टीबी रोगियों के निकट सम्पर्कियों को अवश्‍य दिलाएं टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट



  •   क्षय रोगियों  का इलाज करने वाले निजी चिकित्‍सकों को किया गया संवेदीकृत
  • टीबी के सूचीबद्ध मरीजों के  निकट सम्पर्कियों का भी हर महीने  फॉलोअप आवश्यक

संतकबीरनगर - राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रमके अन्‍तर्गत देश को वर्ष 2025 तकटीबी मुक्त बनाने की दिशा में निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं । इसी क्रम में टीबी से बचाव के लिए रोगी के निकटसंपर्कमें रहने वालों को और खासतौर पर परिवार वालोंकोटीपीटी (टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट) दी जा रही है। यह कहना है अपर मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी डॉ. मोहन झा का| इसलिएटीबी के जो भी रोगी चिन्हित किये जा रहे हैं  उनके  निकट सम्पर्कियों को टीपीटी दिलाना चिकित्‍सकों की एक बड़ी जिम्‍मेदारी है। प्राइवेट तथा सरकारी सभी चिकित्‍सक इसमें सहयोग करें।

 डॉ. झाने जिले के निजी चिकित्‍सकों को टीपीटी के प्रति संवेदीकृत करते हुए यह बातें कही। सेंटर फार हेल्‍थ रिसर्च एंड एनोवशन ( सीएचएआरआई ) के तत्‍वावधान में जिले के चिकित्‍सकों के लिए टीपीटी संवेदीकरण कार्यशाला एक निजी होटल में आयोजित हुई ।  कार्यशाला के उददेश्‍य के बारे में बताते हुए सीएचआरआई के ड्रिस्ट्रिक्‍ट लीड उत्‍कर्ष ने कहा कि रोगी अपने अत्यंत करीबियों और खासकर परिवार के लगातारसंपर्क में रहता है। इसलिए विभाग  इसके प्रति विशेष सतर्कता बरत रहा है। इस दौरान जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एस डी ओझा ने बताया कि टीबी मरीज के प्रत्येक निकट सम्पर्की के लिए टीपीटी अनिवार्य है। पहले यह सुविधा केवल बच्चों के लिए थी । टीबी मरीज के निकट सम्पर्कियों की कांटैक्ट ट्रेसिंग कर टीबी की जांच कराई जाती है। जांच में निगेटिव मिलने पर टीपीटी चलती है जबकि टीबी की पुष्टि होने पर व्यवस्था से जोड़ कर इलाज की सुविधा दी जाती है।इस मौके पर डब्‍ल्‍यूएचओ ( विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ) की राज्‍य प्रतिनिधि डॉ पीएस प्रीति ने कहा कि केंद्र सरकार ने देश को वर्ष 2025 तकटीबी से मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। इस क्रम में टीबी रोगी के परिवार के हर सदस्य और निकट सम्पर्की का एक्‍सरे कराया जाएगा, साथ ही उनका टीपीटी  फॉलो अप भी किया जाएगा।

इस  मौके पर टीबी अभियान से जुड़े डब्‍ल्‍यूएचओ के जिला प्रतिनिधि डॉ मोइन अख्‍तर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के अनुसार सभी देशों ने वर्ष2030 तक क्षयउन्मूलन का लक्ष्य तय किया है,  भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक ही क्षय उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। इस संकल्प को पूरा करने के लिए प्रत्येक स्तरपर प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत सामुदायिक जुड़ाव पर विशेष जोर दे रही है। क्लिनिकल सपोर्ट के लिए रोगियों को “निक्षय मित्र” पहल के तहत गोद लेने के लिएनिरंतर प्रोत्साहित कर रही है।राष्ट्रीय क्षय  उन्मूलन कार्यक्रम के जिला कार्यक्रम समन्‍वयक अमित आनन्‍द ने क्षय रोग इकाई की उपलब्धियों के बारे बताया  और सभी चिकित्‍सकों के प्रति धन्‍यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान रोटरी क्‍लब के अध्‍यक्ष व चिकित्‍सक डॉ ए के सिन्‍हा, डॉ विशाल यादव, पीपीएम समन्‍वयक कविता पाठक, डॉ राजेश चौधरी, डॉ श्‍वेतांक सिंह, सीएचआरआई के रविशंकर शर्मा, सीमा, उमा चौधरी, गरिमा रावत, मीना शर्मा, प्रतिमा यादव के साथ ही साथ अन्‍य लोग उपस्थित रहे।

चिकित्‍सकों ने लिया समाज को क्षयमुक्‍त करने का संकल्‍प :  कार्यक्रम के  दौरान निजी चिकित्‍सकों डॉ अमरनाथ त्रिपाठी, डॉ सुरेन्‍द्र देव, डॉ अशरफ अली, डॉ आर एल चौधरी समेत अन्‍य चिकित्‍सकों ने यह संकल्‍प लिया कि वह विभाग के साथ मिलकर हर रोगी को विभाग से जोड़ेंगे तथा उनको आवश्‍यक सरकारी सुविधाएं दिलाकर समाज को क्षयमुक्‍त करने का काम करेंगे। इसके साथ ही रोगियों को पोषण और अन्य सहायता के लिए विभिन्‍न संगठनों तथा प्रभावशाली लोगों को क्षय रोगियों गोद लेकर निक्षय बनाने के लिए प्रोत्‍साहित करेंगे।