बाराबंकी - मुख्य चिकित्साधिकारी डा रामजी वर्मा ने सभी आशा व स्वास्थ्यकर्मियों को निर्देश दिया कि फाइलेरिया की दवा मानक के अनुरूप पूरी सतर्कता से अपने सामने ही खिलाएं। फाइलेरिया उन्मूलन अभियान आगामी 7 दिसम्बर तक जारी रहेगा। इस अभियान को सफल बनाने के लिए 6 हजार 500 ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर व 418 सुपरवाइजर लगाये गये है। एक टीम में दो कर्मचारी तैनात हैं। इसके तहत जिले की 37 लाख 65 हजार जनसंख्या को आच्छादित करने का लक्ष्य है।
सीएमओ की ओर से निर्देश दिया गया कि स्वास्थ्य टीम फाइलेरिया रोधी दवा खिलाते समय उम्र और तय खुराक का खास ख्याल रखा जाये, इसके साथ ही कोविड गाइड लाइन का भी अवश्य पालन करें। फाइलेरिया की दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं खिलानी है।
खाना खाने के बाद खाएं दवा: एसीएमओ व नोडल अधिकारी डा डीके श्रीवास्तव के अनुसार दवा हमेशा भोजन के बाद ही खाना है। दो वर्ष से नीचे के बच्चों व गर्भवती महिलाओं व गंभीर रोग से पीड़ितों को दवा नहीं दी जाएगी। खाली पेट दवा खाने के बाद अथवा स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया रोग के परजीवी होने की दशा में दवा खाने के बाद जी मचलना, बुखार, सिर दर्द होना व चक्कर आना जैसी क्षणिक प्रतिक्रिया हो सकती है। ऐसी दशा में इससे घबराने की कोई जरुरत नहीं है।
ऐसे करें बचाव: घर के आसपास व बस्ती में गंदगी न होने दें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग हमेशा करें। फाइलेरिया की दवा साल में एक बार जरुर खाएं। जहां दूषित पानी जमा हो वहां पर न सोएं। मच्छरों का प्रकोप बढ़ने पर मच्छर रोधी दवा का भी उपयोग करें। संक्रामक बीमारी होते ही तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें।
यह है लक्षण: फाइलेरिया रोग मुख्यत: क्यूलेक्स मादा मच्छर के काटने से होता है। इस बीमारी में अंडकोष में भी सूजन हो जाता है। किसी भी व्यक्ति को संक्रमण के पश्चात बीमारी होने में पांच से पंद्रह वर्ष तक का समय लग सकता हैं। फाइलेरिया का लक्षण दिखते ही चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। इस रोग के होने से न केवल शारीरिक विकलांगता होता है बल्कि मरीजों की मानसिक और आर्थिक स्थिति भी बिगड़ सकती है।