महाकुम्भ में पहली बार मनाया गया भोगाली बिहू पर्व



  • असमिया संस्कृति का प्रतीक है भोगाली बिहू पर्व
  • मकर संक्रांति के अवसर पर मेला क्षेत्र में बिहू नृत्य का हुआ आयोजन
  • नामघर में नाम कीर्तन का परंपरागत तरीके से हुआ आयोजन

महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ प्रयागराज में इस बार पूर्वोत्तर के राज्यों की कई परंपराएं पहली बार देखने को मिल रही हैं। इसी कड़ी में महाकुम्भ मेला परिसर में पहली बार पूर्वोत्तर का प्रसिद्ध पर्व भोगाली बिहू मनाया गया। मकर संक्रांति के अवसर पर पूर्वोत्तर के संतों के शिविर प्राग ज्योतिषपुर में मंगलवार तड़के सुबह विशेष आयोजन किया गया, जिसमें परंपरागत रूप से पर्व मनाने के साथ ही कई राज्यों से आई महिला श्रद्धालुओं ने बिहू नृत्य किया।

सुबह के समय चावल से बने व्यंजन को वितरित किया गया। नामघर में नाम कीर्तन का आयोजन हुआ। इससे पहले मेला परिसर की महिला श्रद्धालुओं ने बिहू नृत्य प्रस्तुत कर पूर्वोत्तर की असमिया संस्कृति का रंग महाकुम्भ मेला परिसर में बिखेर दिया। इस अवसर पर एक दिन पूर्व रात में धान के पुआल से बनाए गए भेलाघर और बांस की मदद से बनाए गए मेजी को मंगलवार सुबह जला दिया गया। इस अवसर पर पूर्वोत्तर के राज्यों के संत, साधक और श्रद्धालु मौजूद रहे।

योगाश्रम बिहलांगिनी असम के महामंडलेश्वर स्वामी केशव दास जी महाराज ने बताया कि महाकुम्भ में पहली बार मकर संक्रांति पर मनाया जाने वाला भोगाली बिहू पर्व मनाया गया है। असमिया संस्कृति और पूर्वोत्तर की संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए महाकुम्भ में यह अनूठा आयोजन किया गया है। यह आयोजन महाकुम्भ के सामाजिक और सांस्कृतिक दायरे का विस्तार करने के उद्देश्य किया गया है।