केंद्रीय टीम ने एमडीए वाले दो और जिलों का लिया जायजा, दिए सुझाव



  • लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज के निदेशक के नेतृत्व में टीम ने कानपुर व कानपुर देहात के आठ स्थानों पर किया भ्रमण
  • जिला व ब्लाक स्तर पर पर्यवेक्षण बढ़ाने, प्रतिकूल प्रभाव वाले लोगों को विशेष सुविधाएं देने व रेपिड रेस्पांस टीम सक्रिय करने के दिए सुझाव

लखनऊ  - केंद्र से आई तीन सदस्यीय निगरानी टीम ने रायबरेली व फतेहपुर के बाद कानपुर व कानपुर देहात के कई स्थानों पर फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चल रहे सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान का जायजा लिया। इस टीम की अध्यक्षता लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज के निदेशक डॉ. एस.के रसानिया ने किया। भ्रमण के बाद केंद्रीय टीम ने जिला व ब्लाक स्तर पर पर्यवेक्षण बढ़ाने, प्रतिकूल प्रभाव वाले लोगों को विशेष सुविधाएं देने व रेपिड रेस्पांस टीम सक्रिय करने के सुझाव दिए।  

दो दिवसीय दौरे पर आई इस केंद्रीय टीम में डॉ. रसानिया के अलावा प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के विशेषज्ञ शामिल थे। फील्ड विजिट के अनुभवों के आधार पर, केंद्रीय निगरानी दल ने एमडीए अभियान की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए कई प्रमुख सुझाव दिए। दल ने जिला और ब्लॉक, दोनों स्तरों पर निगरानी बढ़ाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया, ताकि एमडीए कार्यक्रम के कार्यान्वयन पर कड़ी निगरानी सुनिश्चित हो सके। इसके अलावा, उन व्यक्तियों को विशेष सहायता प्रदान करने के महत्व पर ज़ोर दिया, जिन्हें दवा लेने के बाद प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं। अंत में, टीम ने रैपिड रिस्पांस टीमों को सक्रिय करने की वकालत की, जो फाइलेरिया उन्मूलन प्रयासों के दौरान उत्पन्न होने वाली किसी भी अप्रत्याशित चुनौती या प्रकोप से निपटने के लिए तैयार रहें।

राज्य फाइलेरिया अधिकारी डॉ. ए.के. चौधरी ने केंद्रीय निगरानी दल द्वारा दिए गए सुझावों से सहमति व्यक्त की। उन्होंने इन सिफारिशों के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की और यह सुनिश्चित किया कि समीक्षा से प्राप्त निष्कर्षों को राज्य भर में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को मज़बूत करने के लिए ठोस कार्रवाई में परिवर्तित किया जाएगा।

केंद्रीय टीम सबसे पहले कानपुर के बिधनु ब्लाक के मटियारा गांव पहुंची। यहां ग्रामीणों से दवा खाने के बारे में पूछा। स्वास्थ्य टीम से दवा खाने से इनकार करने वाले लोगों को समझाने के तरीके जाने। स्वास्थ्य टीम ने बताया कि गांव में सीएचओ-पीएसपी समूह बना है जिसमें प्रधान राहुल चौबे व कोटेदार कमल प्रकाश सक्रिय भूमिका निभाते हैं। पीएसपी समूह होने से गांव में काफी जागरूकता आई है और 65 से 70% लोग दवा भी खा रहे हैं। प्रधान ने बताया इस बार रात्रि चौपाल भी लगाई गई जिसमें फाइलेरिया के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है और दवा खाने के लिए खुद आगे आ रहे हैं।  

घाटमपुर ब्लाक के राहा गांव में टीम ने औचक निरीक्षण किया। वहां पीएसपी सदस्य सुंदर लाल मिले जिनके साथ टीम ने पांच घरों का जायजा लिया। इसके बाद पतारा ब्लॉक के सेवढारी गांव में भ्रमण किया। पूछने पर वालंटियर निधि ने बताया कि हमारे यहां तीन साल से फाइलेरिया नेटवर्क काम कर रहा है। हम आशा के साथ घर-घर जाकर दवा खाने के लिए प्रेरित करते है। पीएसपी सदस्य प्रधान भोलानाथ ने बताया कि वह गांव में डुग्गी पिटवाकर लोगों को जागरूक करते हैं।

केंद्रीय टीम ने कानपुर देहात के मलासा ब्लॉक के हासेमऊ गाँव का भी दौरा किया। टीम ने सीएचओ से एमएमडीपी किट, व्यायाम आदि के बारे में जानकारी ली। सीएचओ ने बताया कि हासेमऊ में पीएसपी गठित होने से बड़ी मदद मिली है। पीएसपी के माध्यम से ए.ए.एम. स्तर पर फॉलोअप भी किया जा रहा है, जो टीम को बहुत पसंद आया। एडवर्स ड्रग रिएक्शन (एडीआर) रोगी गुड़िया के घर जाकर उसका हालचाल पूछा। आशा के परिवार रजिस्टर का अवलोकन करने के बाद, मना करने वाले दो परिवारों के घर गए। कुल 11 सदस्यों में से 8 सदस्यों ने दवाइयाँ ली हैं।