बच्चों को डायरिया से सुरक्षित बनाने पर मंथन



  • ‘डायरिया से डर नहीं’ कार्यक्रम के तहत निजी अस्पतालों व चिकित्सकों की बैठक
  • स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में पीएसआई इंडिया व केनव्यू के सहयोग से चल रहा कार्यक्रम

उन्नाव । शून्य से पांच साल तक के बच्चों को डायरिया से सुरक्षित बनाने को लेकर सोमवार को जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. नरेंद्र सिंह की अध्यक्षता में निजी क्षेत्र के अस्पतालों, नर्सिंग होम और चिकित्सकों की बैठक हुई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में पब्लिक प्राइवेट इंटरफेस की यह बैठक स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया (पीएसआई इंडिया) और केनव्यू के सहयोग से चल रहे ‘डायरिया से डर नहीं’ कार्यक्रम के तहत हुई। बैठक में 12 निजी अस्पतालों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

इस मौके पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने कहा कि स्टॉप डायरिया अभियान से निजी क्षेत्र के अस्पतालों और चिकित्सकों को भी जोड़ा जाएगा, क्योंकि शून्य से पांच साल तक के बच्चों को डायरिया से सुरक्षित बनाने में इनकी अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि निजी चिकित्सक क्लिनिक, अस्पताल व नर्सिंग होम में ओआरएस कार्नर जरूर बनायें ताकि लोगों को आसानी से समझ में आ सके कि डायरिया के इलाज में ओआरएस की सबसे बड़ी भूमिका है। उन्होंने बताया कि डायरिया से डर नहीं कार्यक्रम के तहत फ्रंट लाइन वर्कर यानि आशा, एएनएम और महिला आरोग्य समिति की सदस्यों का अभिमुखीकरण किया जा रहा है ताकि वह समुदाय में जागरूकता की अलख जगाते हुए बच्चों को डायरिया से सुरक्षित बनाने में मददगार साबित हो सकें। इसके अलावा अस्पतालों में ओआरएस कार्नर बनाने के साथ ही दीवार लेखन भी किया जा रहा है। इस दिशा में निजी चिकित्सक, अस्पताल और नर्सिंग होम भी आगे आयें और इन गतिविधियों में हाथ बटाएं ताकि बच्चों को आसानी से डायरिया से सुरक्षित बनाया जा सके।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने सभी निजी चिकित्सकों और अस्पतालों से आग्रह किया कि वह “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम में सहयोग करते हुए डायरिया केस की रिपोर्टिंग सुनिश्चित करें। बैठक में प्रतिनिधि यूनिसेफ़ मो दिलशाद, जिला फैमली प्लानिंग मैनेजर डॉ. आरिफ़, अर्बन हेल्थ कोआर्डिनेटर डॉ. रानु कटियार, एचएमआईएस आपरेटर बिकेश, पीएसआई इंडिया से गजेंद्र सिंह, अरुनेश सिंह एवं अशरफ हुसैन आदि उपस्थित रहे।