नर्सेज डे (12 मई) पर विशेष - जब मरीज स्वस्थ होकर घर जाता है तब होती है सबसे अधिक ख़ुशी : पूजा



  • तीन साल की बेटी को संभाल रहे परिवार वाले, खुद कोविड उपचाराधीनों की सेवा में जुटीं  

लखनऊ,  11 मई 2021 -  कोविड के दौरान जहाँ हर किसी की इच्छा होती है कि वह अपने परिवार के करीब रहे वहीँ कुछ ऐसे भी कोरोना योद्धा हैं जो अपने छोटे-छोटे बच्चों को परिवार को सौंप खुद कोविड उपचाराधीनों की सेवा में जुटे हैं | यही कारण है कि चिकित्सा सेवा में जहाँ डाक्टर को धरती का भगवान माना जाता है वहीँ नर्स को सेवा की प्रतिमूर्ति का दर्जा दिया जाता है |    इसीलिए मानवता की सेवा को समर्पित फ्लोरेंस नाइटिंगेल के सम्मान में और चिकित्सा सेवा में नर्सों के सराहनीय योगदान के लिए  हर साल 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्सेज  डे मनाया जाता है | फ्लोरेंस नाइटिंगेल  “नाईट विद द लैंप” के नाम से प्रसिद्ध हैं और इन्हें आधुनिक नर्सिंग का संस्थापक माना जाता है |

कोरोना योद्धा के सम्मान से पिछले  वर्ष नवाजी गयीं  बलरामपुर जिला अस्पताल की नर्स पूजा कश्यप का कहना है - दूसरों की सेवा करने के भाव ने ही मुझे नर्सिंग के क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित किया | मुझे इस पेशे  में छह  साल हो गए हैं | कोविड के दौरान तो मुझे इस बात से बहुत ज्यादा  ही ख़ुशी मिलती है जब मरीज ठीक होकर वापस  घर जाते हैं  | हम अपने मरीजों के साथ भावनात्मक रूप से भी जुड़ जाते हैं क्योंकि हम उनकी अनवरत देख रेख करते हैं | उनका ठीक होकर जाना मन को सुकून देता है | वह कहती हैं - कोविड की ड्यूटी के दौरान गर्मी के मौसम में छह  घंटे पीपीई किट पहनना बहुत कष्टकारी होता है लेकिन सुरक्षा भी बहुत जरूरी है | हमें ड्यूटी के दौरान बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है ताकि  संक्रमण की जद में आने से बच सकें |

पूजा बताती हैं – हमें परिवार का भरपूर सहयोग मिलता है | संयुक्त परिवार में हम रहते हैं, इसलिए मेरी तीन साल की बच्ची को परिवार के सदस्य मेरी कमी महसूस नहीं होने देते | सामान्य दिनों में तो आठ घंटे की ड्यूटी दिन या रात में कभी भी लग जाती है लेकिन कोविड वार्ड में जब ड्यूटी लगती है तो 15 दिन तक हम घर नहीं जाते हैं | ऐसे में मुझे पिछले दिनों अपनी बच्ची से 15 दिन दूर रहना पड़ा जिसका दुःख मुझे रहता है लेकिन जब आप एक सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हैं तो व्यक्तिगत चीजें मायने नहीं रखती हैं | मैं लोगों को यह सन्देश देना चाहती हूँ  कि डाक्टर , नर्स , और अन्य सभी लोग कोरोना को हराने के लिए लड़ रहे हैं | आप  सभी का  सहयोग करें,  घर पर ही रहें, कोविड से बचाव के प्रोटोकॉल  का पालन करें और डरें नहीं  क्योंकि जब डर आप पर हावी हो जाता है तब वह आपको मानसिक और शारीरिक दोनों ही तरह से प्रभावित करता है |