- जिले की 3650 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का हो रहा क्षमता वर्धन
- जिलाधिकारी के दिशा-निर्देश पर प्रत्येक ब्लॉक में किया जा रहा संवेदीकरण
गोरखपुर - जन-जन तक मातृ, बाल और किशोरी पोषण का संदेश पहुंचाने के लिए बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग (आईसीडीएस) द्वारा जिले की 3650 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का क्षमता वर्धन किया जा रहा है । जिलाधिकारी विजय किरण आनंद की पहल और दिशा-निर्देश पर प्रत्येक ब्लॉक में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का संवेदीकरण किया जा रहा है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी हेमंत सिंह ने बताया कि 42 दिन के प्रशिक्षण सत्र होने थे, जिनमें से 15 का आयोजन हो चुका है । जिले के 17 ब्लॉक में दो दिवसों का कार्यक्रम, जबकि शहरी क्षेत्र, कैंपियरगंज ब्लॉक और जंगल कौड़िया में तीन दिनों का क्षमता वर्धन सत्र रखा गया है । संबंधित ब्लॉक क्षेत्र के बाल विकास परियोजना अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधि और खंड शिक्षा अधिकारी प्रशिक्षण दे रहे हैं । प्रशिक्षण में पोषण से जुड़े आवश्यक दस हस्तक्षेपों के साथ-साथ आंगनबाड़ी केंद्रों के कायाकल्प, ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस (वीएचएनडी), पहल और प्री-प्राइमरी टूल्स के बारे में जानकारी दी जा रही है । यह कार्यक्रम जिले के पोषण स्तर में सुधार में अहम भूमिका निभाएगा।
इन संदेशों पर जोर :
• जन्म के एक घंटे के भीतर मां का पहला पीला गाढ़ा दूध
• छह माह तक सिर्फ स्तनपान
• छह माह बाद स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की शुरूआत
• विटामिन ए, आयरन, आयोडिन, जिंक और ओआरएस का सेवन
• साफ-सफाई और खासतौर से हाथों की स्वच्छता
• बीमार बच्चों की देखरेख
• कुपोषित बच्चों की पहचान
• किशोरियों की देखभाल खासतौर से हीमोग्लोबिन की कमी न हो
• गर्भवती की देखभाल और उन्हें चिकित्सक के परामर्श के अनुसार आयरन-फोलिक का सेवन के लिए प्रेरित करना
इन लक्षणों से कुपोषण की पहचान :
• उम्र के अनुसार शारीरिक विकास न होना।
• हमेशा थकान महसूस होना।
• कमजोरी लगना।
• अक्सर बीमार रहना।
• खाने-पीने में रूचि न रखना।
एनआरसी जाने में न करें संकोच : जिला कार्यक्रम अधिकारी ने जनपदवासियों से अपील कि है कि जिले के बीआरडी मेडिकल कालेज में पोषण पुनर्वांस केंद्र (एनआरसी) का संचालन हो रहा है, जहां तीव्र कुपोषित बच्चों को भर्ती कर सुपोषित बनाया जाता है । लोग बच्चों के साथ वहां जाने के लिए तैयार नहीं होते हैं, जबकि वहां बच्चों के लिए ढेर सारी सुविधाएं हैं । एनआरसी की सभी सुविधाएं निशुल्क हैं। बच्चों के इलाज के अलावा दोनों समय भोजन और एक केयर टेकर को भी निशुल्क भोजन मिलता है भर्ती बच्चों को दोनों समय दूध और अंडा दिया जाता है। जो अभिभावक बच्चे के साथ रहते हैं उन्हें 100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से उनके खाते में दिए जाते हैं। केंद्र में भर्ती कराने से बच्चे को नया जीवन मिलता है। केंद्र में प्रशिक्षित चिकित्सक और स्टाफ नर्स बच्चों की देखभाल करती हैं।