एचआईवी संक्रमित गर्भवती से जन्म लेने वाले बच्चे को संक्रमण से बचाने पर मंथन



  • एसीएमओ-आरसीएच, डीटीओ और मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता किये गए प्रशिक्षित
  • डॉ. हीरा लाल ने एड्स कंट्रोल प्रोग्राम की समीक्षा व निगरानी को बताया जरूरी  

लखनऊ - एचआईवी संक्रमित गर्भवती से पैदा होने वाले बच्चे को संक्रमण से बचाने पर मंथन को लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों और चिकित्सकों की तीन दिवसीय कार्यशाला (31 अक्तूबर से दो नवम्बर) स्थानीय एक होटल में आयोजित की गयी। कार्यशाला के माध्यम से प्रदेश के सभी 75 जिलों के एसीएमओ- आरसीएच, जिला क्षय रोग अधिकारी और मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता को प्रशिक्षण प्रदान प्रदान किया जा रहा है। एक दिन में 25-25 जिलों के प्रतिनिधियों को इस बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है। कार्यशाला राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और यूपी एड्स कंट्रोल सोसायटी के तत्वावधान में प्लान इण्डिया व यूपीएनपी प्लस संस्था के सहयोग से आयोजित की जा रही है।

कार्यशाला के दूसरे दिन मंगलवार को “माँ से बच्चे में होने वाले एचआईवी/ वीडीआरएल संचरण की रोकथाम” विषय पर चर्चा हुई। कार्यशाला का शुभारम्भ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अपर मिशन निदेशक व यूपी एड्स कंट्रोल सोसायटी के अपर परियोजना निदेशक डॉ. हीरा लाल ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जिला क्षय रोग अधिकारी एचआईवी कार्यक्रम के जनपदीय नोडल अधिकारी हैं, इसलिए वह मासिक रूप से कार्यक्रम की समीक्षा सुनिश्चित करें। कार्यक्रम की नियमित निगरानी के बारे में सुझाव भी दिया। डॉ. हीरा लाल ने प्रशिक्षण के महत्व, बैठक पूर्व तैयारियाँ एवं नियमित अध्ययन के बारे में भी मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि बदलते भारत के परिदृश्य में यह बहुत जरूरी हो गया है कि हर कोई अपने अन्दर कम से कम तीन स्किल (कौशल) को जरूर विकसित करें, एक अदद कौशल से अब पूर्ण विकास सम्भव नहीं है।

डॉ. हीरा लाल ने अध्ययन की आदत विकसित करने के साथ लिखने की कला सीखने पर भी जोर डाला। उन्होंने इस बारे में अपना अनुभव साझा करते हुए अपनी लिखी पुस्तक का भी जिक्र किया, उन्होंने शोध पत्र लिखने के बारे में प्रतिभागियों को प्रेरित किया। उन्होंने प्रतिभागियों को खुद के भी स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखने और जीवन में योग के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा बताये जा रहे तकनीकी बिन्दुओं पर पूरा ध्यान दें और जिले में जाकर अपने साथियों को भी इस बारे में दक्ष बनायें।

कार्यशाला के दौरान यूपी एड्स कंट्रोल सोसायटी की उपनिदेशक डॉ. माया वाजपेयी ने 95-95-95% के लक्ष्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने पीपीटी सीटी के तहत सभी सेवाएं, देखभाल, सहयोग और उपचार के बारे में विस्तार से बताया। संयुक्त निदेशक डॉ. शुभ्रा मित्तल ने सिफलिस की जांच और उपचार के बारे में सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया। प्लान इण्डिया के प्रोग्राम मैनेजर संदीप ने प्रदेश के ईएमटी सीटी की स्थिति पर प्रकाश डाला। हर जिले का आंकड़ा प्रस्तुत करते हुए उसको और बेहतर करने के गुर भी सिखाये। कार्यशाला में यूपी एड्स कंट्रोल सोसायटी के डॉ. ए. के. सिंघल, डॉ. चित्रा सुरेश, अजय शुक्ल, अनुज दीक्षित, नीरज   श्रीवास्तव    आदि उपस्थित रहे।