सर्दी में अस्थमा रोगी बरतें विशेष सावधानी - सांस नली में सूजन से पैदा होती हैं कई दिक्कतें



  • खानपान पर भी खास ध्यान देने की जरूरत 

लखनऊ, 6 दिसम्बर  2020 - अस्थमा रोगियों को सर्दी के मौसम में विशेष  सावधानी बरतने की जरूरत होती है क्योंकि सर्दियों में ऐसे रोगियों की सांस  नली में सूजन आ जाती है और उन्हें सांस लेने में दिक्कत आती है | इस सम्बन्ध में राष्ट्रीय  होम्योपैथिक परिषद  के पूर्व सदस्य एवं वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डा. अनुरुद्ध वर्मा कहते हैं – सर्दी की शुरुआत होते ही बहुत से लोगों की  मुश्किलें बढ़ जाती हैं | सावधानी न बरतने से अस्थमा रोगियों में अटैक का खतरा भी बना रहता है | उन्हें सांस लेने में दिक्कत और खांसी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है | 

इस मौसम में अस्थमा रोगियों को घर पर ही रहना चाहिए क्योंकि तापमान बहुत कम होता है और ठंडी हवाएं चलती हैं | पार्क में जाकर एक्सरसाइज करने के बजाय घर पर ही करें | धूप निकलने पर ही टहलना चाहिए क्योंकि सुबह आद्रता  के कारण धूल, धुएँ के कण ऊपर नहीं जा पाते हैं । डा. अनुरुद्ध के अनुसार- अस्थमा कई तरह का होता है – एलर्जिक अस्थमा – जब व्यक्ति को किसी चीज से एलर्जी होती है जैसे, धूल, मिट्टी, पालतू जानवरों के बालों,  रुसी, तिलचट्टे परागकण से | नॉन एलर्जिक अस्थमा- इस तरह के अस्थमा का कारण किसी एक चीज के उच्चतम स्तर  पर जाने से होता है | जब व्यक्ति बहुत अधिक तनाव में होता है या बहुत तेज हंस रहा होता है या  अधिक सर्दी लग जाती है या बहुत अधिक खांसी जुकाम हो जाता है |  व्यवसायिक अस्थमा – यह अस्थमा का अटैक अचानक काम के दौरान पड़ता है | लगातार एक ही तरह का काम करते रहते हैं तो अस्थमा का अटैक पड़ता है या फिर कार्यस्थल का वातावरण अनुकूल न होने पर अटैक पड़ता है | एक्सरसाइज अस्थमा अधिक शारीरिक सक्रियता से हो जाता है | कई लोग जब अपनी क्षमता से अधिक काम करते हैं तो वह अस्थमा के शिकार हो जाते हैं | नाईटटाइम अस्थमा – यह रात के समय होता है अर्थात जब रात के समय अस्थमा का अटैक पड़ता है | मिमिक अस्थमा - जब स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई बीमारी जैसे निमोनिया, कार्डियक जैसी बीमारियाँ होती हैं तब मिमिक अस्थमा हो सकता है | कफ वेरिएंट अस्थमा का कारण कफ होता है | 
चाइल्ड ऑनसेट एनीमिया सिफ बच्चों में होता है | ऐसे बच्चे जैसे-जैसे बड़े  होते हैं वह अस्थमा की स्थिति से बाहर आने लगते हैं | यह अस्थमा बहुत घातक नहीं होता है लेकिन सही समय पर इसका इलाज बहुत जरूरी होता है | 

डा. अनुरुद्ध कहते हैं – शोध में पाया गया है कि अस्थमा के रोगियों के लिए जलती हई तम्बाकू और लकड़ी एक जैसी ही होती है | आग से आने वाले धुएं से फेफड़ों में परेशानी हो सकती है | डॉ वर्मा ने बताया- अस्थमा के लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ होना, छाती में दर्द, सांस की कमी, खांसी या घरघराहट के कारण सोने में परेशानी, निगलने के दौरान एक सीटी या घूमने वाली आवाज जो बच्चों में अस्थमा का एक आम संकेत हैं |

अस्थमा के मरीजों को अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए | दवाओं का नियमित  रूप से सेवन करना चाहिए , कभी दवा छोडनी नहीं चाहिए | बहुत ज्यादा ठंडी और खट्टी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए | धूल, धुंआ और  धूम्रपान से बचकर रहना चाहिए | पालतू जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्ली के संपर्क से दूर रहना चाहिए | अस्थमा के मरीजों को घर व घर के आस-पास साफ़-सफाई पर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए | व्यायाम करते समय सावधानी बरतनी चाहिए | 

डा. वर्मा बताते हैं – अस्थमा के रोगियों को पौष्टिक भोजन का सेवन करना चाहिए ,  जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो | हरी पत्तेदार सब्जियों, गाजर का सेवन करना चाहिए | ठन्डे पानी की जगह गुनगुने पानी का सेवन करना चाहिए यह जाड़ों में फायदेमंद होता है | अपने भोजन में हल्दी, काली मिर्च, लहसुन और अदरक  को शामिल करना चाहिए |