योजनाओं का लाभ उठाएं – जच्चा-बच्चा को स्वस्थ बनाएं



  • गर्भावस्था की समुचित देखभाल से लेकर सुरक्षित प्रसव तक का है पूरा इंतजाम
  • हर कदम पर जागरूक रहकर घर में खुशियाँ लायें

हरदोई, 27 फरवरी 2021  - सुरक्षित प्रसव और जच्चा-बच्चा के बेहतर स्वास्थ्य को लेकर स्वास्थ्य विभाग हरसंभव कोशिश में जुटा है | सरकार भी ऐसी योजनाओं को धरातल पर उतारने में जुटी है ताकि गर्भवती को किसी भी तरह की मुश्किल का सामना न करने पड़े, क्योंकि हर गर्भवती का एक ही सपना होता है कि एक स्वस्थ और तंदुरुस्त बच्चा उसकी बांहों में हो | गर्भवती का यह सपना तभी साकार हो सकता है जब वह स्वास्थ्य विभाग की इन योजनाओं का लाभ उठाने को आगे आये और क्षेत्रीय आशा, एएनएम और चिकित्सक की सलाह को पूरी तरह से गाँठ बाँध ले |

प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य  (आरसीएच) के नोडल अधिकारी एवं अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. स्वामी दयाल का कहना है -गर्भवती  को सबसे पहले अपना पंजीकरण स्वास्थ्य केंद्र पर कराना चाहिए |  चार प्रसव पूर्व जांचें करानी चाहिए ताकि यदि कोई जटिलता है तो समय से उसका प्रबंधन हो सके | उच्च खतरे वाली गर्भावस्था का पता लगते ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता मातृ शिशु सुरक्षा कार्ड (एमसीपी) पर लाल बिंदी लगा देते हैं जिसे देखकर चिकित्सालय में प्राथमिकता के आधार पर इलाज मुहैया कराया जाता है |

प्रसव, जहाँ तक संभव हो अपने सबसे पास के स्वास्थ्य केंद्र पर ही कराना चाहिए जिसका निर्णय स्वास्थ्य कार्यकर्ता के साथ मिलकर पहले से ही कर लेना चाहिए | प्रसव से पहले कुछ आवश्यक तैयारियां जैसे पैसे का प्रबंधन, एम्बुलेंस का नम्बर तथा व्यक्ति की पहचान जिसके साथ आप अस्पताल जायेंगे और स्वास्थ्य सुविधा की पहचान आदि | प्रसव होने के बाद तब तक महिला को अस्पताल से वापस घर नहीं जाना चाहिए जब तक चिकित्सक उन्हें घर वापस जाने को न कहें |

डा. दयाल के अनुसार- ग्रामीण इलाकों में पीएचसी व ब्लाक पर सीएचसी हैं | सामान्य प्रसव तो इन केन्द्रों पर हो जाते हैं लेकिन यदि प्रसव में कोई जटिलता है तो यहाँ से महिला को जिला अस्पताल /मेडिकल कॉलेज में रेफर  कर दिया जाता है | इसके लिए एम्बुलेंस 102 की सुविधा उपलब्ध है |  गर्भवती को  एम्बुलेंस 102 के द्वारा ही उच्च स्वास्थ्य केंद्र जैसे मेडिकल कॉलेज जाना चाहिए क्योंकि समय व्यर्थ नहीं होता है और चिकित्सक प्राथमिकता के आधार पर मरीज का इलाज करते हैं | ऐसे में गर्भवती महिला/परिवार के सदस्यों को चिकित्सकों  व स्वास्थ्य कार्यकर्ता की सलाह को मानते हुए जिला अस्पताल/उच्च स्तरीय स्वस्थ्य केंद्र पर ले जाना चाहिए |

नोडल अधिकारी बताते हैं - इन सभी सुविधाओं को आम आदमी तक निःशुल्क पहुँचाने के लिए सरकार द्वारा  प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना, सुरक्षित मातृत्व अभियान, जननी सुरक्षा  योजना, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम  और एम्बुलेंस  102 योजनायें चलायी जा रही हैं | जिसके तहत गर्भ धारण करते ही शीघ्र पंजीकरण, चार प्रसव पूर्व जांचें , उच्च खतरे वाली गर्भावस्था की पहचान और प्रबंधन तथा अस्पताल ले जाने सहित यह सभी सुविधायें निःशुल्क उपलब्ध हैं | साथ ही दवाईयाँ, बाकी आवश्यक सामग्री और आवश्यकता पड़ने पर रक्त भी निःशुल्क उपलब्ध कराया जाता है | इसके अलावा जननी सुरक्षा योजना के तहत महिलाओं को अस्पताल में प्रसव कराने के लिए 1400 रूपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है |

डा. स्वामी दयाल के अनुसार - यह सभी योजनायें आम जनता की भलाई के लिए ही हैं | यदि  इन योजनाओं का फायदा लेंगे और इनके महत्व को समझते हुए चिकित्सकों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सलाह को मानें  तो  किसी भी अनहोनी से बच सकते हैं क्योंकि “गर्भावस्था जोखिम भरी होती है |”