विश्व हृदय दिवस (29 सितम्बर) पर खास - लाइफ स्टाइल में लाएं बदलाव, हृदय रोग से होगा बचाव



- खानपान व दिनचर्या का रखें ख्याल, व्यायाम व योगा को अपनाएँ
- चिंता और तनाव का अनावश्यक बोझ न डालें नाजुक से दिल पर   

लखनऊ, 28 सितम्बर - 2020 - पहले जिन बीमारियों को उम्र के दूसरे पड़ाव यानि 50 साल की उम्र के बाद की बीमारी माना जाता था, वह आज 30 साल की उम्र में ही लोगों को घेरने लगी हैं । बदलती लाइफ स्टाइल, जंक फूड का सेवन और शारीरिक श्रम से मुंह मोड़ना इसके प्रमुख कारण के रूप में उभरकर सामने आ रहे हैं । इसके अलावा शराब और धूम्रपान करने वाले भी इन बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं । इससे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग हृदय भी अछूता नहीं रहा, जबकि हर आती -जाती सांस की डोर का सीधा जुड़ाव इसी से है। इसके लिए जो सबसे अधिक जरूरी है वह यह है कि पूरी ईमानदारी से दिनचर्या का पालन करें, नियमित व्यायाम करें, खानपान पर ध्यान दें और चिंता व तनाव से दूर रहें । डायबिटीज और कोलेस्ट्राल को नियंत्रित रखें । इसके प्रति जागरूकता के लिए ही हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है ।

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कार्डियोलाजी डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. अक्षय प्रधान का कहना है कि कोरोनरी धमनियों की आंतरिक दीवारों पर कोलेस्ट्राल या वसा के जमाव से रक्त के प्रवाह में दिक्कत आती है । इसके चलते हृदय को कम मात्रा में रक्त की आपूर्ति हो पाती है । इसके चलते हृदय को सही ढंग से कार्य करने के लिए जरूरी पोषक तत्वों और ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ता है। इसके चलते सीने में दर्द की शिकायत होने लगती है, जिसे एंजाइना भी कहते हैं। यदि हृदय की मांशपेशी को रक्त आपूर्ति करने वाला हिस्सा पूरी तरह से कार्य करना बंद कर देता है तो दिल का दौरा पड़ सकता है। यह आज मौत का बड़ा कारण बन चुका है। डॉ. प्रधान का कहना है कि हृदय की बीमारी कम उम्र में ही लोगों में देखने को मिल रही है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग अब 30 साल के ऊपर के सभी लोगों को हायपरटेंशन और डायबिटीज़ की स्क्रीनिंग की सलाह देता है।

कोरोना के बाद खून जमने की प्रवृत्ति देखने में आ रही :  किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. हरीश गुप्ता का कहना है कि इस वर्ष विश्व हृदय दिवस पर यह बताना जरूरी हो गया है कि कोरोना वायरस का इन्फेक्शन होने के बाद कुछ लोगों में खून जमने की प्रवृत्ति भी देखी जा रही है । खून जमने की प्रवृत्ति से दिल का दौरा, फालिस और पैर की नाडियों में खून जमने से अनेक जटिलताएं देखी जाती हैं और सही समय पर सही दवाओं की सही खुराक लेने से इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है । शुरू में लोग यह मानने लगे थे कि इस वायरस से सिर्फ फेफड़ों को ही खतरा है, शरीर के किसी और हिस्से जैसे-दिल को नहीं लेकिन अब हम इस रोग के बहुआयामी रूप को देख रहे हैं और लोगों को सचेत कर रहे हैं । कुछ स्वस्थ व युवा मरीजों में कोरोना इन्फेक्शन में हृदय में सूजन भी देखी जा रही है । हालाँकि ज्यादातर मामलों में इसका कोई असर नहीं होता और कुछ समय बाद यह अपने आप गायब हो जाती है । कुछ मरीजों में इस सूजन की वजह से दिल की धड़कन की रफ़्तार का अनियमित होना, हृदय का फेल होना और उसकी वजह से कमजोरी, थकावट,चक्कर आना व सांस फूलना देखा जा रहा है ।

होम्योपैथी में भी है इलाज : केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद्, भारत सरकार के पूर्व सदस्य एवं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अनुरुद्ध वर्मा का कहना है कि होम्योपैथी द्वारा गंभीर हार्ट अटैक को छोड़कर उच्च रक्तचाप को कम करने एवं अन्य हृदय रोगों के प्रबंधन व रोकथाम करने में बड़ी भूमिका है । होम्योपैथिक औषधियां हृदय तंत्र पर कार्य करती हैं । अनिमित नाडी, सांस फूलना, उच्च रक्तचाप एवं अन्य हृदय रोगों को पूरी तरह से ठीक करने में कारगर हैं ।  

क्या आप जानते हैं : दिल एक मिनट में 72 बार और 24 घंटे में 100800 बार धड़कता है। इसके अलावा एक दिन में 2000 गैलन खून की पंपिंग करता है । इसीलिए इसे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है।

हृदय रोग के मुख्य कारण : धूम्रपान, मदिरापान, अजीर्ण, अत्यधिक वसा व चिकनाई युक्त भोजन, उच्च रक्तचाप, शरीर में ज्यादा चर्बी, अधिक कोलेस्ट्राल, अत्यधिक चिंता और मधुमेह हृदय रोग के मुख्य कारण हैं।

हृदय रोग के मुख्य लक्षण : छाती में बाईं ओर या छाती के बीच में दर्द या दबाव महसूस होना, सांस तेज चलना, पसीना आना, छाती में दर्द के साथ पेट में जलन, पेट भारी लगना, उल्टी होना और शारीरिक कमजोरी महसूस होना, घबराहट और बेचैनी महसूस करना हृदय रोग के प्रमुख लक्षण हैं। मधुमेह रोगियों को दर्द या बिना दर्द के भी हृदय रोग का आघात हो सकता है।
कैसे करें बचाव : शरीर में ज्यादा चर्बी, अधिक कोलेस्ट्राल, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, चिंता व तनाव से बचें। धूम्रपान, मदिरापान, वसा एवं चिकनाई युक्त भोजन से परहेज करें। नियमित व्यायाम, आधे घंटे तक टहलना, नियमित दिनचर्या का पालन, संतुलित भोजन, प्रतिदिन छ्ह से सात घंटे तक की निद्रा और आराम जरूर करें।