फाइलेरिया की रोकथाम को चलेगा विशेष अभियान



  • 26 अप्रैल से 11 मई के दौरान घर-घर जाकर खिलाई जायेगी दवा
  • इस बारे में एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को किया गया प्रशिक्षित  

हरदोई, 2 अप्रैल 2021 - जिले में 26 अप्रैल  से  11 मई तक फाइलेरिया की रोकथाम के लिए 10 दिवसीय विशेष अभियान चलाया जाएगा।  इसकी  तैयारियों को लेकर जिला टास्क फ़ोर्स (डीटीएफ) की बैठक मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) आकांक्षा राणा की अध्यक्षता में पिछले महीने    हो चुकी है |  सीडीओ ने इस अभियान में शामिल विभागों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर आवश्यक निर्देश दिए थे | डीटीऍफ़ की बैठक में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की रूपरेखा का प्रस्तुतीकरण  पाथ संस्था की रीजनल आफिसर डॉ पूनम मिश्रा द्वारा किया गया था । पाथ संस्था इस कार्यक्रम की राज्य स्तरीय निगरानी कर रही है | - यह जानकारी राष्ट्रीय वेक्टर जनित नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी  डा. धीरेन्द्र सिंह ने दी | इसके अलावा प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) भी इस अभियान में सहयोग कर रही है |

 डॉ. सिंह ने बताया- इसके  अलावा जिला स्तरीय प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है | अब तक भरखनी, भरावन,पिहानी,बिलग्राम  टड़ियावां,बेहंदर,सुरसा, पिहानी, अहिरौरी ब्लाक की  60-70 फीसदी आशा, एएनएम्, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और पंचायत के सदस्यों  को प्रशिक्षित किया जा चुका है और यह प्रशिक्षण पूरे अभियान में चलता रहेगा | गाँव-गाँव में जाकर, स्वयं सहायता समूह के साथ बैठक कर लोगों को फाइलेरिया की दवा का सेवन करने के लिए जागरूक किया जा रहा है | अगले सप्ताह आशा द्वारा घर-घर सर्वेक्षण किया जाएगा |
 
डॉ. धीरेन्द्र ने बताया- यह अभियान स्वास्थ्य , पंचायती राज , शिक्षा, समाज कल्याण, आईसीडीएस,  नगर विकास एवं सूचना विभाग के पारस्परिक सहयोग से ही सफ़ल बनाया जा सकता है | साथ ही मीडिया का सहयोग भी अपेक्षित है | फाइलेरिया की दवा का सेवन करने के लिए लोगों को जागरूक करने में वह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं |

जिला मलेरिया अधिकारी जीतेन्द्र सिंह ने बताया - फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामान्यतः हाथी पाँव के नाम से जाना जाता है | यदि किसी व्यक्ति को एक बार यह रोग हो जाता है तो वह जीवन भर इस रोग से ग्रसित रहता है | फाइलेरिया के मुख्य लक्षण हैं - पैरों व हाथों में सूजन (हाथीपांव), पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोश का सूजन) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन | इस अभियान में आइवेर्मेक्टिन की दवा डाई इथाइल कार्बमजीन (डी.ई.सी.) एवं अल्बेंडाजोल के साथ दी जाएगी |  दवा एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से घर-घर जाकर खिलाई जाएगी |

पीसीआई के जिला समन्वयक वीरेंद्र  पाण्डेय ने बताया- इस अभियान में गर्भवती व गंभीर रोग से ग्रसित व्यक्तियों और दो  वर्ष से कम आयु के बच्चों, को दवा का सेवन नहीं कराना है | जिन व्यक्तियों में फाइलेरिया के कीटाणु रहते हैं उन्हें दवा के सेवन के बाद चक्कर आना, जी मिचलाना, उल्टी आना, हल्का बुखार आना आदि समस्याएँ हो सकती हैं लेकिन इससे घबराना नहीं चाहिए | हर व्यक्ति को साल में एक बार इस दवा का सेवन अवश्य करना चाहिए | लगातार पांच  वर्षों तक तक इस दवा का सेवन करने से जीवन भर फाइलेरिया रोग से बचा जा सकता है |

सहयोगी संस्था पाथ की एनटीडी की रीजनल नोडल अधिकारी  डा. (मेजर) पूनम मिश्रा ने बताया - मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) के तहत इस अभियान को चलाया जा रहा है | इस अभियान में कुल 3 दवाएं आइवर्मेक्टिन,  अल्बेंडाजोल और डाईइथाइल कार्बामजीन (डीईसी)  दवा दी जाएगी | आइवर्मेक्टिन  गोली ऊंचाई के हिसाब से दी जाएगी | 89 सेमी से कम लंबाई के बच्चों को यह नहीं दी जाएगी | 90 -119 सेमी की लंबाई के लोगों को 1 गोली (3 मिलीग्राम), 120-140 सेमी के लोगों को 2 गोली, 141-158 सेमी के लोगों को 3 गोली और 159 सेमी से अधिक लंबाई के लोगों को 4 गोलियां दी जाएंगी | वहीं 2-5 साल की आयु के बच्चों को डीईसी (100 मिलीग्राम) व अल्बेंडाजोल (400 मिलीग्राम) की 1-1 गोली, 6-14 साल की आयु के बच्चों को डीईसी की 2 गोलियां  तथा अल्बेण्डाज़ोल की 1 गोली तथा 15 साल व उससे ऊपर की आयु के लोगों को डीईसी की 3 गोलियां तथा अल्बेण्डाज़ोल की 1 गोली दी जाएगी |