ओपीडी में आने वाले मरीजों मे से पांच फीसद की होगी टीबी की जांच



  • संभावित लक्षण वालों को चिन्हित कर होगी जांच

लखनऊ, 12 मार्च 2021 - राष्ट्रीय क्षय  उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अब ओपीडी में आने वाले मरीजों में से पांच फीसदी मरीजों की टीबी की भी जाँच करायी जाएगी | इसके तहत शासन ने जिला अस्पताल, सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी) सहित सभी निजी अस्पताल के चिकित्सकों को निर्देश दिए हैं कि वह ओपीडी में आने वाले मरीजों में क्षय रोग के संभावित   लक्षण वाले पांच फीसद मरीजों को चिन्हित करें |

इस सम्बन्ध में जिला क्षय रोग अधिकारी डा. ए.के.चौधरी ने बताया- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया है | इसके तहत  विभिन्न  कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं | इसी क्रम में शासन द्वारा ओपीडी में आने वाले मरीजों में से पांच  प्रतिशत मरीजों में टीबी की जांच का निर्देश दिया गया है |  उन्होंने बताया- सामान्य मरीजों में भी संभावित  लक्षण के आधार पर टीबी की जांच कराने का निर्णय लिया गया है | जिन मरीजों को लम्बे समय से खांसी आ रही है या खांसी के साथ बलगम आ रहा है तो उनकी टीबी की जाँच कराई जाये |

डा. चौधरी ने बताया- टीबी के इलाज में रोगियों का नोटिफिकेशन बहुत जरूरी है | हम जितने अधिक क्षय रोगियों को ढूंढ पायेंगे  उतने ही ज्यादा मरीजों को इलाज मिल सकेगा | इसी क्रम में 10 तारीख़ से शुरू हुए दस्तक अभियान में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बुखार के साथ –साथ टीबी के लक्षण वाले मरीजों की भी जानकारी जुटा रही हैं | इस दौरान वह प्रत्येक घर में खांसी , सांस लेने में दिक्कत  वालों की सूची बना रही हैं | दस्तक अभियान में यह पहली बार हुआ है | इस अभियान में जिले की शत प्रतिशत आबादी की स्क्रीनिंग की जाएगी |

क्या होता है क्षय रोग : टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण होता है | यह संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलता है | जब संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो टीबी के जीवाणु हवा में फ़ैल जाते हैं | संक्रमित हवा में सांस लेने  से स्वस्थ व्यक्ति या बच्चे भी टीबी से संक्रमित हो सकते हैं |