फ्यूचर समूह के बैंको की असहमति के चलते अधिग्रहण योजना से पीछे हटा रिलायंस समूह



नयी दिल्ली  - रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बिग बाजार और फूड बाजार जैसे स्टोर चलाने वाले किशोर बियानी के नेतृत्व वाले फ्यूचल समूह के खुदरा और लॉजिस्टिक कारोबार को खरीदने के सौदे से हटने की घोषणा की।

रिलायंस ने यह फैसला फ्यूचर समूह के बैंको द्वारा समूह के खुदरा स्टोर, वेयर हाउसिंग और लॉजिस्टिक्स कारोबार को बेचने के प्रस्ताव को नामंजूर किए जान के बाद यह फैसला किया है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अगस्त 2020 में फ्यूचर समूह के करोबार के अधिग्रहण की घोषणा की थी। दोनों को बीच सौदा 24,713 करोड़ रुपये का था। इसके तहत रिलायंस समूह की रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड(आरआरवीएल) द्वारा वियानी के नेतृत्व वाले फ्यूचर समूह के खुदरा और दूसरे कारोबार करने वाली 19 कंपनियों का अधिग्रहण किया जाना था।

इस करार पर फ्यूचर समूह के शेयर धारकों और उसे गारंटीशुदा कर्ज देने वाले बैंको का मत विभाजन बुधवार को कराया गया था और इसके परिणामों की घोषणा फ्यूचर रिटेल ने शुक्रवार को की।

फ्यूचर रिटेल ने शेयर बाजारों को बताया था कि उसे कर्ज देने वले 70 प्रतिशत गारंटीशुदा ऋणदाताओं ने (बैंको ने) कोरोबार रिलायंस समूह को बेचने की योजना के विरोध में मत दिया।
फ्यूचर रिटेल ने बाजारों को कल बताया था कि उसके 85.9 प्रतिशत शेयरधारक रिलायंस के साथ समझौते के पक्ष में थे। उसने यह भी बताया कि कुल मिलाकर उसकी कंपनियों के 78 प्रतिशत शेयरधारक और बिना गारंटी के कर्ज देने वाले सौदे के समर्थन में रहे लेकिन उसे गारंटीशुदा कर्ज देने वाले न्यूनतम 75 प्रतिशत कर्जदाताओं का समर्थन नहीं मिला, जो नियम के अनुसार सौदे की मंजूरी के लिए जरूरी था।

रिलायंस ने शनिवार को सेबी के नियमों के अनुसार बाजार को दी गयी सूचना में कहा कि फ्यूचर समूह की फ्यूचर रिटेल लि.(एफआरएल) और अन्य सूचीबद्ध कंपनियों ने सौदे के बारे में मतदान के नतीजों की सूचना जारी कर दी है। उनके अधिकांश गारंटीशुदा कर्जदाताओं ने इस सौदे के विरूद्ध वोट दिया है, ऐसे में (फ्यूचर समूह के साथ उसकी) संबंधित योजना का अनुपालन नहीं हो सकता।

फ्यूचर को कर्ज देने वाले बैंको में बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बडौदा, भारतीय स्टेट बैंक, इंडियन बैंक, सेंट्रल बैंक, एक्सिस बैंक और आईडीबीआई बैंक शामिल हैं।

कानून के विशेषज्ञों के अनुसार बैंको द्वारा बहुमत के आधार पर इस सौदे को खारिज किए जान के बाद राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण(एनसीएलटी) से इस सौदे को मंजूरी मिलना मुश्किल था। गौरतलब है कि फ्यूचर रिलायंस सौदे का अमेरिका की खुदरा कंपनी अमेजन भी कानूनी रूप से विरोध कर रही थी।