- गांव गांव घूम कर पहले लोगों का विश्वास जीता और अब कर रहे व्यवहार परिवर्तन
- जो लोग उनकी बात नहीं मानते उन्हें गांव के स्वीकार्य व्यक्ति से दिलवाते हैं परामर्श
गोरखपुर - नियमित टीकाकरण के प्रति उदासीन परिवारों को जागरूक कर इसके फायदे बताने में यूनिसेफ संस्था के साथ स्वास्थ्य कार्यकर्ता अहम भूमिका निभा रहे हैं । कुछ स्वास्थ्य कार्यकर्ता ऐसे भी हैं जो खुद से आगे आकर इस कार्य में अहम योगदान दे रहे हैं। ऐसे ही एक कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) है शत्रुध्न कुमार । वह उदासीन परिवारों के बीच जाकर उनका भ्रम दूर करते हैं और बच्चों का टीकाकरण करवाते हैं । इसके लिए पहले गांव - गांव घूमकर लोगों का विश्वास जीता और अब व्यवहार परिवर्तन कर रहे हैं । गांव में जो लोग उनकी बात नहीं मानते हैं उन्हें गांव के स्वीकार्य व्यक्ति से परामर्श दिलवाते हैं ।
मूलतः गोला बाजार के पतरा गांव के रहने वाले शत्रुध्न ने मार्च 2022 में सीएचओ पद पर ज्वाइन किया । वह बताते हैं कि उनके मुंडेरा बाबू हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के भवन की स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए वह गांव गांव घूम कर ओपीडी करने लगे । एक दिन में मुश्किल से 15 से 20 ओपीडी ही हो पाती थी। क्षेत्र के सात गांवों में घूमने का फायदा यह हुआ कि समुदाय में पकड़ मजबूत हो गई और लोग उनकी भूमिका को समझने लगे। ग्राम प्रधान आरती देवी के सहयोग से उपकेंद्र का भवन ठीक कराया और फिर अगस्त 2022 से वह उपकेंद्र पर बैठने लगे । वहां पर अब नियमित ओपीडी 30 से 35 होती है और कभी कभी यह 40 भी हो जाती है ।
शत्रुध्न ने बताया कि डेरवा के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ अमित गुप्ता से वह मरीजों को परामर्श दिलवाते हैं। प्रभारी ने ही उन्हें बताया कि कुछ गांव ऐसे हैं जहां मिथकों और भ्रांतियों के कारण बच्चों का नियमित टीकाकरण नहीं कराया जा रहा है । जब वह ऐसे लाभार्थियों के बीच गये तो शत्रुध्न को भी विरोध का सामना करना पड़ा । वह बताते हैं कि उन्होंने गांव के ऐसे स्वीकार्य लोगों की मदद ली जिनकी बात सभी सुनते हैं और इस तरह पांच ऐसे बच्चों का टीकाकरण करवाने में कामयाब हो गये जिनके अभिभावक अंग्रिम पंक्ति कार्यकर्ता को अपने घर के सामने खड़ा नहीं होने देते थे ।
दादी ने समझाया तो लगा टीका : डेरवा ब्लॉक के दुबौली गांव में पन्नेलाल की बेटी सोनम और मनोज की बेटी दिव्या को जन्म से लेकर साढ़े तीन साल की उम्र तक एक भी टीका नहीं लगा था । गांव में यह अफवाह थी कि पहले जिन बच्चों की मृत्यु हुई है वह टीकाकरण के वजह से हुई है । यह दोनों परिवार गांव की बुजुर्ग विद्यावती की बात मानते थे। विद्यावती ने बताया कि डर के मारे लोग टीका नहीं लगवा रहे थे । सीएचओ शत्रुध्न ने उन्हें समझाया कि टीका लगने से बच्चों का जानलेवा बीमारियों से बचाव होता है, न कि मृत्यु । थोड़ा बहुत बुखार होता है जो सामान्यता खुद ही ठीक हो जाता है और इसके लिए दवा भी दी जाती है। विद्यावती ने यह बात दोनों बच्चों की माताओं को समझाया और टीकाकरण करवा दिया । दोनों बच्चे ठीक हैं।
पांच साल में सात बार नियमित टीकाकरण जरूरी : मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि बच्चे के जन्म से पांच साल की आयु तक सात बार नियमित टीकाकरण आवश्यक है। जिले में बहुत से ऐसे उदासीन परिवार हैं जो टीकाकरण नहीं करवाते हैं। ऐसे परिवारों को प्रेरित करने में सीएचओ की अहम भूमिका है । यूनिसेफ संस्था के कार्यकर्ता भी इसमें मदद करते हैं । अक्टूबर से लेकर जनवरी माह तक ऐसे उदासीन परिवारों को समझा कर जिले के दस ब्लॉक में 764 बच्चों का टीकाकरण कराया गया है ।