विश्व नींद दिवस (19 मार्च) पर विशेष - सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है भरपूर नींद



  • नींद पूरी न होने से घेर सकतीं हैं कई जटिल बीमारियाँ
  • नियमित दिनचर्या से पायी जा सकती है सुकून की नींद

लखनऊ, 18 मार्च - 2021 -  शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए जिस तरह से पौष्टिक आहार और व्यायाम की जरूरत होती है, ठीक उसी तरह से भरपूर नींद भी शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए बहुत ही जरूरी है । नींद पूरी न होने से कई तरह की बीमारियाँ शरीर को घेर लेतीं हैं । चिकित्सकों का कहना है कि शारीरिक रूप के साथ ही मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन छह से आठ घंटे की नींद बहुत ही जरूरी है । एक तरह से शरीर को रिचार्ज करने का काम नींद करती है । इसी के प्रति जनजागरूकता के लिए ही हर साल वर्ल्ड स्लीप डे (विश्व नींद दिवस) मनाया जाता है और लोगों को भरपूर नींद की महत्ता को समझाया जाता है । इस साल 19 मार्च को मनाये जाने वाले इस दिवस की थीम है- “नियमित नींद - स्वस्थ भविष्य (रेगुलर स्लीप-हेल्दी फ्यूचर) ”।  

​केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद के पूर्व सदस्य व वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. अनुरूद्व वर्मा का कहना है कि नींद संबंधी समस्याओं की गंभीरता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि आज दुनिया के लगभग 50 फीसद लोग नींद की कमी से होने वाली परेशानियों से जूझ रहे हैं । उनका कहना है कि नींद पूरी न होने से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं,  जिनमें सिर दर्द, पेट सम्बन्धी गड़बड़ी, गैस, मोटापा, तनाव, डिप्रेशन, डायबिटीज , हृदय रोग, थकावट, कमजोरी, काम में मन न लगना, हार्मोनल परिवर्तन, थकान, एकाग्रता में कमी, स्फूर्ति में कमी, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, प्रतिरक्षा तंत्र का कमजोर होना, भावनाओं का असामान्य होना, मेटाबोलिज्म प्रभावित होना मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होना, अधिक मृत्यु दर और दुर्घटनाएं प्रमुख हैं ।

डॉ. वर्मा का कहना है कि नींद का न आना भी बहुत खतरनाक है । आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में गुणात्मक नींद न आना बहुत बडी समस्या है । नींद की कमी के लिए अनिद्रा, सांस की समस्या, दमा, खर्राटे , स्लीप अपिनिया, तनाव, पौष्टिक भोजन की कमी, डिप्रेशन, कमजोरी, सर्दी जुकाम, अनियमित जीवन शैली, सोते समय पैर हिलाना, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप डिसऑर्डर, एलर्जी, पर्यावरण, शारीरिक मेहनत की कमी, फ्लू, हार्मोनल असुंतलन आदि जिम्मेदार होते हैं । इसके साथ ही अनियमित जीवन शैली, शारीरिक श्रम की कमी, पर्यावरण, सोने का स्थान, आस-पास का वातावरण भी काफी प्रभावित करता है । उनका कहना है कि अच्छी सेहत के लिए कम से कम छह से आठ घंटे की नींद जरूरी है ।  

सुकून की नींद के लिए क्या करें : डॉ. वर्मा का कहना है कि बेहतर नींद के लिए खाना खाने के तुरंत बाद सोने के लिए न जाएं, खाने के बाद थोड़ी देर तक जरूर टहलें, संतुलित और स्वस्थ आहार लें, भारी भोजन न करें । बिस्तर पर जाने से पहले शराब, सिगरेट, काफी ,चाय, कोल्ड ड्रिंक का  सेवन न करें, सोने वाला कमरा साफ, शांत, अंधेरा और एलर्जी और गंध से मुक्त होना चाहिए और विस्तर का गद्दा पतला होना चाहिए । टीवी, कम्प्यूटर, मोबाइल का उपयोग सीमित करना चाहिए । डॉ. वर्मा का कहना है कि एलोपैथी में जहाँ नींद की गोली खाने की सलाह दी जाती है वहीँ पर नींद से संबंधित विकारों के उपचार में होम्योपैथिक औषधियां पूरी तरह कारगर हैं और वह भी बिना किसी दुष्परिणाम के । होम्योपैथिक दवाओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि व्यक्ति इसका लती नहीं होता है तथा यह दवाएं व्यक्ति को प्राकृतिक नींद प्रदान करती हैं । कुछ सावधानियाँ अपनाकर, जीवन शैली को नियमित कर, संतुलित नींद लेकर जिन्दगी को स्वस्थ और खुशहाल बनाया जा सकता है ।