बाल मृत्यु दर कम करने की योजना पर विस्तार से की गई चर्चा



  • पाँच दिवसीय मण्डल स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ समापन  

कानपुर - बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत सोमवार को मण्डल स्तरीय बाल मृत्यु दर समीक्षा कार्यक्रम के पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान बाल मृत्यु दर कम करने की योजना पर विस्तार से चर्चा की गयी। प्रशिक्षण में बताया गया कि फील्ड बेस्ड में जो मृत्यु हो रही है, उसे रोकना है। यही नहीं, फैसिलिटी बेस्ड हो या अस्पताल में प्रसव के दौरान हो या फिर 48 घंटे के अंदर हो या 48 घंटे के बाद घर में कम्युनिटी बेस में मृत्यु हो, इन सभी की मृत्यु पर नजर रखी जाएगी। नजर रखने के लिए मैकेनिज्म बनाए गए हैं, उनका लक्ष्य भी तय किया गया है।

जनपदीय बाल मृत्यु कार्यक्रम के नोडेल अधिकारी डॉ. एसके सिंह ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार, कानपुर में 29 नवंबर से चल रहे मण्डल स्तरीय बाल मृत्यु समीक्षा कार्यक्रम के पांच दिवसीय प्रशिक्षण का 5 दिसंबर को समापन हो गया, इसमें बाल मृत्यु दर को कम करने के लिए बनाई गई योजना पर विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का उद्घाटन अपर निदेशक हेल्थ डॉ़ जीके मिश्रा ने किया। इस प्रशिक्षण में मंडल के सभी जिलों के 244 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

कानपुर नगर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से कम्यूनिटी मेडिसन विभाग से डॉ सीमा, डॉ संतोष बर्मन, बाल रोग विभाग से डॉ प्रतिभा और यूनीसेफ से मंडलीय समन्वयक संजीव कुमार साह के द्वारा महत्वपूर्ण बिन्दुओ पर प्रकाश डालते हुआ जनपद स्तर पर कमिटी के गठन एव समीक्षा की जानकारी दी गई l  उनके द्वारा बता गया की मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा हर उस रिपोर्ट की समीक्षा की जाएगी, साथ ही जिलाधिकारी द्वारा हर तीन महीने में बाल मृत्यु कार्यक्रम की समीक्षा की जाएगी। शासन स्तर पर समीक्षा के दौरान जो गैप निकल कर आएंगे, उस पर बाल मृत्यु को कम करने की नीति तय की जाएगी। इसमें शून्य से 28 दिन के अंदर के बच्चों का ग्रुप, 29 दिन से एक साल तक के बच्चों का ग्रुप, एक से पांच साल तक के बच्चों का ग्रुप बनाया गया है।

प्रशिक्षकों ने बताया की बाल मृत्यु की रिपोर्टिंग आशा करती हैं। कोई व्यक्ति सूचना देता है तो उसे 50 रुपये का भुगतान करने का प्रावधान है। आशा की रिपोर्टिंग पर सुपरवाइजर फील्ड में पड़ताल करेंगी। बच्चों की मौत के 48 घंटे में आशा को रिपोर्ट करना होगा। इस रिपोर्ट पर 14 दिन में एएनएम पड़ताल करेंगी। एएनएम की रिपोर्ट ब्लॉक में जमा की जाएगी। हर मामले में एएनएम को 100 रुपये का भुगतान किया जाएगा। ब्लॉक स्तरीय टीम की ओर से कमेटी गठित की जाएगी। इसमें एक मेडिकल अधिकारी और नॉन मेडिकल अधिकारी शामिल होगा। यही कमेटी एएनएम की रिपोर्ट को ऑडिट करेगा।