किशोरावस्था में खानपान का रखें खास ख्याल : डॉ. जैसवार



-बदलाव के इस दौर में सही पोषण बचाता है बीमारियों से
-किशोरियों को ज्यादा पौष्टिक तत्वों और ऊर्जा की होती है जरूरत

लखनऊ,  8  सितम्बर 2020 - किशोरावस्था विकास का वह दौर होता है जब लड़के और लड़कियों के वजन, लम्बाई और हड्डियों में तेजी से वृद्धि होती है | जब एक लड़की बचपन से इस अवस्था की ओर  बढ़ती है तो उसके शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं जो उसके शरीर के साथ भावनाओं को भी प्रभावित करते हैं |  यह अवस्था उसके लिए बहुत संवेदनशील होती है | विश्व स्वास्थ्य संगठन ने किशोरावस्था को 10-19 साल के युवा समूह के रूप में परिभाषित किया है | वर्तमान में भारत में किशोरों की संख्या लगभग 243 मिलियन है, जो कि 17-20% आबादी का हिस्सा है | उत्तर प्रदेश में किशोरों का कुल आबादी में 25% योगदान है | उत्तर प्रदेश 48.9 मिलियन जनसंख्या के साथ भारत की कुल किशोर आबादी में प्रथम स्थान पर है |

क्वीन मेरी अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एस.पी.जैसवार कहती हैं-  किशोरावस्था में विशेष रूप से लड़कियों में आयरन की कमी, कुपोषण, कम उम्र में विवाह व गर्भधारण, कृमि संक्रमण, मासिक धर्म, यूरिनरि  ट्रेक्ट इन्फेक्शन (आरटीआई)/ सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन(एसटीआई), गैर संचारी रोग, मानसिक स्वास्थ्य व चोटें आदि समस्याएँ होती हैं | किशोवारास्था में शारीरिक बढ़त तेजी से होती है और शरीर में परिवर्तन भी होते हैं ऐसे में किशोरियों को ज्यादा पौष्टिक तत्वों और ऊर्जा की जरूरत होती है |

डा. जैसवार के अनुसार- किशोरावस्था में पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता अधिक होती है क्योंकि इस दौरान संतुलित पोषक आहार का सेवन शरीर को आने वाले समय में गंभीर बीमारियों जैसे कि हड्डियों की कमजोरी, मोटापा, हृदय रोग, बाद में जीवन में मधुमेह ( डायबिटीज़) होने से बचाता है | किशोरियों को प्रोटीन , आयरन, फाइबर,  कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ और पानी का उचित मात्रा में सेवन करना चाहिए |  प्रोटीन मांसपेशियों को बनाने और ऊतकों की मरम्मत का काम करता है | प्रोटीन दालों, अंकुरित चने, दालों,  अंडे, पनीर, दूध  और दूध से बने पदार्थों में मिलता है | वहीँ कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है | कैल्शियम हमें दूध और दूध से बने पदार्थ, पनीर, दही, ब्रोकली से मिलता है | आयरन की कमी से एनीमिया होता है | हरी पत्तेदार सब्जियों, चिकन, मछली, गुड़, चुकंदर, गाजर आदि  आयरन के अच्छे स्रोत हैं | हमें आयरन का सेवन करते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि इसका सेवन विटामिन सी खाद्य पदार्थ जैसे नीबू  पानी, संतरे या आंवले के साथ करना चाहिए | सरकार द्वारा मिलने वाली आयरन की नीली गोलियों का साप्ताहिक सेवन करना चाहिए | विटामिन सी आयरन के अवशोषण को बढ़ाता है | कैल्शियम और आयरन का सेवन एक साथ नहीं करना चाहिए |

डा. जैसवार बताती हैं -  किशोरावस्था के दौरान लड़कियों को अतिरिक्त आयरन की आवश्यकता होती है ताकि माहवारी के दौरान होने वाली खून की कमी की पूर्ति की जा सके | आयरन की कमी होने का एक कारण पेट में कीड़े भी होना है अतः इसे रोकने के लिए अल्बेण्डाज़ोल की गोली हर छह माह पर खानी चाहिए | हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है |
डा . जैसवार के अनुसार - सही पोषण से ही शरीर स्वस्थ रहता है, शारीरिक परिपक्वता लाने में मदद करता है, इससे ताकत मिलती है, किशोर/किशोरियों का मन पढ़ाई, खेल-कूद, और हर काम में  लगता है, रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है, उचित शारीरिक और मानसिक विकास होता है जबकि यदि जंक फूड जैसे पिज्जा, बर्गर, चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स, चाउमीन व समोसा आदि का सेवन करते हैं यह स्वादिष्ट तो होते हैं लेकिन पौष्टिकता के नाम पर इनमें कुछ भी नहीं होता है | इन खाद्य पदार्थों में चीनी, नमक और खट्टे स्वाद की मात्रा ज्यादा होती है जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं |
 राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार (2014-16) के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 15-19 वर्ष के 53.9 प्रतिशत किशोरियाँ व 29.2 प्रतिशत किशोर खून की कमी से ग्रसित  हैं |