समुदाय से जुड़ें, डेंगू को नियंत्रित करें



  • राष्ट्रीय डेंगू दिवस(16 मई) पर विशेष

लखनऊ - आज, 16 मई 2024 को राष्ट्रीय डेंगू दिवस है । इस साल की थीम - “समुदाय से जुड़ें, डेंगू को नियंत्रित करें”- को ध्यान में रखते हुए, आज का दिन हमारे लिए सामूहिक रूप से इस इस बात पर विचार करने का दिन है कि हर वर्ष डेंगू का खतरा कैसे बढ़ रहा है,और ऐसे में हम केवल डेंगू से पीड़ित रोगी बनने की बजाय कैसे एक साथ मिलकर इसपर अंकुश लगाने वाले सक्रिय निवारक बन सकते हैं।

ऐसा करना संभव है बशर्ते हम एक साथ मिलकर डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण करने का निर्णय लें और इसके कदम बढाएं, इस बात की पुष्टि करते हुए प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उत्तरप्रदेश पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि "उत्तर प्रदेश में डेंगू सहित अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के उपाय मार्च महीने से शुरू किए जाते हैं। इसी क्रम में साल में तीन बार अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर माह में विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जाता है जिसके तहत डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया सहित अन्य वेक्टर जनित बीमारियों से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए कई गतिविधियां किए जाने के साथ गृह भ्रमण कर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा मच्छरों के प्रजनन स्त्रोत का पता लगाया जाता है और उन्हें समाप्त किया जाता है । इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग सहित 12 अन्य विभाग प्रतिभाग करते हैं ।“

डेंगू मच्छरों से होने वाली एक वेक्टर जनित बीमारी है और हर साल हजारों लोग इससे पीड़ित होते हैं। इसी क्रम में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से साल 2016 से हर साल 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है जिससे कि मानसून की शुरुआत से पहले ही डेंगू निवारक उपाय किए जा सकें क्योंकि इस दौरान पर्यावरणीय परिस्थितियाँ वेक्टर प्रजनन के लिए अनुकूल हो जाती हैं। डेंगू का प्रसार हर साल जुलाई और नवंबर के महीनों के बीच, मानसून और मानसून के बाद की अवधि में एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। यह एडीज मच्छर द्वारा फैलता है और इस बीमारी से उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरा देश प्रभावित होता है। डेंगू का मच्छर दिन में काटता है।
 
प्रदेश में डेंगू सहित 12 प्राथमिकता वाली बीमारियों की रिपोर्टिंग के लिए यूपी तकनीकी सहायता इकाई (यूपीटीएसयू)  के सहयोग से एकीकृत रोग निगरानी पोर्टल (यूडीएसपी) विकसित किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप डेंगू के मामलों की रिपोर्टिंग और प्रारंभिक निवारक गतिविधियों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
 
इसके अलावा निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों में अस्पतालों और प्रयोगशालाओं की कुल 32,835 सुविधाएं उपलब्ध हैं तथा सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की इकाइयां अब यूडीएसपी पर पंजीकृत हैं।
 
सभी 75 जिलों में 86 एसएसएच प्रयोगशालाओं के साथ दो  अपेक्स प्रयोगशालाओं के माध्यम से डेंगू और चिकनगुनिया के लिए एलाइजा जांच की जाती है। इसके अलावा रक्त से प्लेटलेट्स अलग करने वाली 34 इकाइयाँ क्रियाशील हैं तथा अन्य 40 इकाइयां प्रचलन के विभिन्न चरणों में हैं। राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों, संभागीय, जिला और ब्लॉक स्तर के अस्पतालों में सभी उपचार सुविधाओं और मच्छरदानी युक्त डेंगू वार्ड स्थापित किए गए हैं। डेंगू और चिकनगुनिया रोग की एलाइजा जांच के लिए एनएस1 और आईजीएम एलाइजा किट उपलब्ध हैं।
 
भारत सरकार द्वारा जारी नए डेंगू नैदानिक प्रबंधन दिशानिर्देशों पर कुल 134 चिकित्सा अधिकारियों तथा कानपुर नगर और लखनऊ में निजी सुविधाओं के कुल 118 डॉक्टरों को मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया रोग प्रबंधन और उपचार प्रोटोकॉल पर प्रशिक्षित किया गया है।
 
वर्ष 2023 में, कुल 320 मलेरिया निरीक्षकों को निगरानी सुदृढ़ीकरण, स्रोत में कमी, केस आधारित गतिविधियों, प्रकोप प्रबंधन और सहायक पर्यवेक्षण आदि पर प्रशिक्षित किया गया था। और वर्ष 2024-25 के लिए डेंगू-चिकनगुनिया एवं डिस्ट्रिक्ट हेल्थ एक्शन प्लान के  दिशा-निर्देशों की कार्ययोजना उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के अनुपालन हेतु भेजी जा चुकी है।

डेंगू की कोई व वैक्सीन नहीं है ऐसे में डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण के लिए सोर्स रिडक्शन गतिविधियों में समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण है। ध्यान दें, बुखार होने पर बगैर समय बर्बाद किए तुरंत इलाज के लिए निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं। इस बात का हमेशा ध्यान रखें बुखार में देरी- पड़ेगी भारी।
 
बचाव हेतु उपाए :

  • समुदाय को दस्तक अभियान के दौरान आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा बताए गए उपायों का  पालन करना चाहिए।
  • पूरी बांह के कपड़े पहने।
  • सोते समय मच्छर दानी या मच्छररोधी क्रीम का उपयोग करें।
  • घर की खिड़की दरवाजों पर जाली लगवाएं।
  • घरों और ऑफिस में हर रविवार मच्छरों पर वार के तहत कूलर और जलजमाव वाले स्थानों की सफाई करें।
  • यदि कहीं पानी इकट्ठा है तो उसमें जला हुआ मोबिल ऑयल डाल दें।
  • डेंगू  की पुष्टि होने पर घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि अधिकांश मामलों में इस बीमारी को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
  • केवल कम प्लेटलेट काउंट ही प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन का संकेत नहीं है, केवल एक योग्य चिकित्सक से परामर्श के बाद ही इसकी आवश्यकता होती है वो भी दुर्लभ मामलों में ।
 आकड़ों पर डाले नजर : पिछले कुछ साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह पता चलता है कि डेंगू से होने वाली मौतों में कमी आयी है, जहां साल 2017 में  डेंगू से होने वाली मृत्यु दर .91 फीसद थी वहीं 2019 में घटकर 0.25 फीसद हो गई है। साल 2021 में .10 फीसद थी जो कि साल 2022 में .17 फीसद और 2023 में 0.10 फीसद हो गई है। नए प्रयासों के चलते यह कमी दर्ज की गई है।