अस्थमा मरीजों पर कोरोना के पड़ने वाले प्रभाव पर विशेषज्ञों ने किया मंथन



  • डॉ. सूर्य कान्त का अस्थमा रोगियों के साथ डिजिटल परामर्श पर जोर
  • किसी भी नए लक्षण को कोविड की दृष्टि से ही समझा जाए : डॉ. सूर्य कान्त

लखनऊ, 06 मई 2021  - विश्व अस्थमा दिवस के उपलक्ष्य में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के तत्वावधान में वर्चुअल माध्यम से राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया । इस सम्मेलन के आयोजन का मुख्य उदेश्य कोरोना काल में अस्थमा मरीजों के उपचार में आये बदलाव और उन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में मंथन और अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करना था । ज्ञात हो कि रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग इस वर्ष अपना प्लेटिनम जुबिली वर्ष (75 वर्ष) मना रहा है और उसका संकल्प है कि इस वर्ष कम से कम 75 कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को अस्थमा की बारीकियों के बारे में सरल और सहज ढंग से जागरूक करना है । इसी कड़ी में इसका आयोजन किया गया था ।

ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस का आयोजन इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा और एप्लाइड इम्यूनोलॉजी, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन-एकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशियलिटीज (आईएमए-एएमएस) और इंडियन चेस्ट सोसाइटी के यूपी चैप्टर एवं रेस्पिरेटरी मेडिसिन, के.जी.एम.यू. के संयुक्त प्रयास से किया गया। राष्ट्रीय स्तर की इस कांफ्रेंस का आयोजन प्रो. सूर्यकांत, विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, केजीएमयू एवं नेशनल वाइस चेयरमैन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन-एकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशियलिटीज (आईएमए-एएमएस) ने किया । इस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय स्तर के प्रख्यात विषेशज्ञों ने अपने अनुभव साझा किये । डा. डी बेहरा (इंडियन चेस्ट सोसाइटी के अध्यक्ष) ने जहाँ अस्थमा से पीड़ित मरीजों के विश्व स्तर व देश के मरीजों केआंकड़ों से अवगत कराया वहीँ डा. एस के जिंदल (इंडियन चेस्ट सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष) ने गंभीर अस्थमा पीड़ित मरीजों के निदान और प्रबंधन के बारे में अपने अनुभव को साझा किया । डा. अनंत मोहन (विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, एम्स, नई दिल्ली) ने ब्रोन्कियल थर्मोप्लास्टी की भूमिका जैसे विषय से अवगत कराया।

प्रोफेसर सूर्यकांत ने कोविड काल में अस्थमा रोगियों के प्रबंधन के बारे में बात करते हुए कहा कि कोविड महामारी के दौरान अस्थमा रोगियों के साथ डिजिटल परामर्श होने पर जोर दिया । प्रो. सूर्यकांत ने बताया - किसी भी नए लक्षण को कोविड की तरह ही समझा जाये और उसका परीक्षण किये जाने की भी सलाह दी । इसके साथ ही दमा रोगियों को नियमित रूप से इन्हेलर लेने पर जोर दिया। उन्होंने इनहेलर्स को साफ रखने और अन्य मरीजों के साथ इसे साझा न करने की सलाह दी और नेबुलाइजर का उपयोग न करने की सलाह दी।

अनियंत्रित अस्थमा में कोविड-19 संक्रमण और जटिलताओं का खतरा बढ़ता है । वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में सभी के टीकाकरण के अनिवार्यता पर जोर दिया गया (अस्थमा रोगियों सहित) ताकि मरीज इस विकट परिस्थिति का सामना कर सकें।

इस अस्थमा सम्मेलन के मुख्य आयोजक डा. ज्योति बाजपेयी असिस्टेंट प्रोफेसर, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, केजीएमयू, लखनऊ एवं डा. अजय कुमार वर्मा (एडिसनल प्रोफेसर) डा. दर्शन बजाज (एडिसनल प्रोफेसर), डा. अंकित कटियार (असिस्टेंट प्रोफेसर) और समस्त रेजिडेन्ट डाक्टर्स एवं डा. सपना व डा. अनिकेत शामिल हुए ।