सौ साल से अधिक पुराना है मास्क का इतिहास



  • कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एक जरूरी हथियार बनकर आया सामने

लखनऊ,15 फरवरी 2021 - कोरोना के दौर में संक्रमण से बचने के लिए मास्क का उपयोग पिछले एक साल में सबसे बड़ी सार्वजानिक चर्चा और राजनीतिक बहस का विषय रहा है लेकिन  अगर हम देखें तो मास्क का इतिहास 100 साल से ज्यादा पुराना  है |

इन्डियन जर्नल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईएमजेआर) में प्रकाशित संस्करण “फेस मास्क –कोविड -19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक जरूरी हथियार” में कहा गया है कि मास्क संक्रमित बूंदों के प्रसार को रोकने के अलावा बेहद सस्ते,उपयोग में आसान और खासकर भीड़ भाड़ वाली  जगहों के लिए काफी प्रभावी है |

मास्क का प्रयोग सबसे पहले सामुदायिक स्तर पर वर्ष 1911 में चीन में मंच्यूरियन प्लेग के समय किया गया था | इस महामारी के दौरान बीमारी से बचाव में जुटी टीम ने  अनुभव किया कि यह बीमारी हवा के माध्यम से फ़ैल सकती है और इसलिए मरीजों को क्वेरेंटाइन करने के आलावा लोगों को पतले कपड़े या पट्टी से बने मास्क पहनने की सलाह दी गयी |

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. ए.के.चौधरी ने बताया- कोरोना संक्रमण के अलावा मास्क श्वसन संक्रमण जैसे इन्फ्लुएंजा और टीबी को फैलने से रोकने में मददगार है | टीबी के मरीजों को छींकते और खांसते समय मुंह पर कपड़ा रखने की सलाह दी जाती है | टीबी के मरीज द्वारा मास्क का उपयोग करने से इस बीमारी के प्रसार को काफी हद तक कम किया जा सकता है |

डा. चौधरी ने बताया- भारत में 30 जनवरी 2020 को कोविड -19 की पहली दस्तक के बाद यात्रा प्रतिबंधों से सम्बंधित जारी एडवाइजरी, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेश से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग, उड़ानों पर प्रतिबन्ध और 24 मार्च से पूरे देश में लॉक डाउन जैसे उपायों द्वारा कोविड -19 के प्रसार को रोकने की कोशिश की गयी | इसके आलावा सार्वजानिक रूप से मास्क के उपयोग को प्रोत्साहित भी किया गया |

मास्क के प्रकार : आमतौर पर बाजार में तीन प्रकार के  मास्क उपलब्ध हैं : कपड़े के मास्क, चिकित्सीय मास्क और रेस्पिरेटरी मास्क (एन-95 और एन- 99 )

कपड़े से बने मास्क मोटे कणों को सांस के साथ बहार जाने से रोकते हैं और छोटे कणों के प्रसार को भी रोकते हैं | कई परतों वाला कपड़े का मास्क सांस से निकलने वाले कणों को 50 से 70 फीसद तक फ़िल्टर कर लेता है | कपड़े के मास्क की प्रभावशीलता विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है जैसे कि कपड़े के प्रकार, परतों की संख्या और चेहरे के अनुसार मास्क की फिटिंग | मोटे कपड़ों से बना तीन परतों वाला कपड़े का मास्क पहनना सबसे उपयुक्त माना गया है |