कौशाम्बी 08 जुलाई 2020 - भारत के युवा लोग भारत में जनसंख्या के एक महत्वपूर्ण हिस्से का गठन करते हैं और इसीलिए उन्हें देश में जनसांख्यिकीय लाभांश के रूप में देखा जाता है। हालाँकि, जनसांख्यिकीय लाभांश राज्य के आर्थिक सशक्तीकरण में केवल तभी योगदान दे सकता है, जब प्रजनन दर जैसे संकेतक कम हों और शिक्षा समता अधिक हो।
उत्तर प्रदेश के मामले में, विवाहित दम्पत्तियों का लगभग एक-पांचवा हिस्सा 15-24 वर्ष की आयु का है। युवा और निम्न समानता वाले दंपत्तियों (15 से 24 वर्ष के ऐसे योग्य दंपत्ति जिनके 0 या अधिकतम एक बच्चा हो) के मध्य अपूरित आवश्यकता हेतु परिवार नियोजन की आवश्यकता केवल 25 प्रतिशत है जबकि इस आयु वर्ग में उचित अंतराल रखने की मांग 47.2% है, जिसमें से केवल 22.1% ही आधुनिक गर्भनिरोधक के किसी भी विधि से संतुष्ट हैं। एन. एफ. एच. एस. 4 के अनुसार, 15 से 19 वर्ष के आयु वर्ग की । 3.7 % लड़कियां पहले से ही माँ बन चुकी है या फिर गर्भवती थीं राज्य का स्वास्थ्य विभाग अंतराल विधि के बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करके इन क्षेत्रों में बदलाव लाने की दिशा में काम कर रहा है। जनवरी 2020 में, एक राज्य स्तरीय बैठक लखनऊ में आयोजित की गई थी, जहाँ माननीय स्वास्थ्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार ने बच्चों के मध्य उचित अंतराल रखने और उनके उचित पोषण के महत्व पर विशेष बल दिया क्योंकि जीवित बच्चों की उच्च दर के लिए ये प्रमुख कारक हैं। इसी बैठक में, उत्तर प्रदेश सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री स्वाति सिंह ने युवा महिलाओं के सशक्तीकरण की आवश्यकता और एक ऐसे समर्थ प्रणाली बनाने पर जोर दिया जो कि उनके द्वारा माहवारी स्वच्छता हेतु उत्पादों के प्रयोग करने, उनकी अपनी शिक्षा पूरी करने, विवाह करने और बच्चे पैदा करने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर, कब, क्यूँ, कैसे और क्या उपयोग करना है, के उचित निर्णय लेने में सहयोगी हो क्यूँकि ऐसी लड़कियां ही भावी पीढ़ियों के लिए बेहतर मां होंगी जिनके पास महत्वपूर्ण पारिवारिक फैसलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार होगा।
राज्य के सर्वोच्च स्तर के निर्णयकर्ताओं के ये संदेश और भी अधिक प्रासंगिक हैं क्योंकि हम अभी विभिन्न मोर्चों पर COVID-19 के प्रभाव से जूझ रहे हैं। उत्तर प्रदेश सहित भारत के सभी राज्य पहले से ही तनावपूर्ण स्वास्थ्य ढांचे और कार्यबल का मुकाबला कर रहे हैं, जिसे COVID-19 ने और भी बाधित कर दिया, जबकि युवा एवं योग्य दम्पत्तियों के बीच परिवार नियोजन और गर्भनिरोधक को बढ़ावा देने के लिए नियमित रूप से काम करते हुए, इसे पिछली पायदान पर ला दिया है। परिवार नियोजन कार्यक्रम से संबंधित सेवाओं जैसे, कम्युनिटी आउटरीच, होम विजिट्स और वाईएलपीसी हेतु फैसीलिटी स्तर पर मिलने वाली आधुनिक गर्भ निरोधक सेवाओं/प्रावधान के बाधित होने के कारण, भविष्य में अनचाहे या अनियोजित गर्भधारण के और भी बढ़ने की संभावना है।
जिला कौशाम्बी में विकास लंबे समय से निरंतर है, हालांकि इसे और तेज करने की जरूरत है। कौशाम्बी जनपद की कुल प्रजनन दर 3.9 है। एनएफएचएस -4 के अनुसार, जिले में 15-49 वर्ष की आयु वर्ग की केवल 24.4 प्रतिशत विवाहित महिलाएं ही किसी भी आधुनिक गर्भनिरोधक विधि का उपयोग कर रही हैं । अतः जिले के इस परिदृश्य में सुधार के लिए पर्याप्त गुंजाइश है, जहाँ जिले की केवल 12.2 प्रतिशत (एनएफएचएस -4 के अनुसार)स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने ही कभी परिवार नियोजन के बारे में महिला गैर-उपयोगकर्ताओं से बात की है। जिला प्रशासन उन दंपतियों तक पहुंचने का प्रयास भी कर रहा है, जो वर्तमान में परिवार नियोजन के किसी भी आधुनिक तरीके का उपयोग नहीं कर रहे हैं, को आधुनिक गर्भ निरोधकों का उपयोग करने के लिए प्रेरित कर रहा है(जो गुणवत्तापूर्ण और उपयोग करने के लिए सुरक्षित हैं)। कौशाम्बी के जिला अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अच्छी तरह से प्रशिक्षित स्वास्थ्य प्रदाता स्थित हैं जहाँ आधुनिक गर्भ निरोधकों की आपूर्ति नियमित रूप से उपलब्ध कराई जाती है। जैसे कि हम COVID -19 के दौरान सामाजिक दूरी के सभी मापदंडों का पालन सुनिश्चित करते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं को निश्चित रूप से परन्तु धीरे-धीरे खोल रहे हैं, ये सेवाएं प्रत्येक गांव में ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता और पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) के माध्यम से पूरी तरह से फिर से शुरू हो रही हैं। विवाहित युवा जोड़ों सहित सभी उम्र के लोगों को इन वीएचएसएनडी पर जाने और जिले के स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना और सेवाओं का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
कौशाम्बी के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ.पी एन चतुर्वेदी के अनुसार - हमारा उद्देश्य सभी महिलाओं और पुरुषों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोग स्वस्थ हों और साथ ही उन्हें किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना न करना पड़े। स्वस्थ समुदाय अपने परिवारों के आर्थिक विकास के साथ साथ कौशांबी जिले के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी अपना योगदान देंगे।
*सूचना स्त्रोत -मुख्य चिकित्साधिकारी , कौशाम्बी