- स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मार्गदर्शन में आयोजित हुई सहज स्वास्थ्य चर्चा
- सुन्नी इंटर कालेज के 300 से अधिक इंटरमीडिएट के छात्र-छात्राओं ने किया प्रतिभाग
लखनऊ - विश्व जनसंख्या दिवस की पूर्व संध्या पर इंटरमीडिएट के 300 से अधिक छात्र-छात्राओं को सहज स्वास्थ्य चर्चा के माध्यम से परिवार कल्याण कार्यक्रम के पियर एजुकेटर बनाने हेतु संवेदित किया गया। साथ ही प्रेरित किया गया कि पीयर एजुकेटर के तौर पर आगे इस जानकारी को अपने साथियों व समाज में शेयर करें। इस कार्यक्रम में सरकारी अधिकारियों से लेकर समाजसेवीयों ने छात्र-छात्राओं को रोचक अंदाज में परिवार नियोजन की महत्व बताया ।
विश्व जनसंख्या दिवस गुरुवार यानि 11 जुलाई को है। इस वर्ष की थीम है- ‘विकसित भारत की नई पहचान, परिवार नियोजन हर दंपति की शान’। इसी थीम को ध्यान में रखते हुए बुधवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के मार्गदर्शन में यूपीटीएसयू, सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च और पीएसआई के सहयोग से सुन्नी इंटर कालेज के इंटरमीडिएट के तीन सौ से अधिक छात्र-छात्राओं के बीच ओरिएंटेशन प्रोग्राम हुआ। सहयोगी संस्था पीएसआई ने बाल विवाह, किशोरावस्था में गर्भधारण व शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता के लिए छात्र व छात्राओं के साथ कई गतिविधियां कीं।
संयुक्त निदेशक परिवार कल्याण विभाग डॉ.उदय प्रताप सिंह ने किशोरावस्था में आने वाली चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की और पोषण की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किशोरावस्था के दौरान स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने के लिए सही पोषण और पारिवारिक समर्थन महत्वपूर्ण है। शिक्षक स्कूल में बच्चों को पोषण पर मार्गदर्शन दे सकते हैं। वे आवश्यक सलाह लेने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित किशोर स्वास्थ्य केंद्रों पर भी जा सकते हैं।
च्रर्चा को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक डॉ. सूर्यांशु ओझा ने किशोर बच्चों को इस मुद्दे पर शामिल करना महत्वपूर्ण बताया क्योंकि वे भविष्य में देश का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने नियोजित जनसंख्या वृद्धि के साथ पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने पर जोर दिया। कहाकि सरकार पूरी आबादी की ज़रूरतों को पूरा करने की पूरी कोशिश कर रही है लेकिन सीमित संसाधनों को देखते हुए जनसंख्या वृद्धि को स्थिर करने में योगदान देना हमारी ज़िम्मेदारी बन जाती है।
उन्होंने बताया कि भारत में लगभग 11 फीसदी लड़कियों की शादी कम उम्र में कर दी जाती है, जिससे महिलाओं में किशोर गर्भावस्था, प्रसव के दौरान जटिलताएं, समय से पहले प्रसव और हृदय संबंधी समस्याएं जैसे जोखिम होते हैं। स्कूली स्तर पर बच्चों को शिक्षित कर मातृ एवं नवजात संबंधी जटिलताओं को रोका जा सकता है।
मशहूर लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नाइश हसन ने छात्राओं से संवाद किया। उन्होंने कहा कि गरीबी कम होने और बेहतर शिक्षा और जागरूकता के कारण भारत में पीढ़ी दर पीढ़ी कुल प्रजनन दर कम हुई है। हालाँकि विवाह कानूनों में सुधार के लिए और अधिक काम करने की आवश्यकता है, ताकि प्रत्येक नागरिक को उच्च शिक्षा और सम्मानजनक रोजगार का अवसर मिल सके। डॉ. नाइश ने सभी से आग्रह किया कि वे परिवार नियोजन के लिए किसी विशेष समुदाय को लक्षित न करें और अक्षय तृतीया पर बाल विवाह जैसी सामाजिक-सांस्कृतिक प्रथाओं को हतोत्साहित करें।
अंत में सुन्नी इंटर कालेज के प्रिंसिपल शकील अहमद ने अपने स्कूल में संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को धन्यवाद दिया। उन्होंने छात्रों से कहा कि जनसंख्या नियंत्रण का सबसे अच्छा उपाय सही उम्र में शादी करना है क्योंकि इससे बच्चों की संख्या अपने आप सीमित हो जाएगी और सभी को सुखी और समृद्ध जीवन जीने का मौका मिलेगा।
परिवार नियोजन के फायदे :
- दंपति अपनी इच्छानुसार गर्भधारण कर सकते हैं
- दो बच्चों के जन्म में पर्याप्त अंतर रख सकते हैं
- कम उम्र में महिलाएं गर्भधारण से बच सकती हैं और ऐसा करने से गर्भावस्था व प्रसव संबंधित मां व शिशु को होने वाली जटिलताओं से बचा जा सकता है
- अनचाहे गर्भधारण से बचा जा सकता है जिससे लाभार्थी को बार-बार गर्भपात या असुरक्षित गर्भपात की परेशानियों का सामना न करना पड़े
- परिवार को नियोजित करने के लिए सरल, सुरक्षित, प्रभावी व भरोसेमंद साधन उपलब्ध हैं