‘‘आभा आईडी बनाने के लिए आशा कार्यकर्ता को आधार नंबर देना सुरक्षित’’



  • गुणवत्तापूर्ण और सुलभ स्वास्थ्य सेवा के लिए हर नागरिक का बनना है आभा आईडी
  • जिले में करीब नौ लाख लोगों की बन चुकी है आभा आईडी

गोरखपुर - जिले के प्रत्येक नागरिक का आयुष्मान भारत हेल्थ एकाउंट (आभा) आईडी बनना अनिवार्य है। इस कार्य में आशा कार्यकर्ता लोगों की मदद कर रही हैं। वह आभा आईडी बनाने के लिए जब आधार नंबर मांगे तो उनका सहयोग करें । उन्हें कार्ड का नंबर देना सुरक्षित है और इसी की मदद से वह आभा आईडी बनाती हैं। यह आईडी गुणवत्तापूर्ण और सुलभ स्वास्थ्य सेवा देने में मददगार है । अभी तक जिले के करीब नौ लाख लोगों की आभा आईडी बनाई जा चुकी है । यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने दी।

उन्होंने बताया कि कुछ लोग भ्रम और भ्रांति के कारण आशा कार्यकर्ता से अपना आधार नंबर साझा नहीं कर रहे हैं। इसकी वजह से उनकी आभा आईडी नहीं बन पा रही है । आशा कार्यकर्ता को नंबर देकर आईडी बनवाने में कोई दिक्कत नहीं होगी । स्वास्थ्य विभाग ने इस कार्य के लिए आशा कार्यकर्ताओं को अधिकृत कर रखा है। अगले माह जुलाई में प्रस्तावित दस्तक पखवाड़े के दौरान भी आभा आईडी बनाने पर विशेष जोर होगा ।

डॉ दूबे ने बताया कि जिन लोगों ने कोविड टीकाकरण करवाया है वह उस समय इस्तेमाल किये गये मोबाइल नंबर की मदद से यूविन पोर्टल पर जाकर अपना आभा आईडी खुद भी बना सकते हैं । यूविन पोर्टल के जरिये अभिभावक अपने बच्चों की भी आभा आईडी बना सकते हैं। यह आईडी होने से जिला अस्पताल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज और एम्स जैसे संस्थानों में पंजीकरण करवाने के लिए लाइन नहीं लगाना पड़ेगा। आईडी के जरिये खुद पंजीकरण कर सकते हैं और काउंटर पर सिर्फ पैसे देकर पंजीकरण की पर्ची प्राप्त कर सकते हैं। इससे समय की बचत हो रही है।

सीएमओ ने कहा कि आने वाले समय में इस आईडी के जरिये संबंधित व्यक्ति का मेडिकल रिकॉर्ड देश के किसी भी हिस्से से प्राप्त किया जा सकेगा । इससे गोरखपुर के आदमी को अगर दिल्ली या देश के किसी भी शहर में में इलाज की जरूरत पड़ी तो उसकी पुरानी सभी रिपोर्ट और मेडिकल हिस्ट्री इसी आईडी के जरिये प्राप्त की जा सकेगी।

अलग अलग मोड में बन रही है आईडी : गगहा ब्लॉक के बीसीपीएम अशोक पांडेय का कहना है कि आशा कार्यकर्ता दो प्रकार से आईडी बना रही हैं। अगर आधार नंबर मोबाइल नंबर से जुड़ा है तो आभा आईडी में वही नंबर इस्तेमाल कर ओटीपी डाल दी जाती है। अगर आधार मोबाइल नंबर से नहीं जुड़ा है तो किसी भी अन्य नंबर पर ओटीपी भेज कर आईडी बनाई जाती है। यह सारी प्रक्रिया आशा कार्यकर्ता को लाभार्थी के सामने मौजूद रह कर पूरी करनी होगी । ऐसे में विवरण के दुरुपयोग की आशंका ना के बराबर है।

जिला अस्पताल में विशेष सुविधा : जिला अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी डॉ प्रशांत अस्थाना ने बताया कि प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ राजेंद्र ठाकुर के दिशा निर्देशन में ओपीडी पंजीकरण के पास एक टीम काम कर रही है जो लोगों का मौके पर ही आभा आईडी जेनरेट कर देती है। अस्तपाल में आभा आईडी से पंजीकरण करवाने वालों का अलग लाइन बनाया गया है। ऐसे लोग खुद अपना पंजीकरण कर पर्चा प्राप्त कर लेते हैं। इसके कार्य में भी वहां पर टीम मदद कर रही है। पंजीकरण करवाने में लोगों के समय की बचत हो रही है।

काम हुआ सुविधाजनक : राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चरगांवा में फार्माशिस्ट विमल वर्मा बताते हैं कि मरीजों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल दिखाने में आभा आईडी से काफी मदद मिल रही है। मरीज का पंजीकरण खुद कर लेते हैं सिर्फ पर्चा प्रिंट करवाने के लिए काउंटर पर जाना पड़ता है । इससे समय और श्रम की बचत हो रही है।