किशोर-किशोरियों को सेहतमंद बनाने की अनूठी पहल, खेल-खेल में मिल रहे जरूरी टिप्स



  • हर माह की आठ तारीख को सरकार के किशोर स्वास्थ्य दिवस के आयोजन से आया बड़ा बदलाव
  • संकोच में घर वालों व दोस्तों से नहीं पूछ पाते थे जो बात अब उस पर करते हैं खुलकर बात
  • किशोरावस्था को ध्यान में रखकर तैयार टीसीआई/पीएसआई इंडिया का टूल किट बना सरकारी प्रयासों में मददगार  

लखनऊ । “किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक, मानसिक, सामाजिक व वैचारिक बदलावों से जुड़ी तमाम समस्याओं और जिज्ञासाओं के उधेड़बुन में थी क्योंकि घर में मम्मी या दोस्तों से इस पर बात करने में झिझक या संकोच होता था लेकिन किशोर स्वास्थ्य दिवस पर नर्स सिस्टर ने खेल-खेल में बड़ी आसानी से उन समस्याओं को दूर कर दिया।“ यह कहना है उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के दसई पोखरा की संध्या का। संध्या मानती हैं कि इन समस्याओं के दूर होने से जहाँ वह अपने को पहले से स्वस्थ महसूस करती हैं वहीँ पढ़ाई में भी अच्छे से मन लगने लगा है। ऐसा ही कहना है उन्नाव की कुसुम व आदित्य, उरई के तन्मय व गौरी और बिजनौर की दीपा का भी।

उत्तर प्रदेश सरकार किशोर-किशोरियों व युवाओं को सेहतमंद बनाने को लेकर अस्पतालों में उनके अनुकूल माहौल प्रदान करने के साथ ही किशोर स्वास्थ्य क्लिनिक, किशोर स्वास्थ्य मंच व पीयर एजुकेटर जैसे तमाम कार्यक्रम संचालित कर रही है। इसी क्रम में नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर हर माह की आठ तारीख को किशोर स्वास्थ्य दिवस का आयोजन किया जाता है, जिसमें प्रदेश के 24 जिलों में पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल-इंडिया संस्था इसके "द चैलेंज इनिशिएटिव (टीसीआई)" परियोजना के तहत सहयोग प्रदान कर रही है। इस आयोजन को किशोरावस्था में होने वाले बदलावों से जुड़े तमाम सवालों व उनके सटीक जवाब को लेकर डिजाइन किया गया है। इसके लिए संस्था ने एक ऐसा टूल किट तैयार किया है, जिसके जरिये किशोर-किशोरियों की झिझक दूर होने के साथ ही उन मुद्दों पर खुलकर बात करने की ताकत भी मिलती है। इस पहल को नाम दिया गया है – किशोर, युवा एवं प्रजनन स्वास्थ्य। इस टूल किट के माध्यम से नाम, पता, हॉबी आदि आसान सवाल कर पहले बच्चों को सहज बनाया जाता है। अन्त्याक्षरी, रंगोली/चित्रकला, स्मृति खेल व प्रश्नोत्तरी के माध्यम से और निकटता आती है, फिर प्ले कार्ड के जरिये इस उम्र के जोखिम और उससे बचाव के उपाय गेम बोर्ड के जरिये समझाए जाते हैं। इसके तहत असुरक्षित यौन सम्बन्ध और अनचाहे गर्भ के खतरे की पहचान और सुरक्षा उपकरण के रूप में गर्भनिरोधक की उपलब्धता के बारे में समझाया जाता है। खेल-खेल में ही जोखिम से बचाव के रूप में पुरुष कंडोम, आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली, मौखिक गर्भनिरोधक गोली- मासिक व साप्ताहिक, पुरुष-महिला नसबंदी, इंट्रा यूटेराइन कंट्रासेप्टिव डिवाइस (आईयूसीडी)/कॉपर टी आदि के बारे में समझाया जाता है। इसी खेल-खेल में बच्चों की समस्याओं व जिज्ञासाओं को चिन्हित कर उनका उचित समाधान प्रदान किया जाता है।   

पीएसआई- इंडिया के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर मुकेश कुमार शर्मा का कहना है कि  किशोर गर्भावस्था, मातृ व शिशु मृत्यु दर का जोखिम, यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) और एचआईवी जैसे चुनौतीपूर्ण स्वास्थ्यगत मुद्दों पर आज खुलकर बात करना और देश के भावी कर्णधारों को उससे सुरक्षित बनाना एक बड़ी जिम्मेदारी है। मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुलभ, न्यायसंगत, स्वीकार्य, उचित, व्यापक, प्रभावी और कुशल बनाकर हम किशोर-किशोरियों और युवाओं का विश्वास जीतने के साथ ही उनको सही राह दिखा सकते हैं। इसी को मूल मन्त्र मानकर पीएसआई इंडिया ने जुलाई 2018 से शहरी स्वास्थ्य और शहरी परिवार नियोजन के लिए तकनीकी सहायता भागीदार के रूप में उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में किशोर युवा यौन प्रजनन स्वास्थ्य गतिविधियों के संचालन की पहल की। इसके तहत किशोर-किशोरियों को आशा या एएनएम कार्यकर्ताओं के माध्यम से काउंसिलिंग की सुविधा प्रदान करने के साथ ही नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तक उनकी पहुँच को सुगम बनाया। इन केन्द्रों को किशोर-किशोरियों व युवाओं के अनुकूल बनाने का काम किया गया ताकि वह वहां खुलकर अपनी बात रख सकें और समाधान प्राप्त कर सकें। राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम को तकनीकी सहायता भी प्रदान की गयी।

इस पहल से यह स्पष्ट हो चुका था कि 15 से 19 साल के बहुत से युवा निश्चित रूप से एक ऐसा प्लेटफार्म चाहते हैं जहाँ वह यौन और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ीं बातों पर खुलकर चर्चा कर सकें और सेहतमंद बनने के टिप्स प्राप्त कर सकें। इस सफलता के बाद टीसीआई- इंडिया ने राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के साथ इसका विस्तार उत्तर प्रदेश के अन्य 24 जिलों में भी किया, जिससे आज हजारों युवा जुड़कर शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं। मासिक धर्म समेत किशोरावस्था में होने वाले सभी शारीरिक बदलावों के बारे में वह बात कर रहे हैं और सेहतमंद बन रहे हैं। केन्द्रों पर आयरन- कैल्शियम की गोलियों के साथ सही खानपान के टिप्स भी मिल रहे हैं। टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) के टीके भी लगाये जा रहे हैं। इन किशोर-किशोरियों को अब यह भरोसा मिल चुका है कि स्वास्थ्य केन्द्रों पर उनकी बातों को पूरी तरह से गोपनीय रखा जाता है।

मऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी भी यह स्वीकार करते हैं कि किशोर स्वास्थ्य दिवस के आयोजन से बच्चों की झिझक दूर हुई है और अब स्वास्थ्यगत मुद्दों को लेकर उनमें जागरूकता आई है। स्वास्थ्य सुविधाओं पर उनकी बढ़ती तादाद इसका एक बड़ा प्रमाण है। एक बार स्वास्थ्य दिवस पर जो बच्चे आकर लाभान्वित होकर जाते हैं वह अगली बार अपने दो-चार साथियों को भी लेकर आते हैं। किशोरी सुरक्षा योजना के तहत सभी शहरी सरकारी स्कूलों में कक्षा 6 से 12 तक पंजीकृत लड़कियों को मुफ्त सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराए जाते हैं। हीमोग्लोबिन और ब्लड ग्रुप भी चेक किया जाता है।

उन्नाव के नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चंपा पुरवा की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. स्नेहा विमल और बिजनौर के नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिपांशी निगम का कहना है कि इस पहल के तहत किशोर-किशोरियों पर ध्यान केन्द्रित करने के साथ ही नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के माहौल को उनके अनुकूल बनाने के लिए स्टाफ की काउंसिलिंग भी की गयी।