजा अध्ययन “उदया” यह सूचित करता है कि कोविड -19 के दौरान उत्तर प्रदेश में 18-24 वर्ष की आयु की युवा महिलाओं में पोषण और शिशु टीकाकरण के बाद गर्भ निरोधक सेवाओं की मांग, तीसरी सबसे बडी मांग थी । इसके अलावा, इस अध्ययन से यह संकेत मिलता है कि प्रदेश में केवल कुछ ही लाभार्थियों ने महामारी के प्रारंभिक चरण में इन सेवाओं को प्राप्त किया है ।
उत्तर प्रदेश सरकार ने जन मानस के लिए इन सेवाओं को फिर से शुरू कर दिया है । स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा गर्भ निरोधक गोलियां (माला-एन व छाया) और कंडोम वितरित किए जा रहे हैं । इसी प्रकार सावधानी बरतते हुए सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंशिंग) का ध्यान रखते हुए पुरुष और महिला नसबंदी को छोड़कर सभी सेवाओं को पहले की तरह फिर से शुरू कर दिया गया है । आपातकालीन सेवाओं के रूप में सुरक्षित गर्भपात और नसबंदी की सेवाएं भी प्रदान की जा रही हैं । इसलिए तकनीकी रूप से सभी परिवार कल्याण संबंधी सेवाओं का संचालन किया जा रहा है जो कि इस उभरते हुए मुद्दे से निपटने के लिए एक उत्तम निवारक दृष्टिकोण है । एएनएम और आशा सहित सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ता जो कि विशेष रूप से कोविड -19 के लिए कार्य कर रहे है, उन्हें कोई अन्य कार्य नहीं दिया जा रहा है और वैकल्पिक व्यवस्थायें की गई है । सामाजिक दूरी और स्वच्छता का पालन करते हुए ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण दिवस (वीएचएसडी) सत्र शुरू कर दिये गए हैं जहां कंडोम और अन्य गर्भ निरोधकों का वितरण किया जा रहा है । परिवार नियोजन सेवाओं के कार्यान्वयन के दौरान कोविड -19 वायरस के संचार को प्रतिबंधित करने और रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी सामान्य दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन किया जा रहा है ।
इस महत्वपूर्ण समय में सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के लिए पिछले कुछ वर्षों में किए गए प्रयासों से होने वाले लाभ को बरकरार रखा जा सके । इसके तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी लाभार्थियों को गर्भ निरोधक सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए एक सरकारी आदेश भी जारी किया है । राज्य ने स्वास्थ्य देखभाल के साथ-साथ प्रवासियों के लिए आजीविका और सामाजिक सुरक्षा का अधिकार भी सुनिश्चित किया है । स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीण निवासियों के लिए परिवार नियोजन सेवाओं के तरीकों की स्थानीय पहुँच बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं । सेवा प्रदाताओं द्वारा समुदाय की आवश्यकता को पूरा करने के लिए प्रसव पूर्व सेवायें, टीकाकरण, कंडोम और गर्भ निरोधकों के वितरण को फिर से शुरू किया गया है । उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा एक नये कदम के रूप में यह भी सुनिश्चित किया कि प्रवासी श्रमिकों को क्वारंटीन केंद्र छोड़ने से पहले गर्भ निरोधक प्रदान किया गया था ।
वर्तमान महामारी की विशालता और चुनौतियों के बावजूद हमें निवारक स्वास्थ्य उपायों को स्वास्थ्य सेवाओं के केंद्र में रखने का एक और मौका दिया गया है । जहां एक ओर कोविड वायरस की जांच और दवा से निदान पर सबका ध्यान केंद्रित है, इस स्थिति से निपटने हेतु पोलियो और एचआईवी की तरह रणनीतियों का निर्माण करना होगा जैसे सामाजिक-स्वास्थ्य शिक्षा को अपनाकर किए गए थे। गर्भ निरोधक को हमेशा मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सबसे प्रभावी रोकथाम उपाय के रूप में माना जाता है और हमें तृतीयक देखभाल सेवाओं में सुधार करते हुए अपना ध्यान वापस निवारक स्वास्थ्य (प्रिवेंटिव हेल्थ) पर लाने की आवश्यकता है ।
इस तरह के कठिन समय के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने 11 जुलाई से विश्व जनसंख्या पखवाड़े को आयोजित कर जनसंख्या स्थिरीकरण पर ध्यान केंद्रित किया और 26 सितंबर 2020 को विश्व गर्भ निरोधक दिवस को आयोजित करके इस गति को जारी रखने का प्रयास है । गर्भनिरोधक के प्रति जागरूकता बढ़ाने और युवाओं को उनके यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के प्रति सक्षम बनाने के लिए राज्य प्रतिबद्ध है ।