यूपी : अब रंग से पहचाने जाएंगे यूपी के शहर, एक ही रंग की होंगी शहर के मुख्य मार्गों की इमारतें



लखनऊ - मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक ऐसे फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। जिससे अब यूपी के शहरों की पहचान आप कलर से भी कर लेंगे। जैसे जब कोई गुलाबी नगरी की बात करता है तो आपके दिमाग में जयपुर गूंजने लगता है। उसी तर्ज पर अब यूपी में भी किसी शहर को आप रंग से पहचान जाएंगे। प्रदेश के प्रमुख शहरों के मुख्य मार्गों की इमारतें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, भवनों को एक रंग में रंगने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है।

मुख्य मार्गों पर स्थित आवासीय और व्यावसायिक भवनों के बाहरी हिस्से को विकास प्राधिकरण द्वारा तय रंग में ही रंगना होगा। प्रस्ताव को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हरी झंडी दे चुके हैं। आवास एवं शहरी नियोजन विभाग जल्द ही आदेश जारी करने वाला है।

भवन मालिकों के लिए न केवल बाहरी दीवार का रंग, बल्कि नेम प्लेट व साइन बोर्ड आदि को भी एक जैसा सुनिश्चित किया जाएगा। नेम प्लेट, साइन बोर्ड का आकार, रंग और लिखावट भी प्राधिकरण तय करेगा। तय रंग से भवन स्वामियों को खुद करानी होगी बाहरी हिस्से की रंगाई। आवास विभाग जल्द जारी करेगा आदेश।

उपविधि के लागू होने पर भवन स्वामियों (अध्यासी) को शहर के मुख्य मार्गों के गैर आवासीय या आंशिक रूप से आवासीय/गैर आवासीय भवनों में एकरूपता के लिए उनके बाहरी हिस्से (अग्रभाग) की तय रंग से ही रंगाई करानी होगी। इसके लिए भवन स्वामियों को छह माह की मोहलत मिलेगी। रंगाई का खर्च खुद भवन स्वामियों को उठाना होगा। संबंधित शहर के विकास प्राधिकरण को मुख्य मार्गों का चयन करने के साथ ही रंग तय कर भवन स्वामियों को प्रचार माध्यमों से बताना होगा। आवासीय कालोनियों या ऐसे मार्ग, जिन पर सिर्फ आवासीय भवन हैं, उनका चयन नहीं करना होगा।

नेम प्लेट व साइन बोर्ड भी होंगे एक जैसे : न केवल बाहरी दीवार का रंग, बल्कि नेम प्लेट व साइन बोर्ड आदि को भी एक जैसा सुनिश्चित किया जाएगा। नेम प्लेट, साइन बोर्ड का आकार, रंग और लिखावट भी प्राधिकरण तय करेगा। सभी के लिए बोर्ड की चौड़ाई तो तय होगी, लेकिन लंबाई भवन या दुकान के आकार के अनुसार कम ज्यादा हो सकेगी।

प्राधिकरण कराएगा तो देना होगा खर्च :  किसी भवन स्वामी ने यदि निर्धारित अवधि में तय रंग से भवन की रंगाई नहीं कराई तो विकास प्राधिकरण उसे कराएगा। उस पर आने वाला खर्च भवन स्वामियों को प्राधिकरण में जमा करना होगा। प्राधिकरण बिना लाभ-हानि के लागत तय करेगा। भवन स्वामियों द्वारा लागत का पूरा भुगतान न करने की दशा में प्राधिकरण को भू-राजस्व की तरह बकाए की वसूली करने का अधिकार होगा।

किसी भी शहर के मुख्य मार्ग की इमारतें किस रंग की होंगी, इसे स्थानीय स्तर पर उस शहर की खासियत को देखते हुए प्राधिकरण को तय करना है। एक नहीं, दो रंग भी तय किए जा सकते हैं। मसलन, भगवान राम की नगरी होने से अयोध्या के मुख्य मार्गों का रंग केसरिया या उससे मिलता-जुलता तय किया जा सकता है। इसी तरह ताजनगरी आगरा के मुख्य मार्ग की इमारतों का रंग ताजमहल की तरह सफेद तय हो सकता है। राजधानी लखनऊ के मुख्य मार्गों का रंग गुलाबी या पीला रखा जा सकता है। भवन के अलावा साइन बोर्ड आदि के अलग रंग तय किए जा सकते हैं।