जाँच का दायरा बढ़ाएंगे - टीबी को जड़ से मिटाएंगे



- 144 सीबीनाट मशीन के बाद प्रदेश को मिलीं 458 ट्रूनेट मशीन से जाँच में आई तेजी, डिजिटल एक्स-रे मशीन से भी जाँच  
- ड्रग कल्चर लैब भी क्षय रोग उन्मूलन के संकल्प को पूरा करने में बनेंगे सहायक

लखनऊ, 14 जनवरी-2020 - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2025 तक देश से क्षय रोग यानि टीबी को जड़ से ख़त्म करने के संकल्प को अमलीजामा पहनाने में जुटे क्षय रोग विभाग का पूरा फोकस जांच का दायरा बढ़ाने पर है । जाँच जितनी जल्दी होगी उतनी ही जल्दी टीबी मरीजों का इलाज शुरू हो सकेगा क्योंकि जाँच में देरी से एक टीबी ग्रसित साल भर में 12 से 15 लोगों को अनजाने में टीबी मरीज बना सकता है । इस कड़ी को जल्द से जल्द ख़त्म करने के लिए जांच की अत्याधुनिक मशीनों को जिला और ब्लाक स्तर तक स्थापित किया जा रहा है । अत्याधुनिक सीबीनाट मशीन के बाद अब ट्रूनेट मशीन इस दिशा में बड़ी मददगार बनी हैं । इस समय प्रदेश में जहाँ 144 सीबीनाट मशीनों से जांच हो रही है वहीँ हाल ही में 458 ट्रूनेट मशीनें विभिन्न जिलों में स्थापित कर जांच के दायरे को बढ़ाया गया है ।

​राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. संतोष गुप्ता का कहना है कि जाँच का दायरा बढ़ाने के उद्देश्य से ही साल भर में दो बार सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान चलाया जाता है । वर्तमान में प्रदेश में ‘टीबी हारेगा-देश जीतेगा’ थीम के तहत 26 दिसम्बर से 25 जनवरी तक टीबी मरीजों की खोज के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है । इसके तहत प्रथम चरण में अनाथालय, नारी निकेतन, वृद्धाश्रम, कारागार व कई अन्य सार्वजानिक स्थलों पर टीबी मरीजों की खोज की गयी, दूसरे चरण में दो से 12 जनवरी तक घर-घर जाकर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने लोगों की स्क्रीनिंग की और जिनमें लक्षण नजर आये, उनके बलगम की जांच करायी गयी । तीसरे चरण में 13 से 25 जनवरी तक निजी क्षेत्र के चिकित्सकों, केमिस्ट व लैब तक स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंचेगी और उनको टीबी मरीजों के नोटिफिकेशन के लिए प्रेरित करेगी । इसके साथ ही जिसमें टीबी की पुष्टि होती है उसकी तत्काल दवा शुरू कर दी जाती है ताकि बीमारी को फैलने से जल्दी से जल्दी रोका जा सके । इसके अलावा भारतीय डाक विभाग से भी करार किया गया है कि डाकिया दूर-दराज के क्षेत्रों से सैम्पल जाँच के लिए लैब तक पहुंचा रहे हैं, इससे भी जांच में तेजी आई है । डिजिटल एक्स-रे मशीन की संख्या बढ़ाने पर भी पूरा जोर है ताकि जांच के दायरे को और बढ़ाया जा सके ।

ड्रग कल्चर लैब से भी मिली मदद : वर्तमान में प्रदेश के छह जिलों- लखनऊ, आगरा, मेरठ, प्रयागराज, वाराणसी तथा अलीगढ में टीबी के कल्चर एवं ड्रग सेंसिटिविटी टेस्ट की सुविधा है तथा जल्द ही प्रदेश सरकार द्वारा चार जनपदों- झाँसी, कानपुर, गोरखपुर और सैफई-इटावा में इस लैब को स्थापित करने की कार्यवाही चल रही है । इससे भी टीबी को देश से ख़त्म करने में बड़ी मदद मिलेगी ।

सीबीनाट व ट्रूनेट मशीन की खासियत : ​सीबीनाट मशीन से दो घंटे में जांच हो जाती है । मरीज पर टीबी रोधक दवाएं काम करतीं हैं या नहीं इसकी जानकारी भी तत्काल मिल जाती है । इससे पहले माइक्रो स्कोप मशीन से जांच होती थी, जिसमे समय अधिक लगता था ।  ट्रूनेट मशीन से भी टीबी की जाँच रिपोर्ट दो घंटे के भीतर मिल जाती है ।  इसको अब ब्लाक स्तर पर लगाया जा रहा है ताकि लोगों को टीबी की जांच की सुविधा घर के करीब मिल सके । इस मशीन से कोरोना की जांच में भी बड़ी मदद मिली है ।   ​

निक्षय पोषण योजना बनी मददगार : ​टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रूपये प्रतिमाह दिए जाने के लिए अप्रैल 2018 में लायी गयी निक्षय पोषण योजना बड़ी मददगार साबित हुई है । योजना के तहत प्रदेश में अब तक 162 करोड़ रुपये की धनराशि प्रत्यक्ष लाभ हस्तातंरण के माध्यम से क्षय रोगियों को प्रदान की जा चुकी है, इसमें वर्ष 2018 में करीब 66 करोड़ रूपये, वर्ष 2019 में करीब 72 करोड़ रूपये और जनवरी 2020 से अब तक करीब 22 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया है । यह भुगतान सीधे बैंक खाते में किया जाता है । जिन क्षय रोगियों का बैंक खाता नहीं है, उनका खाता इन्डियन पोस्टल पेमेंट्स बैंक द्वारा घर जाकर खोला जा रहा है ।
 
टीबी के प्रमुख लक्षण :
- दो सप्ताह से अधिक समय से खांसी व बुखार आना,
- भूख न लगना,
- वजन घटना, छाती में दर्द और कमजोरी होना