हेपेटाइटिस बी का टीका सौ फीसदी सुरक्षित और प्रभावी



  • डीआईओ की अपील - नवजात शिशु को 24 घंटे के अंदर  ‘हेपेटाइटिस बी’ का टीका अवश्य लगवाएँ
  • शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रतिदिन उपलब्ध है टीकाकरण की सुविधा  

कानपुर नगर - हेपेटाइटिस एक संक्रामक बीमारी हैं, जो लिवर को प्रभावित करती है। यह दूषित पानी और रक्त के माध्यम से फैलती है। इस बीमारी को स्थिर किया जा सकता है, लेकिन इसे पूरी तरह सही नहीं किया जा सकता। इससे बचने का बस एक ही साधन है, वह है टीकाकरण, जो बच्चे को जन्म के समय लगाया जाता है। इसलिये जिन चिकित्सा इकाइयों चाहे वह सरकारी हो या निजी क्षेत्र की, वहाँ जन्म के 24 घंटे के अंदर नवजात शिशु को ‘हेपेटाइटिस बी’ की एक डोज अवश्य लगवाएँ, क्योंकि यह आपके शिशु को 'हेपेटाइटिस बी’ संक्रमण से बचाएगी। टीकाकरण बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है। इसके लिए माता-पिता को सतर्क व जागरूक रहना चाहिए। यह कहना है जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीआईओ) डॉ यूबी सिंह का।

डॉ यूबी सिंह का कहना है कि ‘हेपेटाइटिस बी’ संक्रमण रक्त के संपर्क से फैल सकता है। यह मां से उसके बच्चे में भी फैल सकता है। हेपेटाइटिस बी के टीके से इसको सुरक्षित और प्रभावी तरीके से रोका जा सकता है। यह वायरस के खिलाफ लगभग सौ प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि जनपद के समस्त शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (यूपीएचसी) पर टीकाकरण की सुविधा प्रतिदिन उपलब्ध है। उन्होंने अभिभावकों से अनुरोध किया कि वह अपने बच्चे का सम्पूर्ण टीकाकरण ज़रूर करवायें।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित है तो उसे हेपेटाइटिस होने का खतरा ज्यादा रहता है। हेपेटाइटिस बी से संक्रमित अलग-अलग व्यक्ति में अलग-अलग लक्षण पाए जाते हैं। इस दौरान पीड़ित व्यक्ति की आंखें पीली हो जाती हैं। पेट में दर्द होने लगता है और पेशाब का रंग गहरा हो जाता है। कई लोगों में हेपेटाइटिस बी के लक्षण नहीं दिखते हैं। खासकर बच्चों में अगर इसका संक्रमण है तो पता लगाना काफी मुश्किल होता है। अगर यह बीमारी लंबे समय तक रहती है तो लिवर काम करना बंद कर देता है और कैंसर या घाव हो जाता है।

पता नहीं चलता, लिवर हो जाता है खराब : डॉ. सिंह बताते हैं यह बीमारी लिवर को संक्रमित करती है, लेकिन इसके लक्षण तब ही दिखते हैं जब लिवर की स्थिति बहुत खराब हो जाती है, कई बार तो बिना पता चले ही लिवर खराब हो जाता है। हेपेटाइटिस को रोकने के लिए टीकाकरण बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत में भी हेपेटाइटिस रोकने के लिए इसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में जोड़ा गया है।

जन्म लेने वाले बच्चे को कैसे बचाएं : डॉ सिंह ने बताया कि गर्भवती की जांच की जाती है कि कहीं वह हेपेटाइटिस से ग्रसित तो नहीं है। अगर इसका वायरस है तो इलाज के लिए डॉक्टर से परामर्श किए जाने की जरूरत होती है। जन्म के तुरंत बाद 24 घंटों के अंदर बच्चे को हेपेटाइटिस बी का इंजेक्शन लगाना जरूरी है।

सबसे अधिक बरसात में प्रभावित करता है हेपेटाइटिस : डॉ सिंह बताते हैं कि हेपेटाइटिस ए वायरल संक्रमण है, जो बारिश के कारण हुए संक्रमित भोजन अथवा पानी के सेवन से होता है। यह लिवर को प्रभावित करता है। बरसात के मौसम में और बरसात खत्म होते ही इसका प्रकोप बहुत बढ़ जाता है। हेपेटाइटिस ‘ए’ से बचने का एकमात्र उपाय स्वच्छ पानी पीना है ताकि हेपेटाइटिस ‘ए’ के विषाणुओं से पूरी तरह से बचाव हो सके। हेपेटाइटिस ए और इ दूषित जल व दूषित भोजन के कारण होते है। हेपेटाइटिस बी संक्रमित रक्त और शरीर के संक्रमित द्रवों से फैलता है

हेपेटाइटिस बी होने या फैलने के जोखिम को कम करने के लिए :

  • कंडोम का उपयोग करें और यौन साझेदारों की संख्या कम करके सुरक्षित यौन संबंध बनाएं।
  • नशीली दवाओं का इंजेक्शन लगाने, छेदने या गोदने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सुइयों या किसी भी उपकरण को साझा करने से बचना चाहिए।
  • रक्त, शरीर के तरल पदार्थ, या दूषित सतहों के संपर्क में आने के बाद अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए।