डायरिया प्रबन्धन पर अभिमुखीकरण कार्यशाला आयोजित



  • 227 आशा कार्यकर्ताओं, 11 आशा फैसिलेटर व 23 एएनएम का किया गया अभिमुखीकरण
  • स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में पीएसआई इंडिया व केनव्यू के सहयोग से कार्यक्रम आयोजित
  • बिहार के तीन जिलों दरभंगा, सुपौल व पूर्णिया में चलाया जा रहा ‘डायरिया से डर नहीं’ कार्यक्रम

बेनीपुर (दरभंगा, बिहार) । शून्य से पांच साल तक के बच्चों को डायरिया से सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से अनुमंडल अस्पताल बेनीपुर में आशा कार्यकर्ता, आशा फैसिलेटर और एएनएम की अभिमुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गयी। चार दिवसीय कार्यक्रम के दौरान 227 आशा कार्यकर्ताओं, 11 आशा फैसिलेटर व 23 एएनएम का अभिमुखीकरण किया गया। स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया (पीएसआई इंडिया) और केनव्यू के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम के दौरान इन फ्रंटलाइन वर्कर को डायरिया की शीघ्र पहचान, बचाव, नियन्त्रण और डायरिया में ओआरएस घोल और जिंक की महत्ता के बारे में प्रशिक्षित किया गया।

चार दिवसीय अभिमुखीकरण कार्यक्रम के आखिरी दिन बृहस्पतिवार को प्राथमिक स्वास्थ केंद्र बेनीपुर की प्रभारी डॉ. कुमारी भारती ने कहा कि डायरिया शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। समुदाय में व्यापक पैमाने पर इस बारे में जागरूकता और सही समय पर डायरिया की पहचान और जरूरी इलाज यानि ओआरएस का घोल और जिंक की सही मात्रा देकर बच्चे को सुरक्षित बनाया जा सकता है। इस दौरान पीएसआई इंडिया से संजय तरुण ने डायरिया की पहचान, प्राथमिक उपचार और बचाव के उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हाथों की सही तरीके से स्वच्छता, ओआरएस एवं जिंक के साथ समय पर रोटा वायरस के टीकाकरण से इस बीमारी से बचा जा सकता है। इस मौके पर बीसीएम राजीव रंजन, पीएसआई इंडिया से अखिलेश कुमार और अन्य स्वास्थ कर्मी उपस्थित रहे।

ज्ञात हो कि पीएसआई इंडिया और केनव्यू के सहयोग से बिहार के तीन जिलों दरभंगा, सुपौल और पूर्णिया में ‘डायरिया से डर नहीं’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के सात जिलों मुरादाबाद, मथुरा, फिरोजाबाद, बदायूं, उन्नाव, गोंडा और श्रावस्ती में यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है। कार्यक्रम के तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और प्रखंड कार्यालयों को दीवार लेखन के माध्यम से आच्छादित किये जाने की योजना है ताकि जन-जन तक डायरिया से बचाव के प्रमुख सन्देश पहुंचाए जा सकें। इसके साथ ही बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार (आईसीडीएस) और शिक्षा विभाग के साथ ही अन्य विभागों को भी कार्यक्रम से जोड़ा जा रहा है। निजी क्षेत्र के चिकित्सकों और अस्पतालों को भी कार्यक्रम से जोड़कर ओआरएस कार्नर स्थापित करने और डायरिया केस की रिपोर्टिंग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।