नई दिल्ली(डेस्क) - आरबीआई (RBI) ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी है। केंद्रीय बैंक ने नीतिगत ब्याज दर में 50 बेसिस अंक की बढ़ोतरी की है। इसके साथ ही रेपो रेट 5.90 फीसदी पहुंच गया है जो तीन साल में सबसे अधिक है। रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है।
यह चौथी बार है जब नीतिगत दर में वृद्धि की गयी है. मई से लेकर अब तक आरबीआई रेपो दर में 1.90 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है। खास बात यह है कि अब रेपो रेट कोरोना महामारी से पहले के स्तर से ज्यादा हो गई है। अगस्त, 2019 में रेपो दर 5.4 प्रतिशत पर थी। वहीं आरबीआई ने फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के लिए महंगाई के अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। दूसरी छमाही में इसके करीब छह प्रतिशत रहने का अनुमान है। रेपो रेट्स में बढ़ोतरी से कॉस्ट ऑफ बोरोइंग की लागत बढ़ जाएगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि रेपो रेट बढ़ने से बैंकों की बोरोइंग कॉस्ट बढ़ जाएगा। इससे लोन लेना और महंगा हो जाएगा।