- मलेरिया के कुल मामलों में 11 फीसद भारत में
लखनऊ, 24 अप्रैल 2021 - हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को मलेरिया रोग के प्रति जागरूक करना है | आम लोगों को जागरूक करने के मकसद से इसकी शुरूआत साल 2007 से की गई थी। इस साल विश्व मलेरिया दिवस की थीम ‘'शून्य मलेरिया की शुरुआत मुझसे‘' है। हमारे देश को 2027 तक मलेरिया मुक्त करने का और 2030 तक इसके उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। वैसे पिछले दो दशको में हमारे देश में मलेरिया के मामलों में कमी आई है | यह जानकारी जिला मलेरिया अधिकारी डी.एन. शुक्ला ने दी |
उन्होंने बताया- विश्व मलेरिया दिवस रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में कुल मलेरिया के मामलों में से 11 प्रतिशत भारत में होते है। | पूरी दुनिया में कोरोना का कहर फैला हुआ है। इस बीच विश्व मलेरिया दिवस का आना इस बात को याद दिलाता है कि दुनिया में कई ऐसी बीमारियां हैं जिनके कारण हर साल लोग बीमार होते हैं और मौत के मुंह में समा जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रतिवर्ष विश्व में होने वाली कुल मौतों में से 30-33 प्रतिशत मौतें संक्रामक रोगों के कारण होती है।
डा. शुक्ला ने बताया - राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत फैमिली हेल्थ इण्डिया द्वारा जिला स्वास्थ्य समिति लखनऊ के समन्वय एवं गोदरेज के सहयोग से संचालित ‘एम्बेड परियोजना‘ के अन्तर्गत जनपद में मलेरिया एवं डेंगू की दृष्टि से अतिसंवेदनशील 100 बस्तियों में व्यवहार परिवर्तन संचार सहजकर्ता के द्वारा आई0ई0सी0 एवं व्यवहार परिवर्तन हेतु व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं सामुदायिक स्तर से सम्बंधित विभिन्न गतिविधियां, मलेरिया, डेंगू एवं वर्तमान कोविड संक्रमण से बचाव एवं कोविड टीकाकरण आदि को ध्यान में रखते हुए संचालित की जा रही हैं |
एम्बेड परियोजना के जिला समन्वयक धर्मेन्द्र त्रिपाठी ने बताया - मलेरिया एक प्रमुख वेक्टरजनित बीमारी है, जो संक्रमित मच्छरों की एक प्रजाति मादा एनीफिलीज मच्छर के काटने से होती है। प्लासमोडियम परजीवी वेक्टर जीवित जीव होते है, जो संक्रामक रोगाणुओं को मानव से या पशुओं से मानव में फैलाते है। जिससे यह मच्छर संक्रमित होते हैं। हालांकि कई सारे प्लाजमोडियम परजीवियों में से केवल पांच तरह के परजीवी इंसानों में मलेरिया फैलाते हैं। जिनमें से प्लाजमोडियम फाल्सीपेरम पूरी दुनिया भर में ज्यादातर होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार होते हैं। कोई असंक्रमित मच्छर संक्रमित व्यक्ति को काट लेता है तो वह संक्रमित हो जाता है, जब यह संक्रमित मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो संक्रमण उसमें पहुंचा देता है। इस तरह संक्रमण का यह चक्र चलता रहता है। मलेरिया खून के जरिये फैलता है, इस कारण यह अंग प्रत्यारोपण, रक्तदान और सुई साझा करने से हो सकता है। एक संक्रमित मां प्रसव के समय इसे जन्म लेने वाले बच्चे में पास कर सकती है, जिसे कोनजेनाइटल मलेरिया कहते है।
इन लक्षणों से पहचानें : धर्मेन्द्र ने बताया- मलेरिया के समान्य लक्षण सिरदर्द, तेज बुखार, अत्याधिक पसीना आना, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, जी मिचलाना और खांसी आना हैं | इसके विशेष लक्षणों में अधिक ठंढ लगने के कारण कंपकंपी आना, छाती और पेट में तेज दर्द होना, शरीर में ऐंठन होना , मल के साथ रक्त आना है |
संक्रमण के पश्चात मलेरिया के लक्षण आमतौर पर 10 दिन से 4 सप्ताहों में विकसित हो सकते हैं । कई मामलों में लक्षण कई महीनों तक विकसित नहीं होते हैं, क्योंकि मलेरिया की परजीवी शरीर में प्रवेश कर लम्बे समय तक सुप्त अवस्था में पडे रहते हैं। अक्सर मलेरिया के कारण दिखाई देने वाले सामान्य लक्षण दूसरे संक्रामक रोगों में भी दिखाई देते हैं, इसलिए विशेष लक्षण इस पहचानने में सहायता करते है।
डायग्नोसिस और उपचार : लक्षणों के गंभीर होने का इंतजार न करें। तुरंत उपचार जरूरी है, क्योंकि लक्षण गंभीर होकर जानलेवा हो सकते है। आपकी उम्र, आप कौन से परजीवी से संक्रमित है, लक्षण कितने गंभ्भीर हैं । महिला गर्भवती तो नहीं है , इसके आधार पर ही परजीवी को मारने के लिए दवाएं दी जाती हैं। मलेरिया के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। उपचार में देरी न करें।
बचाव के उपाय : एनाफिलीस मच्छर अंधेरे में अधिक सकिय रहता है, ऐसे में शाम ढलने से लेकर सुबह होने तक इससे बचाव के लिए सभी जरूरी उपाय करें। ऐसे कपडे पहने जिसमें शरीर पूरी तरह ढका रहे, मच्छररोधी स्प्रे करें या लोशन लगाएं, मच्छरदानी में सोएं, अपने घर के आस-पास गंदा पानी इकठ्ठा न होने दें, क्योंकि यह मच्छरों को ब्रीडिंग ग्राउण्ड हैं, जालीदार दरवाजे एवं खिडकियों का उपयोग करें, बाथरूम एवं टायलेट को यथा संभव साफ-सुथरा एवं सूखा रखें और घर के अन्दर और आस-पास गंदगी न पनपने दें।